भावनात्मक बुद्धिमत्ता, लोक प्रशासन में नैतिक दुविधाओं और हितों के टकराव को हल करने में किस प्रकार सहायता कर सकती है? (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भावनात्मक बुद्धिमत्ता (EI) को परिभाषित करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये और लोक प्रशासन के संदर्भ में इसकी प्रासंगिकता का उल्लेख कीजिये।
- संक्षेप में बताएं कि नैतिक मुद्दों और हितों के टकराव को संबोधित करने के लिये EI कैसे महत्त्वपूर्ण है?
- आप इस बात पर ज़ोर देकर निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि उच्च स्तर की EI एक नैतिक और प्रभावी लोक प्रशासन प्रणाली में योगदान कर सकती है जो जनता के सर्वोत्तम हितों की रक्षा करती है।
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परिचय:
भावनात्मक बुद्धिमत्ता (EI) स्वयं और दूसरों के संबंध में भावनाओं को समझने, उपयोग करने एवं प्रबंधित करने की क्षमता है। EI किसी व्यक्ति की जटिल अंतर्वैयक्तिक और नैतिक स्थितियों को प्रभावी ढंग से समाधान करने की क्षमता को बढ़ाकर लोक प्रशासन में नैतिक दुविधाओं एवं हितों के टकराव को सुलझाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
मुख्य भाग:
EI नैतिक दुविधाओं और हितों के टकराव को हल करने में सहायता कर सकता है:
- आत्म-जागरूकता: EI आत्म-जागरूकता से शुरू होती है, जो लोक प्रशासकों को अपनी भावनाओं, मूल्यों और पूर्वाग्रहों को पहचानने की अनुमति देती है।
- यह आत्म-जागरूकता उन्हें किसी नैतिक दुविधा या हितों के टकराव का सामना करने और इन स्थितियों में अपने भीतर उत्पन्न होने वाली भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को भी पहचानने एवं समझने में सक्षम बनाती है।
- सहानुभूति: लोक प्रशासन में नैतिक निर्णय लेने के लिये विविध हितधारक दृष्टिकोणों को पहचानना महत्त्वपूर्ण होता है। सहानुभूतिपूर्ण प्रशासक विभिन्न आवश्यकताओं को समझते हैं और समावेशी संवादों के माध्यम से रचनात्मक समाधानों को बढ़ावा देते हैं।
- प्रभावशाली संचार: EI संचार को बढ़ाता है, साथ ही लोक प्रशासकों को हितधारकों के साथ खुले तथा सम्मानजनक संवाद में शामिल होने में सक्षम बनाता है, जो नैतिक दुविधाओं और हितों के टकराव को हल करने के लिये महत्त्वपूर्ण होता है।
- निर्णय लेना: नैतिक दुविधाएँ कठिन विकल्पों, हितों और मूल्यों के बीच संतुलन की माँग करती हैं। EI प्रशासकों को तथ्यों, नियमों और विकल्पों के नैतिक एवं भावनात्मक पहलुओं पर विचार करके उचित निर्णय लेने में सहायता करता है।
- संघर्ष का समाधान: हितों के टकराव से हितधारकों के बीच तनाव उत्पन्न हो सकता है। उच्च भावनात्मक बुद्धिमत्ता वाले लोक प्रशासक निष्पक्ष समाधान को बढ़ावा देने और तनाव को रोकने के लिये मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं।
- स्व-नियमन: EI प्रशासकों को अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने और तर्कसंगत निर्णय लेने का अधिकार देता है, जिससे नैतिक दुविधाओं या हितों के टकराव जैसी चुनौतीपूर्ण स्थितियों में अनैतिक व्यवहार का जोखिम कम हो जाता है।
- नैतिक नेतृत्व: भावनात्मक रूप से बुद्धिमान लोक प्रशासक नैतिक व्यवहार, सहानुभूति और प्रभावी संचार को प्रेरित करते हैं, अपनी टीमों एवं सहकर्मियों के लिये एक सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत करते हैं तथा नैतिक मानकों और संघर्ष के समाधान को प्रोत्साहित करते हैं।
निष्कर्ष:
लोक प्रशासन में भावनात्मक बुद्धिमत्ता महत्त्वपूर्ण है, जो प्रशासकों को नैतिक चुनौतियों और संघर्षों से निपटने में सहायता करती है। यह आत्म-जागरूकता, सहानुभूति, संचार और नैतिक निर्णय लेने को बढ़ावा देती है तथा निष्पक्षता एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करती है, जिससे जनता को लाभ होता है।