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प्रश्न :
वैश्विक राजनीति और आर्थिक व्यवस्था पर प्रथम विश्व युद्ध के प्रभावों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)
17 Jul, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- प्रथम विश्व युद्ध का संक्षिप्त परिचय देते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- वैश्विक राजनीति और आर्थिक व्यवस्था पर प्रथम विश्व युद्ध के प्रभावों की चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) एक वैश्विक संघर्ष था जिसमें विश्व की अधिकांश प्रमुख शक्तियाँ शामिल थीं और इसके परिणामस्वरूप काफी विनाश हुआ था। इसका विश्व की राजनीति और आर्थिक व्यवस्था पर भी दूरगामी प्रभाव पड़ा था क्योंकि इससे शक्ति संतुलन, क्षेत्रों के मानचित्र एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की प्रकृति को नया आकार मिला।
मुख्य भाग:
- शक्ति संतुलन:
- इस युद्ध ने ब्रिटेन, फ्राँस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, रूस और ऑटोमन तुर्की जैसे पुराने यूरोपीय साम्राज्यों को कमजोर कर दिया एवं संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान तथा सोवियत संघ जैसी नई शक्तियों का उदय हुआ। इस युद्ध के कारण एशिया, अफ्रीका और मध्य पूर्व में राष्ट्रवादी आंदोलनों का उदय हुआ, जिससे पश्चिम के औपनिवेशिक प्रभुत्व को चुनौती मिली थी।
- इस युद्ध से लोकतंत्र और पूंजीवाद की वैकल्पिक विचारधाराओं के रूप में फासीवाद और साम्यवाद के उदय का मार्ग भी प्रशस्त हुआ था।
- विभिन्न क्षेत्रों का मानचित्र परिवर्तन:
- इस युद्ध के परिणामस्वरूप यूरोप तथा मध्य पूर्व के मानचित्र का फिर से निर्धारण हुआ, क्योंकि पुराने साम्राज्यों के विघटन से नए राज्य बनाए गए या विस्तारित किये गए। उदाहरण के लिये पोलैंड, चेकोस्लोवाकिया, यूगोस्लाविया, फिनलैंड, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, तुर्की, इराक, सीरिया, लेबनान, फिलिस्तीन और जॉर्डन कुछ नए या संशोधित राज्य थे जिनका उदय युद्ध के बाद हुआ था।
- इस युद्ध के कारण राष्ट्र संघ का गठन भी हुआ था जो एक सामूहिक सुरक्षा प्रणाली स्थापित करने तथा भविष्य के युद्धों को रोकने का एक प्रयास था।
- अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की प्रकृति:
- इस युद्ध से बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था का परिवर्तन द्विध्रुवीय विश्व व्यवस्था में हुआ, क्योंकि युद्ध के बाद दो प्रतिद्वंद्वी गुट उभरे: मित्र राष्ट्र (ब्रिटेन, फ्राँस और संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में) और धुरी राष्ट्र (जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और इटली के नेतृत्व में)।
- इस युद्ध में रासायनिक हथियार, पनडुब्बियों, टैंक एवं हवाई जहाज के उपयोग के साथ युद्ध के नए रूप देखने को मिले।
- इस युद्ध ने विदेश नीति संबंधी निर्णयों को प्रभावित करने में जनमत और जनसंचार माध्यमों की भूमिका भी बढ़ा दी।
- विचारधाराओं की भूमिका:
- इस युद्ध ने राष्ट्रवाद, साम्राज्यवाद, उदारवाद और समाजवाद जैसी मौजूदा विचारधाराओं की कमियों और विरोधाभासों को उजागर किया। इसने फासीवाद (इटली और जर्मनी में) तथा साम्यवाद (रूस में) जैसी नई विचारधाराओं को भी प्रेरित किया।
- इस युद्ध के उपरांत कई बुद्धिजीवियों और कलाकारों ने सभ्यता के मूल्यों और अर्थों पर सवाल उठाया।
निष्कर्ष:
प्रथम विश्व युद्ध, विश्व इतिहास की एक ऐसी ऐतिहासिक घटना थी जिसने वैश्विक राजनीति और आर्थिक व्यवस्था को बदल दिया। इसने राष्ट्रों के बीच शक्ति संतुलन को बदलने के साथ क्षेत्रों के मानचित्र को बदलने एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और सहयोग की प्रकृति को नया आकार देने में भूमिका निभाई। इस युद्ध से 20वीं सदी में द्वितीय विश्व युद्ध, शीत युद्ध, उपनिवेशवाद से मुक्ति, वैश्वीकरण और आतंकवाद जैसे अन्य संघर्षों और संकटों के लिये भी मंच तैयार हुआ।
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