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प्रश्न :
रमेश एक प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय निगम में कर्मचारी है जो अपनी मेहनती कार्यनीति के लिये जाना जाता है। वह लगातार समय पर कार्यालय पहुँचता है, समय पर कार्य करता है और कभी-कभी लक्ष्यों को पूरा करने के लिये अधिक समय तक कार्य करता है।
रमेश के रिपोर्टिंग मैनेजर के रूप में कार्यरत राजेश,विश्वसनीय नेतृत्वकर्ता है जो पचास व्यक्तियों की टीम के लिये ज़िम्मेदार है। संगठन के अंदर उनकी प्रतिष्ठा एक ईमानदार और परिणाम-उन्मुख प्रबंधक के रूप में है जो दबाव में कार्य करने में उत्कृष्टता रखते हैं। एक दशक की अटूट सेवा के साथ, राजेश ने शीर्ष प्रबंधन में बढ़त हासिल की है, जिन्हें संकट या उच्च कार्यभार की अवधि के दौरान पसंदीदा व्यक्ति के रूप में पहचाना जाता है। नतीजतन वह कंपनी में उच्च पद हेतु योग्य उम्मीदवार के रूप में हैं।
हालाँकि इस बीच कंपनी के समक्ष एक अप्रत्याशित चुनौती सामने आती है। कर्मचारियों के बीच प्रसारित एक फीडबैक फॉर्म में राजेश एवं रमेश से संबंधित काफी अधिक नकारात्मक टिप्पणियाँ प्राप्त होती हैं। इन समीक्षाओं में उन पर दुर्व्यवहार, कदाचार और यहाँ तक कि मानसिक शोषण के आरोप भी लगाए गए हैं। यह घटनाक्रम कंपनी के CEO (अंतिम निर्णयकर्ता) को राजेश की आसन्न पदोन्नति के संबंध में एक उलझन भरी स्थिति में डाल देता है।
(a) इस मामले में शामिल नैतिक मुद्दों पर चर्चा कीजिये।
29 Sep, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़
(b) उपर्युक्त स्थिति में कंपनी के CEO के लिये उपलब्ध विकल्पों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
(c) उपर्युक्त में से CEO के लिये सबसे उपयुक्त विकल्प कौन सा होगा और क्यों?उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- केस स्टडी में शामिल विभिन्न हितधारकों के बारे में चर्चा कीजिये।
- केस स्टडी में शामिल नैतिक मूल्यों का उल्लेख कीजिये।
- केस स्टडी में शामिल नैतिक मुद्दों पर चर्चा कीजिये।
- कार्रवाई के विभिन्न संभावित तरीकों का, गुण-दोषों सहित उल्लेख कीजिये।
- कार्रवाई का सबसे उपयुक्त तरीका बताइये।
- कार्रवाई के सबसे उपयुक्त तरीके का उल्लेख करते हुए निष्कर्ष दीजिये।
इस मामले में शामिल हितधारक:
- रमेश एवं अन्य कर्मचार
- राजेश, रिपोर्टिंग मैनेजर
- CEO
उपयोगी नैतिक मूल्य:
- सत्यनिष्ठा
- निष्पक्षता और न्याय
- जवाबदेहिता
- पारदर्शिता
- भावनात्मक बुद्धिमत्ता
- कार्य संस्कृति
(a) इस मामले में शामिल नैतिक मुद्दे:
इस मामले में नैतिक मुद्दे के रूप में एक कर्मचारी, राजेश के अच्छे प्रदर्शन एवं उसके खिलाफ कदाचार तथा दुर्व्यवहार के गंभीर आरोपों के बीच द्वंद शामिल है।
इन नैतिक चिंताओं को इस प्रकार संक्षेप में प्रस्तुत किया जा सकता है:
- कर्मचारी कल्याण: प्राथमिक नैतिक चिंता उन कर्मचारियों की भलाई है जिन्होंने राजेश के दुर्व्यवहार, कदाचार और मानसिक शोषण करने की सूचना दी है। सुरक्षित और सम्मानजनक कार्यस्थल सुनिश्चित करना किसी भी संगठन का नैतिक दायित्व है।
- निष्पक्षता और न्याय: राजेश के खिलाफ आरोपों की निष्पक्ष जाँच करना एक नैतिक दायित्व है। यह शिकायतकर्ताओं और अभियुक्तों दोनों के लिये निष्पक्षता और न्याय के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- पदोन्नति और पुरस्कार: राजेश की आसन्न पदोन्नति एक नैतिक दुविधा पैदा करती है। क्या सीईओ को राजेश के पिछले प्रदर्शन हेतु पुरस्कृत करने को प्राथमिकता देनी चाहिये या आरोपों का इनके निर्णय पर असर पड़ना चाहिये? इससे पदोन्नति और पुरस्कारों की निष्पक्षता पर सवाल उठता है।
- कॉर्पोरेट प्रतिष्ठा: कंपनी की नैतिक प्रतिष्ठा दाँव पर होने से कदाचार और दुर्व्यवहार के आरोपों को हल करने में विफलता से कंपनी की छवि और विश्वसनीयता को नुकसान हो सकता है जिससे कर्मचारियों, ग्राहकों और हितधारकों के साथ उसके संबंधों पर असर पड़ सकता है।
(b)उपर्युक्त स्थिति में कंपनी के CEO के लिये उपलब्ध विकल्पों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
राजेश से जुड़ी स्थिति का सामना करने के क्रम में कंपनी के CEO के समक्ष कई विकल्प हैं:
विकल्प 1:
वह राजेश के कदाचार को नजरअंदाज कर उसके अनुकरणीय प्रदर्शन के आधार पर उसे पदोन्नत करे।
गुण दोष
कंपनी के लिये राजेश अधिक उत्साह के साथ कार्य करेंगे जिससे बेहतर परिणाम मिलेंगे।
- यह राजेश को कदाचार और ऐसे अन्य कृत्यों में शामिल होने के लिये प्रोत्साहित करेगा।
- इससे अन्य सहकर्मियों में असुरक्षा की भावना पैदा होगी।
विकल्प 2:
वह ऐसे कदाचार के मामले में अनिवार्य उचित मानक संचालन प्रक्रिया का पालन करेगा।
गुण
दोष
- इससे न्याय के प्राकृतिक क्रम को स्थापित किया जा सकेगा।
- प्रत्येक व्यक्ति कानून की दृष्टि में समान होता है,इसको बल मिलेगा।
- राजेश क्रोध में आकर पद छोड़ने का फैसला कर सकता है।
- कंपनी को नुकसान हो सकता है।
विकल्प 3:
वह शिकायतों पर ध्यान न देकर जो जैसा है उसे वैसे ही रहने दे।
गुण
दोष
कुछ समय के लिये टीम में असहज शांति बनी रह सकती है।
यह अन्य कर्मचारियों को भी कदाचार में शामिल होने के लिये प्रोत्साहित कर सकता है।
(c)उपर्युक्त में से कौन-सा विकल्प CEO के लिये सबसे उपयुक्त होगा और क्यों?
CEO के लिये कार्रवाई का सबसे उपयुक्त तरीका विकल्प 2 होगा यानी उचित मानक संचालन प्रक्रिया का पालन करना:
- गहन जाँच: CEO को राजेश के खिलाफ आरोपों की गहन और निष्पक्ष जाँच को प्राथमिकता देनी चाहिये। यह कार्रवाई नैतिक सिद्धांतों के अनुरूप होने के साथ इसमें शामिल सभी पक्षों के लिये निष्पक्षता और न्याय सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है।
- अस्थायी निलंबन: जाँच के दौरान कर्मचारियों की सुरक्षा और संभावित नुकसान को रोकने के लिये, राजेश को उनकी प्रबंधकीय ज़िम्मेदारियों से अस्थायी रूप से निलंबित करने की सलाह दी जाती है।
- कर्मचारी सहायता: शिकायत करने वाले कर्मचारियों के लिये सहायता तंत्र प्रदान करना, उनके हित को बनाए रखने और अनैतिक व्यवहार की रिपोर्ट करने की संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिये आवश्यक है।
- नैतिक निर्णय लेना: CEO को केवल पिछले प्रदर्शन पर विचार करने के बजाय, जाँच के निष्कर्षों और नैतिक सिद्धांतों के आधार पर राजेश की पदोन्नति पर निर्णय लेना चाहिये। यह निर्णय निष्पक्षता और न्याय से निर्देशित होना चाहिये।
- पारदर्शिता और संचार: कर्मचारियों को की गई कार्रवाइयों और जाँच की प्रगति के बारे में सूचित रखने से संगठन के अंदर पारदर्शिता और विश्वास को बढ़ावा मिलेगा।
- कानूनी अनुपालन: यह सुनिश्चित करना कि सभी कार्य प्रासंगिक श्रम कानूनों और विनियमों के अनुरूप हों, संगठन को कानूनी रूप से सुरक्षित रखने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
इन चरणों का पालन करके, CEO कंपनी की प्रतिष्ठा और नैतिक मूल्यों को बनाए रखते हुए कदाचार के आरोपों को संबोधित करने की प्रतिबद्धता प्रदर्शित कर सकता है। यह दृष्टिकोण सम्मानजनक और सुरक्षित कार्यस्थल बनाए रखने की ज़िम्मेदारी के साथ मूल्यवान कर्मचारियों को पहचानने और पुरस्कृत करने की आवश्यकता को संतुलित करता है।
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