शासन में प्रौद्योगिकी और डेटा के बढ़ते उपयोग के आलोक में सार्वजनिक क्षेत्रक में डिजिटल गोपनीयता एवं डेटा सुरक्षा से संबंधित नैतिक चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- शासन में प्रौद्योगिकी और डेटा के बढ़ते उपयोग का संक्षिप्त विवरण देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- सार्वजनिक क्षेत्रक में डिजिटल गोपनीयता एवं डेटा सुरक्षा से संबंधित नैतिक चुनौतियों का वर्णन कीजिये।
- उत्तर के मुख्य बिंदुओं को संक्षेप में बताने के साथ इन नैतिक चुनौतियों के समाधान के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
शासन में प्रौद्योगिकी और डेटा के बढ़ते उपयोग से डिजिटल गोपनीयता और डेटा सुरक्षा के रूप में दो महत्त्वपूर्ण नैतिक मुद्दे उत्पन्न हुए हैं। सार्वजनिक क्षेत्रक में विभिन्न उद्देश्यों जैसे सेवा वितरण, नीति निर्माण, कानून प्रवर्तन एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये नागरिकों, व्यवसायों तथा अन्य संस्थाओं से विभिन्न प्रकार का डेटा एकत्र, संसाधित और साझा किया जाता है। हालाँकि इससे डेटा एवं आम जनता के अधिकारों तथा हितों के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।
मुख्य भाग:
डिजिटल गोपनीयता और डेटा सुरक्षा से संबंधित कुछ नैतिक चुनौतियाँ:
- डिजिटल गोपनीयता का अतिक्रमण:
- डेटा संग्रह और निगरानी: सरकारें अक्सर सार्वजनिक सेवाओं, कानून प्रवर्तन और स्वास्थ्य प्रबंधन जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिये नागरिकों से बड़ी मात्रा में व्यक्तिगत डेटा एकत्र करती हैं। व्यक्तिगत डेटा का संग्रह और इसकी निगरानी से व्यक्तिगत गोपनीयता के उल्लंघन के बारे में चिंताएँ उत्पन्न होती है।
- सामाजिक प्रोफाइलिंग: उन्नत डेटा एनालिटिक्स और एल्गोरिदम के उपयोग से सामाजिक प्रोफाइलिंग हो सकती है, जहाँ व्यक्तियों को उनके ऑनलाइन व्यवहार एवं व्यक्तिगत जानकारी के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। इस प्रोफाइलिंग के परिणामस्वरूप भेदभाव और पक्षपातपूर्ण निर्णय लिया जा सकता है।
- डाटा सुरक्षा:
- साइबर सुरक्षा की संवेदनशीलता: सार्वजनिक क्षेत्रक अपने पास मौजूद डेटा की संवेदनशीलता के कारण साइबर हमलों का प्रमुख लक्ष्य बनता है। नागरिकों के डेटा की सुरक्षा के लिये मज़बूत साइबर सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करना आवश्यक है। नैतिक चिंताएँ तब उत्पन्न होती हैं जब सरकारें इस डेटा की पर्याप्त सुरक्षा करने में विफल हो जाती हैं।
- डेटा उल्लंघन: संवेदनशील जानकारी लीक हो जाने से संबंधित डेटा उल्लंघन की घटनाओं के व्यक्तियों के लिये गंभीर परिणाम हो सकते हैं। नैतिक दुविधाएँ तब उत्पन्न होती हैं जब सरकारों को ऐसे उल्लंघनों के लिये ज़िम्मेदार पाया जाता है, जिससे सरकार पर लोगों के विश्वास में कमी आती है।
- पारदर्शिता और जवाबदेहिता:
- पारदर्शिता का अभाव: सरकारी एजेंसियों द्वारा डेटा संग्रह, भंडारण और उपयोग के संदर्भ में अपारदर्शिता प्रदर्शित करने से डेटा के दुरुपयोग के बारे में संदेह उत्पन्न हो सकता है। विश्वास निर्माण हेतु इन प्रक्रियाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है।
- जवाबदेहिता की कमी: जब सार्वजनिक क्षेत्रक में डेटा का दुरुपयोग होता है, तो सरकारी पदानुक्रम की जटिलता के कारण व्यक्तियों या एजेंसियों को जवाबदेह ठहराना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। नैतिक चिंताएँ तब उत्पन्न होती हैं जब डेटा उल्लंघनों या गोपनीयता संबंधी उल्लंघनों के लिये ज़िम्मेदार लोगों को दंडित नहीं किया जाता है।
- बायोमेट्रिक्स और उभरती प्रौद्योगिकियाँ:
- बायोमेट्रिक डेटा: पहचान संबंधी उद्देश्यों के लिये बायोमेट्रिक्स के उपयोग से सुरक्षा को बढ़ावा मिल सकता है लेकिन ऐसे व्यक्तिगत डेटा के संभावित दुरुपयोग के संबंध में नैतिक चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI): सार्वजनिक क्षेत्रक में AI को अपनाने से एल्गोरिदम तथा निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में पूर्वाग्रह से संबंधित नैतिक दुविधाएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इस संदर्भ में निष्पक्षता और समानता सुनिश्चित करना एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है।
निष्कर्ष:
शासन में प्रौद्योगिकी और डेटा के बढ़ते उपयोग से सार्वजनिक क्षेत्रक में डिजिटल गोपनीयता तथा डेटा सुरक्षा से संबंधित महत्त्वपूर्ण नैतिक चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं। इन नैतिक चुनौतियों से निपटने के लिये व्यापक कानून, पारदर्शी नीतियों, साइबर सुरक्षा पहलों एवं निरंतर मूल्यांकन की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नागरिकों के अधिकारों तथा गोपनीयता की सुरक्षा करते हुए डिजिटल शासन के लाभों को प्राप्त किया जा सके। डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 भारत में व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण के लिये एक रूपरेखा प्रदान करता है, जो इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।