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प्रश्न :
लंबे समय से सूखे के कारण राज्य गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है। इसके साथ ही भू-जल स्तर में भारी गिरावट आई है तथा कई कुएँ और बोरवेल सूख गए हैं। किसान अपनी फसलों की सिंचाई के लिये संघर्ष कर रहे हैं और लोग जल की व्यापक कमी का सामना कर रहे हैं। इस स्थिति के कारण प्रभावित क्षेत्रों में व्यापक विरोध प्रदर्शन और अशांति फैल गई है। मुख्यमंत्री को चिंता है कि इससे आगामी चुनावों में पार्टी नकारात्मक रूप से प्रभावित होगी। हालाँकि राज्य के पास बाँधों, नहरों या पाइपलाइनों के निर्माण के रूप में किसी भी दीर्घकालिक उपाय को लागू करने के लिये धन का अभाव है। इस संदर्भ में एकमात्र विकल्प, टैंकरों एवं ट्रेनों के माध्यम से जल की आपूर्ति करके अस्थायी राहत प्रदान करना है लेकिन इसके लिये बहुत अधिक समन्वय और लॉजिस्टिक्स के साथ-साथ बड़ी मात्रा में धन की आवश्यकता है। राज्य इसे केवल अन्य विकास योजनाओं के लिये आवंटित धन के उपयोग या केंद्र सरकार तथा बाहरी एजेंसियों से उधार लेकर ही वहन कर सकता है। ऐसे में मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव रमेश कुमार को इस संकट के समाधान हेतु उपाय खोजने को कहा है।
स्वयं की मुख्य सचिव के रूप में कल्पना करते हुए इस संदर्भ में उपलब्ध विभिन्न विकल्पों पर चर्चा कीजिये और बताइये कि इस मामले में आपकी प्रतिक्रिया क्या रहेगी?
22 Sep, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- समस्या या मुद्दे (जल संकट) का संक्षेप में परिचय देकर शुरुआत कीजिये।
- उपलब्ध विभिन्न विकल्पों पर चर्चा कीजिये तथा आप इस स्थिति पर किस प्रकार प्रतिक्रिया देंगे।
- मुख्य बिंदुओं को संक्षेप में बताइये तथा अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक उपायों के संयोजन को अपनाने के महत्त्व को दोहराइये।
परिचय:
लंबे समय से सूखे के कारण गंभीर जल संकट का सामना कर रहे राज्य के मुख्य सचिव के रूप में मेरी प्राथमिक ज़िम्मेदारी उपलब्ध विकल्पों का आकलन करना तथा संकट से प्रभावी ढंग से निपटान हेतु एक व्यापक योजना विकसित करना होगा।
मुख्य भाग:
यहाँ विभिन्न विकल्प उपलब्ध हैं तथा मैं इस स्थिति पर किस प्रकार प्रतिक्रिया दूँगा:
- अन्य विकास योजनाओं को आवंटित धन का उपयोग:
- यह विकल्प प्रभावित क्षेत्रों को तत्काल राहत प्रदान करेगा, लेकिन यह शिक्षा, स्वास्थ्य, अवसंरचना आदि जैसी अन्य महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं की गुणवत्ता एवं प्रगति से भी समझौता करेगा।
- इससे उन योजनाओं के लाभार्थियों में नाराज़गी एवं असंतोष भी उत्पन्न हो सकता है तथा समग्र विकास प्रभावित हो सकता है।
- इसके अतिरिक्त, यह विकल्प समस्या के मूल कारण का समाधान नहीं करेगा, जो कि स्थायी जल प्रबंधन एवं संरक्षण प्रथाओं की कमी है।
- मैं इस विकल्प की अनुशंसा नहीं करूँगा जब तक कि कोई अन्य विकल्प न हो।
- केंद्र सरकार या बाहरी एजेंसियों से उधार लेना:
- यह विकल्प प्रभावित क्षेत्रों को तत्काल राहत भी प्रदान करेगा, लेकिन इससे राज्य पर कर्ज़ का बोझ भी बढ़ेगा तथा इसकी वित्तीय गुणवत्ता पर असर पड़ेगा।
- इससे राज्य की अपनी नीतियों एवं कार्यक्रमों को लागू करने में स्वायत्तता और लचीलापन भी सीमित हो सकता है, क्योंकि उसे ऋणदाताओं के नियमों एवं शर्तों का पालन करना होगा।
- इसके अलावा, यह विकल्प समस्या के मूल कारण को भी संबोधित नहीं करेगा, जो कि स्थायी जल प्रबंधन एवं संरक्षण प्रथाओं की कमी है।
- मैं भी इस विकल्प की अनुशंसा नहीं करूँगा, जब तक कि कोई अन्य विकल्प न हो।
- बाँधों, नहरों या पाइपलाइनों के निर्माण जैसे दीर्घकालिक उपायों को लागू करना:
- यह विकल्प समस्या के मूल कारण (स्थायी जल प्रबंधन एवं संरक्षण प्रथाओं की कमी) को संबोधित करेगा।
- इससे कृषि, उद्योग, घरेलू उपयोग आदि जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिये जल की उपलब्धता और पहुँच भी सुनिश्चित होगी।
- इससे लोगों तथा राज्य की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।
- हालाँकि, इस विकल्प के लिये बहुत अधिक समय, धन एवं संसाधनों की आवश्यकता होगी, जो इस समय राज्य के पास नहीं है।
- मैं इस विकल्प की अनुशंसा करूँगा, लेकिन केवल दीर्घकालिक लक्ष्य के रूप में, तत्काल समाधान के रूप में नहीं।
- टैंकरों और ट्रेनों के माध्यम से जल की आपूर्ति करके अस्थायी राहत प्रदान करना:
- यह विकल्प प्रभावित क्षेत्रों को तत्काल राहत प्रदान करेगा, लेकिन इसके लिए बहुत अधिक समन्वय और लॉजिस्टिक्स के साथ-साथ बड़ी मात्रा में धन की भी आवश्यकता होगी।
- यह विकल्प अन्य राज्यों एवं एजेंसियों की उपलब्धता और सहयोग पर भी निर्भर करेगा, जो विश्वसनीय या सुसंगत नहीं हो सकता है।
- इसके अलावा यह विकल्प समस्या के मूल कारण (स्थायी जल प्रबंधन एवं संरक्षण प्रथाओं की कमी) को भी संबोधित नहीं करेगा।
- मैं इस विकल्प की अनुशंसा करूँगा, लेकिन केवल एक अल्पकालिक उपाय के रूप में।
निष्कर्ष:
मैं सुझाव दूँगा कि राज्य को जल संकट से निपटान हेतु अल्पकालिक (टैंकरों एवं ट्रेनों के माध्यम से जल की आपूर्ति करके अस्थायी राहत प्रदान करना) तथा दीर्घकालिक उपायों (स्थायी जल प्रबंधन प्रथाओं को लागू करना, जैसे बाँध, नहर या पाइपलाइन का निर्माण करना) का संयोजन अपनाना चाहिये। इन उपायों को लागू करने के लिये राज्य को केंद्र सरकार एवं बाहरी एजेंसियों की सहायता लेनी चाहिये, लेकिन अपने स्वयं के संसाधन जुटाने तथा कर, शुल्क, टैरिफ आदि जैसे विभिन्न माध्यमों से राजस्व उत्पन्न करने का भी प्रयास करना चाहिये। राज्य को लोगों की भागीदारी शामिल करनी चाहिये तथा उन्हें जल संरक्षण के महत्त्व के बारे में जागरूकता देनी चाहिये। ऐसा करने से राज्य जल संकट से उबरने तथा लोगों का कल्याण सुनिश्चित करने में सक्षम होगा।
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