भारतीय अर्थव्यवस्था में डिजिटलीकरण की स्थिति क्या है? इस संबंध में आने वाली समस्याओं का परीक्षण कीजिये और सुधार के लिये सुझाव दीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारतीय अर्थव्यवस्था में डिजिटलीकरण को बढ़ाने वाले कारकों पर चर्चा करते हुए डिजिटलीकरण का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- भारतीय अर्थव्यवस्था में डिजिटलीकरण की वर्तमान स्थिति के साथ-साथ भारत में डिजिटलीकरण के सामने आने वाली समस्याओं एवं इनके समाधानों पर चर्चा कीजिये।
- मुख्य बिंदुओं को संक्षेप में प्रस्तुत करते हुए उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।
|
परिचय:
डिजिटलीकरण अर्थव्यवस्था और समाज के विभिन्न पहलुओं को बदलने के लिये डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने की प्रक्रिया है। यह नागरिकों तथा व्यवसायों की अधिक दक्षता, नवाचार, समावेश एवं सशक्तीकरण को सक्षम कर सकता है। भारत में हाल के वर्षों में डिजिटलीकरण में तेज़ी से वृद्धि देखी जा रही है, जो बढ़ी हुई इंटरनेट पहुँच, सरकार के नेतृत्व वाली डिजिटल पहल, एक संपन्न स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र व डिजिटल उपभोक्ताओं के एक बड़े और बढ़ते आधार जैसे कारकों से प्रेरित है।
मुख्य भाग:
भारतीय अर्थव्यवस्था में डिजिटलीकरण की स्थिति:
- इंटरनेट तक पहुँच: 759 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्त्ताओं के साथ भारत में इंटरनेट तक पहुँच में पर्याप्त वृद्धि देखी गई है। इससे आबादी के एक बड़े हिस्से के लिये डिजिटल पहुँच आसान हो गई है।
- ई-गवर्नेंस: सरकार के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने, सेवा वितरण को बढ़ाने और शासन में पारदर्शिता बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आधार, ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म और डिजिटल भुगतान प्रणाली जैसी पहलों को व्यापक रूप से अपनाया गया है।
- ई-कॉमर्स: भारत में एक उभरता हुआ उद्योग ई-कॉमर्स है, जिसमें कई घरेलू प्लेटफॉर्म और वैश्विक दिग्गज देश में काम कर रहे हैं। इस क्षेत्र ने व्यवसायों और उपभोक्ताओं के लिये नए अवसर उत्पन्न किये हैं।
- स्टार्ट-अप इकोसिस्टम: भारत के डिजिटल परिवर्तन ने एक जीवंत स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र के विकास को बढ़ावा दिया है, जिसमें फिनटेक, एडटेक, हेल्थटेक और अन्य क्षेत्रों में कई नवोन्वेषी कंपनियाँ उभर रही हैं।
भारत में डिजिटलीकरण में आने वाली समस्याएँ:
- डिजिटल डिवाइड: सुधारों के बावजूद, एक महत्त्वपूर्ण डिजिटल डिवाइड/विभाजन अभी भी उपस्थित है, डिजिटल बुनियादी ढाँचे और पहुँच के मामले में ग्रामीण क्षेत्र शहरी केंद्रों से पीछे हैं। यह विभाजन समावेशी विकास में बाधक है।
- केवल लगभग 50% आबादी के पास इंटरनेट सदस्यता है, जो दर्शाता है कि आबादी के एक बड़े हिस्से के पास अभी भी डिजिटल अर्थव्यवस्था तक पहुँच नहीं है।
- साइबर सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: जैसे-जैसे डिजिटलीकरण बढ़ता है, वैसे-वैसे साइबर सुरक्षा खतरे भी बढ़ते हैं। भारत को डिजिटल बुनियादी ढाँचे को सुरक्षित करने और डेटा को साइबर हमलों से बचाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
- गोपनीयता के मुद्दे: डेटा गोपनीयता और सुरक्षा से संबंधित चिंताओं को प्रमुखता मिली है। भारत को नागरिकों के गोपनीयता अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये मज़बूत डेटा संरक्षण कानूनों तथा तंत्रों की आवश्यकता है।
- बुनियादी ढाँचे की चुनौतियाँ: धीमी इंटरनेट गति और कुछ क्षेत्रों में असंगत कनेक्टिविटी सहित खराब डिजिटल बुनियादी ढाँचा पूर्ण डिजिटलीकरण को बाधित करता है।
- ब्रॉडबैंड, वाई-फाई, ऑप्टिकल फाइबर और 4जी नेटवर्क की उपलब्धता एवं पहुँच भी विशेष रूप से ग्रामीण तथा दूरदराज़ के क्षेत्रों में सीमित स्तर पर मौजूद हैं।
- नियामक और नीतिगत चुनौतियाँ: भारत का डिजिटल परिदृश्य IT, दूरसंचार, ई-कॉमर्स, साइबर सुरक्षा और उपभोक्ता संरक्षण जैसे क्षेत्रों में पुराने कानूनों तथा अतिव्यापी नियमों के कारण नियामक मुद्दों से जूझ रहा है। यह जटिलता हितधारकों के लिए अनिश्चितता का कारण बनती है।
सुधार हेतु सुझाव:
- डिजिटल समावेशन: डिजिटल विभाजन को कम करने के लिये दूरदराज़ और ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बुनियादी ढाँचे एवं कनेक्टिविटी का विस्तार करने के लिये ठोस प्रयास किये जाने चाहिये। भारतनेट जैसी सरकारी योजनाओं में तेज़ी लाने की आवश्यकता है।
- डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम: सरकारी पहलों और गैर सरकारी संगठनों एवं निजी क्षेत्र के संगठनों के साथ सहयोग के माध्यम से डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना। इसमें प्रशिक्षण कार्यक्रम तथा जागरूकता अभियान शामिल हो सकते हैं।
- डेटा संरक्षण और गोपनीयता कानून: नागरिकों के डेटा की सुरक्षा और उनके गोपनीयता अधिकारों का सम्मान सुनिश्चित करने के लिये व्यापक डेटा संरक्षण तथा गोपनीयता कानून लागू करना।
- सरकार ने हाल ही में व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 पारित किया है जो अभी तक लागू नहीं हुआ है।
- साइबर सुरक्षा उपाय: सार्वजनिक-निजी भागीदारी, उन्नत प्रौद्योगिकियों में निवेश और सक्रिय खतरे का पता लगाने तथा प्रतिक्रिया प्रणालियों के माध्यम से साइबर सुरक्षा उपायों को मज़बूत करना।
- व्यापार करने में आसानी: भारत में व्यापार करने में आसानी को बेहतर बनाने के लिये सरकारी प्रक्रियाओं को सरल और डिजिटल बनाना। इससे अधिक निवेश आकर्षित होगा तथा आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना: नकद लेन-देन को कम करने, पारदर्शिता में सुधार और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिये डिजिटल भुगतान प्रणाली को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करना।
- अनुसंधान और विकास: वैश्विक डिजिटल परिदृश्य में प्रतिस्पर्द्धी बने रहने के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ब्लॉकचेन और 5जी जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान एवं विकास में निवेश करना।
निष्कर्ष:
भारतीय अर्थव्यवस्था में डिजिटलीकरण की स्थिति में महत्त्वपूर्ण प्रगति देखी गई है, लेकिन डिजिटल विभाजन, साइबर सुरक्षा संबंधी चिंताएँ और डेटा गोपनीयता मुद्दे जैसी चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। डिजिटलीकरण को और बढ़ाने के लिये भारत को समावेशिता, साइबर सुरक्षा, डिजिटल साक्षरता तथा एक मज़बूत नियामक ढाँचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये। इससे न केवल आर्थिक विकास में तेज़ी आएगी बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि डिजिटलीकरण का लाभ सभी नागरिकों तक पहुँचे।