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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    दिल्ली में फ्रंटियर मुख्यालय में कमांडेंट (प्रशासन) के रूप में तैनात रहे एक सिविल सेवक पर व्यक्तिगत वित्तीय लाभ के लिये वित्तीय अनियमितताओं में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। उन पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने अवकाश यात्रा रियायत (LTC) से संबंधित हवाई टिकटों की बुकिंग में धोखाधड़ी गतिविधियों में शामिल होने के क्रम में अधीनस्थों को प्रभावित करने के लिये अपने पद का दुरुपयोग किया है। इन अनियमितताओं में व्यक्तिगत क्रेडिट कार्ड का उपयोग और LTC टिकटों में हेराफेरी करना शामिल था, जिसके परिणामस्वरूप भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला।

    इस संदर्भ में वित्तीय अनियमितताओं और आधिकारिक पद के दुरुपयोग में सिविल सेवक की संलग्नता के नैतिक निहितार्थों पर चर्चा कीजिये। इससे लोगों के विश्वास के साथ संगठन की सत्यनिष्ठा किस प्रकार प्रभावित होती है?

    30 Jun, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • परिचय: इस मामले को संक्षेप में बताते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • मुख्य भाग: इसमें शामिल नैतिक निहितार्थों का उल्लेख करते हुए बताइये कि यह लोक विश्वास और संगठन की सत्यनिष्ठा को कैसे प्रभावित करता है।
    • निष्कर्ष: अपने उत्तर को संक्षेप में लिखते हुए निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    वित्तीय अनियमितताओं के साथ अपने आधिकारिक पद के दुरुपयोग में सिविल सेवक की संलिप्तता के नैतिक निहितार्थ महत्त्वपूर्ण और दूरगामी होते हैं। इस तरह के कार्यों से लोगों के विश्वास के साथ संगठन की सत्यनिष्ठा पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

    मुख्य भाग:

    नैतिक निहितार्थ और लोक विश्वास पर इसका प्रभाव:

    • सत्यनिष्ठा का उल्लंघन:
      • सिविल सेवक की वित्तीय अनियमितताओं में संलिप्तता और आधिकारिक पद का दुरुपयोग सत्यनिष्ठा का उल्लंघन है।
      • एक सार्वजनिक अधिकारी के रूप में सिविल सेवक से ईमानदारी, पारदर्शिता एवं जवाबदेहिता के सिद्धांतों के आधार पर ईमानदारी और भरोसेमंद तरीके से कार्य करने की अपेक्षा की जाती है।
      • इस मामले में व्यक्तिगत वित्तीय लाभ के लिये धोखाधड़ीपूर्ण गतिविधियों में शामिल होकर सिविल सेवक ने संगठन के साथ लोगों के विश्वास को तोड़ा है।
    • लोक विश्वास का उल्लंघन:
      • लोक अधिकारियों को सार्वजनिक हितों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी जाती है।
      • जब कोई सिविल सेवक व्यक्तिगत लाभ के लिये अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करता है तो इससे संगठन के साथ संपूर्ण सार्वजनिक प्रशासनिक प्रणाली में लोगों का विश्वास खत्म हो जाता है।
      • लोगों को सार्वजनिक अधिकारियों से समाज के सर्वोत्तम हित में कार्य करने की अपेक्षा होती है और इस विश्वास का कोई भी उल्लंघन संगठन की विश्वसनीयता और वैधता को कमजोर करता है।
    • संगठनात्मक प्रतिष्ठा को नुकसान होना:
      • इस मामले में वित्तीय अनियमितताओं में सिविल सेवक की संलिप्तता से संगठन की प्रतिष्ठा धूमिल होना शामिल है।
      • संगठन की सत्यनिष्ठा और विश्वसनीयता उसके अधिकारियों के कार्यों से गहराई से जुड़ी होती है।
      • जब एक उच्च-रैंक वाला अधिकारी अनैतिक कार्यों में संलिप्त होता है तो इससे संगठन के अंदर समग्र नैतिक संस्कृति पर प्रश्नचिन्ह लगता है तथा जनता एवं अन्य हितधारकों की नज़र में इसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँच सकता है।
    • निष्पक्षता और समानता का कमज़ोर होना:
      • आधिकारिक पद के दुरुपयोग और वित्तीय अनियमितताओं से असमानता का माहौल बनता है।
      • जब लोक अधिकारी भ्रष्टाचार गतिविधियों में संलग्न होते हैं तो वे दूसरों (जो अधिक योग्य हो सकते हैं) की कीमत पर व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करते हैं।
      • इससे योग्यता और निष्पक्षता के सिद्धांत (जिन पर लोक प्रशासन आधारित होना चाहिये) धूमिल होते हैं।
    • कर्मचारियों के मनोबल पर प्रभाव:
      • इस मामले में सिविल सेवक के कार्यकलाप संगठन के अंदर अन्य कर्मचारियों के मनोबल पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं।
      • जब कर्मचारी वरिष्ठ अधिकारियों को अनैतिक व्यवहार में संलग्न होते देखते हैं तो इससे उनका मनोबल गिर सकता है और अन्य कर्मचारियों के बीच नैतिक आचरण के प्रति प्रतिबद्धता में कमी आ सकती है।
      • इससे भ्रष्टाचार की संस्कृति को और बढ़ावा मिल सकता है एवं ईमानदारी के साथ संगठन की कार्य करने की क्षमता से समझौता हो सकता है।

    निष्कर्ष:

    वित्तीय अनियमितताओं एवं आधिकारिक पद के दुरुपयोग में सिविल सेवक की संलिप्तता के महत्त्वपूर्ण नैतिक निहितार्थ होते हैं। इससे लोक विश्वास कमजोर होने के साथ संगठन की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचता है तथा लोक प्रशासन की समग्र नैतिक संस्कृति पर प्रश्नचिन्ह लगता है। लोक विश्वास तथा संगठन की सत्यनिष्ठा को बनाए रखने के लिये सत्यनिष्ठा, पारदर्शिता और जवाबदेहिता जैसे मूल्यों को बनाए रखना आवश्यक है। ऐसे नैतिक उल्लंघनों को प्रभावी ढंग से हल करने एवं लोगों का विश्वास बहाल करने के साथ यह सुनिश्चित करने के प्रयास किये जाने चाहिये कि भविष्य में होने वाली इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिये प्रभावी तंत्र मौजूद हैं।

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