भारतीय समाज पर वैश्वीकरण के प्रभावों की चर्चा कीजिये। इसने महिलाओं और हाशिये पर रहने वाले समूहों के सामाजिक सशक्तिकरण को किस प्रकार प्रभावित किया है? (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- वैश्वीकरण का संक्षिप्त परिचय देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- भारतीय समाज पर वैश्वीकरण के प्रभावों की चर्चा कीजिये।
- बताइये कि इसने महिलाओं और हाशिये पर रहने वाले समूहों के सामाजिक सशक्तिकरण को किस प्रकार प्रभावित किया है।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
वैश्वीकरण विभिन्न देशों के लोगों, कंपनियों और सरकारों के बीच वार्ता, एकता एवं परस्पर निर्भरता की प्रक्रिया को संदर्भित करता है। इसमें राजनीतिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक अभिव्यक्ति शामिल है। समाज पर वैश्वीकरण के सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों परिणाम देखे जाते हैं।
मुख्य भाग:
- आर्थिक प्रभाव:
- वैश्वीकरण से भारत में व्यापार, निवेश, वृद्धि और विकास के नए अवसर सृजित हुए हैं।
- इससे प्रतिस्पर्धा, असमानता, बेरोज़गारी और पर्यावरणीय क्षरण को भी बढ़ावा मिला है।
- वैश्वीकरण के लाभ और लागत, समाज के विभिन्न क्षेत्रों और वर्गों के बीच समान रूप से वितरित नहीं हुए हैं।
- राजनीतिक प्रभाव:
- वैश्वीकरण से वैश्विक स्तर पर भारत की भूमिका और प्रभाव को बढ़ावा मिला है। इससे भारत को आतंकवाद, साइबर अपराध, क्षेत्रीय संघर्ष और मानवाधिकार उल्लंघन जैसी विभिन्न चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा है।
- वैश्वीकरण ने भारत में लोकतंत्र, संघवाद और शासन की कार्यप्रणाली को भी प्रभावित किया है।
- सामाजिक प्रभाव:
- वैश्वीकरण से विश्व भर के लोगों के बीच विचारों, मूल्यों, संस्कृतियों और जीवन शैली का आदान-प्रदान सुविधाजनक हुआ है।
- इससे प्रवासन, शहरीकरण, उपभोक्तावाद, व्यक्तिवाद और पहचान संकट जैसे नए सामाजिक मुद्दे भी सामने आए हैं। वैश्वीकरण ने भारत में महिलाओं और हाशिये पर रहने वाले समूहों के सामाजिक सशक्तिकरण को भी विभिन्न तरीकों से प्रभावित किया है जैसे:
- महिलाएँ:
- वैश्वीकरण ने महिलाओं को शिक्षा, रोज़गार, उद्यमिता और राजनीति में भाग लेने के अधिक अवसर प्रदान किये हैं। इससे उनकी जागरूकता, गतिशीलता और स्वायत्तता भी बढ़ी है।
- हालाँकि वैश्वीकरण से महिलाओं को शोषण, भेदभाव, हिंसा और असुरक्षा के नए रूपों का भी सामना करना पड़ा है। इसने महिलाओं की पारंपरिक एवं आधुनिक भूमिकाओं और अपेक्षाओं के बीच संघर्ष भी उत्पन्न हुआ है।
- वंचित समूह:
- वैश्वीकरण ने हाशिये पर रहने वाले कुछ समूहों जैसे कि दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और LGBTQ+ को अपने अधिकारों, पहचान और गरिमा पर बल देने में सक्षम बनाया है।
- इससे उन्हें नए संसाधनों, नेटवर्क और प्लेटफार्मों तक पहुँच भी प्रदान हुई है।
- हालाँकि वैश्वीकरण से इनके बहिष्कार और उत्पीड़न को भी बढ़ावा मिला है। इससे उनकी संस्कृति, आजीविका और पर्यावरण को भी खतरा उत्पन्न हुआ है।
निष्कर्ष:
वैश्वीकरण एक जटिल और गतिशील घटना है जिसका भारतीय समाज पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से प्रभाव पड़ा है। इसने महिलाओं और हाशिये पर रहने वाले समूहों के सामाजिक सशक्तिकरण को विभिन्न तरीकों से प्रभावित किया है। भारत के लिये वैश्वीकरण के अवसरों और जोखिमों को संतुलित करने के साथ यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि इसके लाभ समाज के सभी वर्गों के लिये उपलब्ध हों।