आप एक ऐसे सामाजिक उद्यम के संस्थापक हैं जो उन ग्रामीण क्षेत्रों में सौर लैंप प्रदान करता है जहाँ बिजली की पहुँच नहीं है। आप अपना प्रभाव बढ़ाने और अधिक ज़रूरतमंद समुदायों तक पहुँचने के लिये कड़ी मेहनत कर रहे हैं। एक दिन आपको एक प्रमुख तेल कंपनी के सीईओ से एक ईमेल प्राप्त होता है जो आपके साथ साझेदारी में रुचि रखता है। उनका कहना है कि वह आपके उद्देश्य का समर्थन करना चाहते हैं तथा आपके कार्यों का विस्तार करने में आपकी सहायता करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि उन्हें अपनी कंपनी के लिये पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) मानकों को पूरा करना होगा। हालाँकि नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में कार्य करते हुए, जीवाश्म ईंधन कंपनियों के प्रति आपकी नकारात्मक धारणा विकसित हो गई है। सीईओ के प्रस्ताव ने आपको नैतिक दुविधा में डाल दिया है। एक तरफ आप ऐसी कंपनी से मदद स्वीकार करने के विचार से खुश नहीं हैं जो जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरणीय क्षरण में योगदान दे रही है और दूसरी तरफ आपको लगता है कि कंपनी की सहायता आपके उद्यम को और अधिक लोकप्रियता प्रदान करने का एक सुनहरा अवसर है।
1. उपर्युक्त मामले में शामिल विभिन्न नैतिक मुद्दे क्या हैं?
2. क्या तेल कंपनी से धन लेना आपके लिये नैतिक रूप से सही होगा?
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- इस मामले का संक्षिप्त परिचय देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- इस मामले में शामिल विभिन्न नैतिक मुद्दों पर चर्चा कीजिये।
- चर्चा कीजिये कि क्या तेल कंपनी से पैसा स्वीकार करना नैतिक रूप से सही होगा?
- अपने निर्णय को नैतिक सिद्धांतों और मूल्यों के अनुरूप होने को सिद्ध करते हुए निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
यह केस स्टडी एक सामाजिक उद्यम के संस्थापक से संबंधित है, जो बिजली की पहुँच से वंचित ग्रामीण क्षेत्रों में सोलर लैंप उपलब्ध कराने पर केंद्रित है। एक प्रमुख तेल कंपनी के सी.ई.ओ. द्वारा परिचालन के विस्तार हेतु सहायता की पेशकश करने से इसके संस्थापक के समक्ष एक नैतिक दुविधा उत्पन्न हुई है। यह प्रस्ताव पर्यावरणीय उत्तरदायित्व, नैतिक सत्यनिष्ठा, सामाजिक प्रभाव, कॉर्पोरेट ज़िम्मेदारी एवं कथित भ्रष्टाचार की संभावना से संबंधित नैतिक मुद्दों को उठाता है। मुख्य प्रश्न यह है कि क्या संस्थापक के लिये तेल कंपनी से धन स्वीकार करना (जीवाश्म ईंधन कंपनियों के प्रति उनकी सख्त नापसंदगी और उनके द्वारा प्रस्तुत पर्यावरणीय प्रभाव को देखते हुए) नैतिक रूप से उचित है।
मुख्य भाग:
A. इस मामले में शामिल विभिन्न नैतिक मुद्दे:
- पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी: संबंधित तेल कंपनी जीवाश्म ईंधन के निष्कर्षण और दहन के माध्यम से जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरणीय क्षरण में प्रमुख योगदानकर्ता है। ऐसी कंपनी से समर्थन स्वीकार करने को अप्रत्यक्ष रूप से उनकी पर्यावरणीय रूप से हानिकारक गतिविधियों का समर्थन करने या उनसे लाभ उठाने के रूप में देखा जा सकता है।
- नैतिक सत्यनिष्ठा और मूल्य: नवीकरणीय ऊर्जा एवं स्थिरता पर केंद्रित एक सामाजिक उद्यम के संस्थापक के रूप में, आपने संभवतः अपने संगठन को पर्यावरणीय उत्तरदायित्व से संबंधित मज़बूत मूल्यों और सिद्धांतों पर स्थापित किया है। किसी तेल कंपनी से धन स्वीकार करने को इन सिद्धांतों के साथ विश्वासघात के रूप में देखा जा सकता है।
- सामाजिक प्रभाव बनाम फंडिंग स्रोत: आपके संचालन के विस्तार से अधिक सामाजिक प्रभाव की संभावना तथा मूल्यों के खिलाफ जाकर वित्तीय सहायता स्वीकार करने के बीच नैतिक संघर्ष उत्पन्न हो सकता है।
- ESG मानक और कॉर्पोरेट ज़िम्मेदारी: तेल कंपनी के CEO ने पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) मानकों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का उल्लेख किया है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या उनकी पेशकश सकारात्मक बदलाव के प्रति वास्तविक प्रतिबद्धता को दर्शाती है या यह केवल अपनी छवि को बेहतर बनाने के लिये ग्रीनवॉशिंग का एक रूप है?
- कथित भ्रष्टाचार: एक तेल कंपनी से फंडिंग स्वीकार करने से आपके सामाजिक उद्यम को दाताओं, ग्राहकों एवं आपके द्वारा सेवा प्रदान किये जाने वाले समुदायों सहित हितधारकों की ओर से आलोचना और भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ सकता है, जो इस साझेदारी को आपके मिशन के विरोधाभासी के रूप में देख सकते हैं।
- दीर्घकालिक निहितार्थ: आपको इस साझेदारी के दीर्घकालिक प्रभावों पर विचार करना चाहिये। क्या यह आपके संगठन की स्वतंत्रता और मिशन को बनाए रखने की आपकी क्षमता से समझौता करेगा? तेल कंपनी आपके परिचालन पर नियंत्रण स्थापित करने के साथ कोई प्रभाव डाल सकती है?
B. तेल कंपनी से पैसा स्वीकार करना नैतिक रूप से सही होगा, इसका कोई एक जवाब नहीं है जो सभी के लिये उपयुक्त हो। मेरा निर्णय मेरे अपने मूल्यों और मेरे सामाजिक उद्यम के मिशन द्वारा निर्देशित होगा। अपना निर्णय लेते समय, मैं निम्नलिखित बातों पर विचार करूँगा:
- इरादे और प्रभाव का आकलन: मैं तेल कंपनी के इरादों का भी आकलन करूँगा कि क्या वे वास्तव में स्थायी समाधानों का समर्थन करने और अपने पर्यावरणीय पदचिह्न को कम करने के लिये प्रतिबद्ध हैं? मैं अपने मिशन पर इस समर्थन के संभावित सकारात्मक प्रभाव का भी मूल्यांकन करूँगा।
- नकारात्मक प्रभावों को कम करना: मैं इस बात पर विचार करूँगा कि क्या मैं उन शर्तों पर बातचीत कर सकता हूँ जो मुझे अपने संगठन की स्वतंत्रता को बनाए रखने तथा नवीकरणीय ऊर्जा एवं स्थिरता को प्राथमिकता देना जारी रखने की अनुमति देती हैं? इसके अतिरिक्त मैं यह सुनिश्चित करूँगा कि उनकी भागीदारी के कारण मेरे मूल्यों से समझौता न हो।
- पारदर्शिता और जवाबदेहिता: मैं यह सुनिश्चित करूँगा कि यह साझेदारी पारदर्शी हो और दोनों पक्षों को उनकी प्रतिबद्धताओं के लिये जवाबदेह ठहराया जाए। इसमें स्पष्ट रिपोर्टिंग तंत्र तथा साझेदारी के प्रभाव का नियमित मूल्यांकन करना शामिल है।
- वैकल्पिक फंडिंग स्रोत: मैं फंडिंग के वैकल्पिक स्रोतों का पता लगाऊँगा जो मेरे मूल्यों और मिशन के साथ अधिक निकटता से मेल खाते हों। इसमें अधिक प्रयास करना पड़ सकता है, लेकिन इससे मुझे अपने सिद्धांतों से समझौता करने से बचने में मदद मिल सकती है।
निष्कर्ष:
अंततः मेरे द्वारा लिया गया निर्णय मेरे संगठन की मूल्य प्रणाली पर आधारित होगा। इस पूरे प्रक्रम में मैं संपूर्ण नैतिक चिंतन में संलग्न रहूँगा, हितधारकों के साथ परामर्श करूँगा और अपने संगठन के मिशन तथा मूल्यों के साथ संरेखित विकल्प चुनने से पहले उसके संभावित लाभों एवं कमियों का सावधानीपूर्वक मूल्याँकन करूँगा।