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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    आप एक आईपीएस अधिकारी हैं जो ऐसे क्षेत्र में तैनात हैं जहाँ सांप्रदायिक तनाव बहुत ज़्यादा फैला हुआ है। एक दिन, एक समुदाय द्वारा धार्मिक जुलूस निकाला जा रहा था। जैसे ही वे दूसरे समुदाय के प्रभुत्व वाले इलाके में पहुँचे, अचानक गोलीबारी शुरू हो गई, जिसके परिणामस्वरूप जुलूस में शामिल कई लोग घायल हो गए और उन्हें बंधक बना लिया गया। जब आप स्थिति को नियंत्रित करने के लिये पुलिस बल भेजते हैं, तो बल भी हमलावरों द्वारा पीछे धकेल दिया जाता है। बंधकों में ऐसे व्यक्ति भी हैं जो गंभीर रूप से घायल हैं और उन्हें तत्काल चिकित्सा उपचार की आवश्यकता है।

    1. इस स्थिति में आपको किन नैतिक दुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है?
    2. संकट को हल करने के लिये आप कौन-से संभावित कदम उठा सकते हैं?
    3. आप नैतिक सिद्धांतों और मूल्यों के संदर्भ में अपनी चुनी हुई कार्रवाई को कैसे उचित ठहराएँगे?

    08 Sep, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • इस मामले का संक्षेप में परिचय देते हुए इसमें शामिल हितधारकों का उल्लेख कीजिये।
    • इस मामले में शामिल नैतिक दुविधाओं पर चर्चा कीजिये। उपलब्ध कार्रवाइयों के संभावित प्रभावों का विश्लेषण करते हुए कार्रवाई का सर्वोत्तम तरीका चुनने के साथ प्रासंगिक तर्कों के साथ अपनी कार्रवाई को उचित ठहराइए।
    • अपने उत्तर को संक्षेप में प्रस्तुत करते हुए निष्कर्ष दीजिये।

    इस मामले में सांप्रदायिक तनाव वाले क्षेत्र में तैनात एक आईपीएस अधिकारी के रूप में, मुझे जटिल और अत्यधिक अस्थिर स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। इसमें एक समुदाय द्वारा निकाला गया धार्मिक जुलूस दूसरे समुदाय के प्रभुत्व वाले क्षेत्र से गुजरते समय हिंसक संघर्ष में बदल गया। अचानक हुई गोलीबारी के परिणामस्वरूप जुलूस में शामिल कई लोग घायल हो गए और उन्हें बंधक बना लिया गया, यहाँ तक कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिये मैंने जो पुलिस बल भेजा था, उसे भी हमलावरों ने शिकार बनाया। बंधकों में ऐसे व्यक्ति भी हैं जो गंभीर रूप से घायल हैं और जिन्हें तत्काल चिकित्सा उपचार की आवश्यकता है।

    इस मामले में शामिल हितधारक:

    • घायल बंधक
    • धार्मिक समुदाय
    • सामुदायिक नेता
    • पुलिस बल
    • आईपीएस अधिकारी (स्वयं मैं)
    • सरकारी प्राधिकारी
    • मीडिया
    • जनता

    A. एक आईपीएस अधिकारी के रूप में मेरे समक्ष आने वाली नैतिक दुविधाएँ:

    • सामुदायिक तनाव को संतुलित करना बनाम सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करना: एक आईपीएस अधिकारी के रूप में मुझे हस्तक्षेप के माध्यम से सांप्रदायिक तनाव को बढ़ने से रोकने की ज़िम्मेदारी के साथ सार्वजनिक सुरक्षा के लिये संभावित खतरों को कम करने की अनिवार्यता को संतुलित करना चाहिये।
    • बल का उपयोग बनाम नुकसान को कम करना: एक आईपीएस अधिकारी के रूप में मुझे स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिये आवश्यक बल का उपयोग करने के कर्तव्य और बंधकों तथा कानून प्रवर्तन अधिकारियों सहित नागरिकों के नुकसान को कम करने के दायित्व के बीच संतुलन बनाना होगा।
    • चिकित्सा देखभाल को प्राथमिकता देना बनाम व्यवस्था बहाल करना: एक आईपीएस अधिकारी के रूप में मुझे हमलावरों को दंडित करने के क्रम में कानून और व्यवस्था बहाल करने की अनिवार्यता के बजाय घायल बंधकों को तत्काल चिकित्सा देखभाल प्रदान करने पर विचार करना चाहिये।

    B. संकट को हल करने के लिये उठाए जा सकने वाले संभावित कदम:

    • तत्काल चिकित्सा सहायता: मैं गंभीर रूप से घायल बंधकों के तत्काल चिकित्सा उपचार को प्राथमिकता दूँगा, भले ही वे किसी भी समुदाय से जुड़े हों। यह मानव जीवन के मूल्य के प्रति मेरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
    • संचार और बातचीत: मैं बातचीत और शांतिपूर्ण समाधान की सुविधा के लिये दोनों पक्षों के समुदाय के नेताओं और प्रभावशाली व्यक्तियों के साथ बातचीत शुरू करूँगा। यह दृष्टिकोण शांतिपूर्ण तरीकों से संघर्ष समाधान के मेरे नैतिक सिद्धांत के अनुरूप है।
    • न्यूनतम बल का उपयोग: मैं पुलिस बल को स्थिति को नियंत्रित करने और निर्दोष लोगों की रक्षा के लिये आवश्यक न्यूनतम बल का उपयोग करने के लिये अधिकृत करूँगा। मैं सुनिश्चित करूँगा कि बल का प्रयोग आनुपातिक रूप से किया जाए और हिंसा से बचा जाए।
    • तटस्थ उपस्थिति: मैं एक विविध और तटस्थ पुलिस बल तैनात करूँगा जो व्यापक समुदाय का प्रतिनिधित्व करता हो एवं जिससे पक्षपात का आभास नहीं हो। यह निष्पक्षता के मेरे नैतिक मूल्य को दर्शाता है।
    • कानूनी कार्रवाई: मैं गोलीबारी के लिये ज़िम्मेदार हमलावरों की पहचान करूँगा और यह सुनिश्चित करूँगा कि उन्हें कानून के तहत जवाबदेह ठहराया जाए। विधि के शासन को बनाए रखना एक मौलिक नैतिक सिद्धांत है।
    • पारदर्शिता और जवाबदेहिता: मैं इस घटना की गहन और निष्पक्ष जाँच करूँगा, जिसके मूल में पारदर्शिता और जवाबदेही होगी। मैं यह सुनिश्चित करूँगा कि किसी भी पुलिस कदाचार का तुरंत और निष्पक्षता से समाधान किया जाए।
    • सामुदायिक समन्वय: मैं दीर्घकालिक शांति और मेल-मिलाप को बढ़ावा देने के लिये दोनों समुदायों के बीच सामुदायिक समन्वय और संवाद को बढ़ावा दूँगा। मैं उन्हें भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिये मिलकर कार्य करने हेतु प्रोत्साहित करूँगा।

    C. मेरी कार्रवाई को उचित ठहराने वाले नैतिक सिद्धांत और मूल्य:

    • मानवाधिकार: मैं इसमें शामिल सभी व्यक्तियों के जीवन और कल्याण की सुरक्षा को प्राथमिकता दूँगा, चाहे वे किसी भी समुदाय से जुड़े हों। यह मूल्य मानवाधिकारों का सम्मान करने के मेरे मूल मूल्यों के अनुरूप है।
    • विधि का शासन: हमारे समाज में न्याय एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिये विधि के शासन को बनाए रखना महत्त्वपूर्ण है। मेरा मानना है कि इस मूलभूत सिद्धांत को मज़बूत करने के लिये हिंसा के लिये ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना आवश्यक है।
    • निष्पक्षता: मेरा मानना है कि यह सुनिश्चित करना कि पुलिस बल निष्पक्ष रहे और किसी भी समुदाय के साथ पक्षपात न करे, इस प्रक्रिया में विश्वास और निष्पक्षता बनाए रखने के लिये आवश्यक है।
    • पारदर्शिता और जवाबदेही: मैं निष्पक्ष और पारदर्शी जाँच करने तथा किसी भी प्रकार के गलत कार्य करने वालों को जवाबदेह ठहराने की वकालत करूँगा। मेरे विचार से, यह न्याय और नैतिक आचरण के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
    • संघर्ष समाधान: मैं संघर्ष समाधान के प्रभावी साधन के रूप में बातचीत और समन्वय को बढ़ावा दूँगा। मेरा मानना है कि इन दृष्टिकोणों को अपनाना विवादों को सुलझाने के क्रम में शांतिपूर्ण एवं नैतिक तरीकों के प्रति समर्पण को दर्शाता है।

    मेरी कार्रवाई का उद्देश्य लोगों के जीवन की रक्षा करना, विधि का शासन बनाए रखना तथा न्याय और निष्पक्षता के नैतिक सिद्धांतों को बनाए रखते हुए समुदाय में शांति और समन्वय को बढ़ावा देना होगा।

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