आप इस उद्धरण से क्या समझते हैं: "किसी की निगरानी न होने पर भी, सत्यनिष्ठा जैसे मूल्य से सकारात्मक कार्य की प्रेरणा मिलती है।" - सी.एस. लुईस (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- उद्धरण का अर्थ बताकर शुरुआत कीजिये।
- चर्चा कीजिये कि यह उद्धरण क्या संदेश देता है
- आप अपनी व्याख्या के मुख्य बिंदुओं को संक्षेप में प्रस्तुत करके निष्कर्ष लिख सकते हैं।
|
परिचय:
सी.एस. लुईस का उद्धरण "किसी की निगरानी न होने पर भी, सत्यनिष्ठा जैसे मूल्य से सकारात्मक कार्य की प्रेरणा मिलती है" नैतिक चरित्र एवं नैतिकता के एक बुनियादी सिद्धांत को समाहित करता है। इसके मूल में, यह इस बात पर ज़ोर देता है कि सच्ची सत्यनिष्ठा बाहरी निरीक्षण या परिणामों के डर पर निर्भर नहीं है, बल्कि किसी व्यक्ति की सही और गलत की आंतरिक समझ पर निर्भर करती है।
मुख्य भाग:
यह उद्धरण बताता है:
- सही कार्य करना: यह उद्धरण इस बात पर ज़ोर देता है कि सत्यनिष्ठा में लगातार नैतिक रूप से न्यायी कार्यों और निर्णयों का चयन शामिल है। यह इस बारे में नहीं है कि क्या सुविधाजनक, समीचीन या लोकप्रिय है, बल्कि इस बारे में है कि नैतिक रूप से क्या सही है।
- किसी की निगरानी न होने पर भी: यह इस बात पर ज़ोर देता है कि सत्यनिष्ठा का अर्थ केवल बाहरी जाँच होने पर या संभावित पुरस्कार या दंड होने पर नैतिक मानकों का पालन करना नहीं है। सच्ची सत्यनिष्ठा का अर्थ है गवाहों या जवाबदेही की परवाह किये बिना अपने सिद्धांतों को बनाए रखना।
- आंतरिक प्रेरणा: इस उद्धरण से ज्ञात होता है कि सत्यनिष्ठा एक आंतरिक गुण है। यह किसी के व्यक्तिगत मूल्यों एवं सिद्धांतों का प्रतिबिंब है। यह वह करने के बारे में है जिसे आप सही मानते हैं क्योंकि यह आपकी नैतिकता की भावना के अनुरूप है, इसलिये नहीं कि आप बाहरी निर्णय या सजा से डरते हैं।
- विश्वसनीयता: जब कोई व्यक्ति लगातार सत्यनिष्ठा के साथ कार्य करता है, तो वह विश्वसनीय बन जाता है। अन्य लोग उन पर विश्वास कर सकते हैं, यह जानते हुए कि उनके कार्य परिस्थितियों की परवाह किये बिना एक मज़बूत नैतिक दिशा-निर्देश द्वारा निर्देशित होते हैं।
- व्यक्तित्व निर्माण: यह उद्धरण व्यक्तियों के मज़बूत और व्यवहारिक व्यक्तित्व के निर्माण के प्रोत्साहन पर केंद्रित है। यह हमें याद दिलाता है कि हमारे कार्य, किसी की निगरानी न होने पर भी, हमारे चरित्र को आकार देने तथा यह परिभाषित करने में योगदान देते हैं कि हम कौन हैं।
निष्कर्ष:
यह उद्धरण आंतरिक नैतिक शक्ति एवं नैतिक सिद्धांतों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के महत्त्व पर ज़ोर देता है। यह हमसे सत्यनिष्ठा को मान्यता के लिये नहीं बल्कि इसलिये बरकरार रखने का आग्रह करता है क्योंकि यह सही कार्य है। बाहरी पर्यवेक्षण के बिना परीक्षण किये जाने पर सच्ची सत्यनिष्ठा सामने आती है, जो सद्गुणी चरित्र एवं नैतिक व्यवहार को परिभाषित करती है।