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प्रश्न :
भारत में खालिस्तान मुद्दे के कारण और निहितार्थ क्या हैं? भारत किस प्रकार से खालिस्तान मुद्दे को हल कर सकता है? (250 शब्द)
12 Jul, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- खालिस्तान मुद्दे का संक्षिप्त परिचय देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- खालिस्तान मुद्दे के कारण और निहितार्थ बताइये।
- खालिस्तान मुद्दे के समाधान हेतु भारत द्वारा किये गए उपायों की व्याख्या कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- खालिस्तान मुद्दा, सिख अलगाववादी आंदोलन से संबंधित है जिसका उद्देश्य पंजाब क्षेत्र में अलग सिख मातृभूमि स्थापित करना है।
- इस आंदोलन की जड़ें उन ऐतिहासिक, धार्मिक, भाषाई और राजनीतिक कारकों में निहित हैं जिन्होंने सिख पहचान और चेतना को आकार दिया है।
- इस आंदोलन के कारण हिंसा, आतंकवाद, सांप्रदायिक दंगे और मानवाधिकारों का उल्लंघन होने जैसी घटनाएँ हुई हैं जिससे भारत और सिख समुदाय दोनों प्रभावित हुए हैं।
मुख्य भाग:
खालिस्तान मुद्दे के कारण:
- वर्ष 1947 में भारत का विभाजन होने के परिणामस्वरूप पंजाब का विभाजन हुआ जिससे सिखों के पवित्र स्थलों का भी विभाजन हुआ।
- वर्ष 1966 में भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के अंतर्गत सिख-बहुल पंजाब का निर्माण हुआ लेकिन इसके क्षेत्रीय आकार और आर्थिक क्षमता में कमी आई।
- वर्ष 1973 का आनंदपुर साहिब प्रस्ताव (जिसमें पंजाब के लिये अधिक स्वायत्तता और सांस्कृतिक अधिकारों की मांग की गई थी) लाया गया था लेकिन केंद्र सरकार द्वारा इसे अलगाववादी खतरे के रूप में देखा गया था।
- जरनैल सिंह भिंडरा वाले का उदय (एक उग्रवादी नेता जिन्होंने अलग खालिस्तान की वकालत की और हिंदू बहुसंख्यकों द्वारा किये जाने वाले कथित उत्पीड़न और भेदभाव के खिलाफ अपने अनुयायियों को संगठित किया)।
- वर्ष 1984 का ऑपरेशन ब्लू स्टार (जो भिंडरा वाले और उसके समर्थकों को बाहर निकालने के लिये सिखों के सबसे पवित्र मंदिर स्वर्ण मंदिर पर एक सैन्य हमला था)। इसके परिणामस्वरूप व्यापक स्तर पर जन-धन की हानि हुई और सिखों में व्यापक गुस्सा और आक्रोश फैल गया।
- वर्ष 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या (जिससे पूरे भारत में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे, हजारों सिख मारे गए और कई को विस्थापित होना पड़ा)।
- विभिन्न उग्रवादी समूहों और गुटों का उदय होना (जिससे 1980 और 1990 के दशक में भारत और विदेश में राज्य और नागरिकों के खिलाफ हिंसक हमले किये गए)।
खालिस्तान मुद्दे के निहितार्थ:
- हिंसा एवं आतंकवाद विरोधी कार्रवाई और सांप्रदायिक झड़पों के कारण जन-धन की हानि हुई।
- पंजाब और पूरे भारत में विभिन्न समुदायों (विशेषकर हिंदुओं और सिखों के बीच) विश्वास, सद्भाव और सहयोग में कमी आई।
- सिख युवाओं के कुछ वर्गों में अलगाव हुआ (जो मुख्यधारा के समाज और राजनीति में भेदभाव महसूस करते थे)।
- इस क्षेत्र में पाकिस्तान जैसी बाहरी ताकतों का हस्तक्षेप हुआ तथा इन्होंने अपने हितों के लिये कुछ खालिस्तानी समूहों का समर्थन और वित्त पोषण किया।
- इससे विविधता और बहुलवाद का सम्मान करने वाले एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में भारत की छवि और प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ।
खालिस्तान मुद्दे के समाधान हेतु उपाय:
- वार्ता करना:
- भारत सरकार को नरमपंथियों, कट्टरपंथियों और प्रवासी समूहों सहित सिख समुदाय के विभिन्न वर्गों के साथ बातचीत करनी चाहिये ताकि उनकी शिकायतों, आकांक्षाओं और दृष्टिकोणों को समझा जा सके।
- यह बातचीत आपसी सम्मान, विश्वास और सद्भावना पर आधारित होनी चाहिये और इसका लक्ष्य विवादास्पद मुद्दों पर आम सहमति बनाना होना चाहिये।
- विकास:
- भारत सरकार को पंजाब के आर्थिक विकास में निवेश करना चाहिये और यह सुनिश्चित करना चाहिये कि उसे संसाधनों, अवसरों और लाभों का उचित हिस्सा मिले।
- सरकार को पंजाब में व्याप्त बेरोज़गारी, नशीली दवाओं के दुरुपयोग, पर्यावरण क्षरण और कृषि संकट की समस्याओं का भी समाधान करना चाहिये।
- सरकार द्वारा पंजाब की संस्कृति, विरासत और पर्यटन क्षमता को भी बढ़ावा देना चाहिये।
- न्याय:
- भारत सरकार को खालिस्तान आंदोलन के दौरान हुई हिंसा और मानवाधिकार उल्लंघन के पीड़ितों के लिये न्याय सुनिश्चित करना चाहिये।
- सरकार को सिख विरोधी दंगों और अन्य अपराधों के अपराधियों को भी दंडित करना चाहिये।
- सरकार को इससे प्रभावित परिवारों और समुदायों को मुआवजा प्रदान करने के साथ उनका पुनर्वास करना चाहिये।
- आक्रामक कूटनीति अपनाना:
- सरकार को कनाडा जैसे विदेशी क्षेत्रों में इस संदर्भ में होने वाले दुष्प्रचार का मुकाबला करने के लिये आक्रामक कूटनीति अपनानी चाहिये।
निष्कर्ष:
- खालिस्तान मुद्दा एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है जिसके लिये सरकार को समग्र और समावेशी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
- सरकार को भारत की एकता और अखंडता की रक्षा करते हुए सिख समुदाय की वैध शिकायतों और आकांक्षाओं को शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से हल करना चाहिये।
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