• प्रश्न :

    भारत में सिविल सेवकों के आचरण का मार्गदर्शन करने वाले नैतिक मूल्य और सिद्धांत कौन से हैं? यह किसी व्यक्ति के नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों से किस प्रकार भिन्न होते हैं? (250 शब्द)

    06 Jul, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • इस संदर्भ में संक्षिप्त परिचय देने के साथ प्रमुख नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों की व्याख्या करते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • बताइये कि यह किसी व्यक्ति के नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों से किस प्रकार भिन्न हैं।
    • तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    नैतिक मूल्य व्यक्तिपरक या व्यक्तिगत निर्णय से संबंधित हैं जिससे निर्धारित होता है कि जीवन में क्या महत्त्वपूर्ण या वांछनीय है। यह किसी की प्राथमिकताओं, विश्वासों और भावनाओं को दर्शाते हैं। उदाहरण के लिये कुछ लोग ईमानदारी, स्वतंत्रता, खुशी आदि को महत्त्व दे सकते हैं।

    नैतिक सिद्धांत ऐसे नियम या मानक हैं जो नैतिक व्यवहार के निर्धारण के साथ निर्णय लेने में मार्गदर्शन करते हैं। यह नैतिक मूल्यों की तुलना में अधिक वस्तुनिष्ठ और सार्वभौमिक होते हैं। सही या गलत का मूल्यांकन होने के साथ इससे निर्णय प्रभावित होते हैं। उदाहरण के लिये उपयोगितावाद, सार्वभौमिकता, न्याय, अधिकार, सदाचार आदि कुछ नैतिक सिद्धांत हैं।

    मुख्य भाग:

    नोलन समिति के अनुसार कुछ प्रमुख नैतिक मूल्य और सिद्धांत निम्नलिखित हैं:

    • निःस्वार्थता:
      • सार्वजनिक अधिकारियों/नौकरशाहों को लोकहित के संदर्भ में निर्णय लेना चाहिये। उन्हें अपने व अपने परिवार या अपने दोस्तों के लिये वित्तीय या अन्य भौतिक लाभ हेतु निर्णय नहीं लेना चाहिये।
    • सत्यनिष्ठा:
      • नौकरशाहों को ऐसे किसी वित्तीय या अन्य दायित्व के अधीन बाहरी व्यक्तियों या संगठनों के तहत नहीं होना चाहिये जिससे उनके आधिकारिक कर्त्तव्य प्रभावित हों।
    • वस्तुनिष्ठता:
      • सार्वजनिक कामकाज, नियुक्तियाँ करने, अनुबंध या पुरस्कार और लाभ के लिये लोगों की सिफारिश करने में नौकरशाहों को योग्यता को आधार बनाना चाहिये।
    • जवाबदेहिता:
      • नौकरशाह अपने निर्णयों और कार्यों के लिये जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं और उन्हें अपने पद को भी जाँच/समीक्षा के अधीन रखना चाहिये।
    • खुलापन:
      • नौकरशाहों के सभी निर्णयों और कार्यों में खुलापन होना चाहिये। उन्हें अपने निर्णयों का स्पष्ट कारण देना चाहिये तथा सूचना तभी प्रतिबंधित करनी चाहिये जब व्यापक जन-हित की मांग हो।
    • ईमानदारी:
      • नौकरशाह का यह कर्त्तव्य है कि वह अपने सार्वजनिक कर्त्तव्यों से संबंधित निजी हितों की घोषणा करे और ऐसे किसी विरोध के समाधान के लिये आवश्यक कदम उठाए जो सार्वजनिक हितों की रक्षा करने में बाधक हो।
    • नेतृत्व:
      • नौकरशाहों को अपने नेतृत्व द्वारा उदाहरण पेश करते हुए इन सिद्धांतों को विकसित करने के साथ इनका समर्थन करना चाहिये।

    ये नैतिक मूल्य और सिद्धांत किसी व्यक्ति के नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों से निम्नलिखित तरीकों से भिन्न हैं:

    • सिविल सेवकों के नैतिक मूल्य और सिद्धांत तथा अधिकार बाहरी स्रोतों जैसे संविधान, कानून या निर्धारित सहिंता पर आधारित होते हैं जबकि व्यक्तिगत नैतिक मूल्य और सिद्धांत विवेक और दृढ़ विश्वास के आंतरिक स्रोतों जैसे धर्म, संस्कृति या व्यक्तिगत मान्यताओं पर आधारित होते हैं।
    • सिविल सेवकों के नैतिक मूल्य और सिद्धांत सार्वभौमिक या समान होते हैं और सभी सिविल सेवकों पर लागू होते हैं, चाहे उनकी व्यक्तिगत या व्यावसायिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो, जबकि व्यक्तिगत नैतिक मूल्य और सिद्धांत विभिन्न व्यक्तियों के बीच उनके व्यक्तिगत या व्यावसायिक संदर्भों के आधार पर विविध, व्यक्तिपरक और परिवर्तनशील होते हैं।
    • सिविल सेवकों के नैतिक मूल्य और सिद्धांत प्रासंगिक अधिकारियों या तंत्रों जैसे न्यायालयों या अन्य संस्थानों द्वारा लागू करने योग्य और मापने योग्य होते हैं, जबकि व्यक्तिगत नैतिक मूल्य और सिद्धांत किसी भी बाहरी प्राधिकरण या तंत्र द्वारा लागू करने योग्य और मापने योग्य नहीं होते हैं।

    निष्कर्ष:

    जब सिविल सेवकों को दो या दो से अधिक परस्पर विरोधी विकल्पों के बीच चयन करना होता है तो उन्हें नैतिक दुविधाओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में परामर्श करके, विश्लेषण करके और सार्थक विकल्प ढूँढकर इन्हें निर्णय लेने की आवश्यकता होती है।