भारतीय समाज की विविधता और बहुलवाद पर वैश्वीकरण के प्रभावों की चर्चा कीजिये। अपने उत्तर के समर्थन में उपयुक्त उदाहरण दीजिये। (150 शब्द)
19 Jun, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाज
हल करने का दृष्टिकोण:
|
भूमिका:
वैश्वीकरण वस्तुओं, सेवाओं, सूचना, विचारों और प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान के माध्यम से देशों और उनकी अर्थव्यवस्थाओं की बढ़ती अंतर्संबंध और अन्योन्याश्रितता को संदर्भित करता है। वैश्वीकरण ने विभिन्न तरीकों से भारतीय समाज की विविधता और बहुलवाद को प्रभावित किया है। इसने संस्कृतियों, विचारों और मूल्यों की परस्पर क्रिया को उज़ागर किया है, जिससे सकारात्मक और नकारात्मक दोनों परिणाम उत्पन्न हुए हैं।
मुख्य भाग:
सकारात्मक पक्ष में, वैश्वीकरण ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान को सक्षम बनाया है। उदाहरण के लिये लोग विभिन्न प्रकार के भोजन का आनंद ले सकते हैं और दुनिया भर में बॉलीवुड फिल्में देख सकते हैं, जिससे उन्हें विभिन्न संस्कृतियों के बारे में जानने और उनके मतभेदों का सम्मान करने में मदद मिलती है। इसके अलावा, वैश्वीकरण ने शिक्षा और सूचना के प्रसार में वृद्धि की है, जो व्यक्तियों को विभिन्न दृष्टिकोणों तक पहुँचने और पारंपरिक मानदंडों पर सवाल उठाने का अधिकार देता है।
नकारात्मक पक्ष में, वैश्वीकरण ने भारत की विविधता और बहुलवाद को भी चुनौती दी है। पश्चिमी मूल्यों और उपभोक्तावाद के प्रभुत्व ने विशेष रूप से युवाओं के बीच स्वदेशी संस्कृतियों और परंपराओं को कमज़ोर कर दिया है। इसके अलावा, वैश्वीकरण ने आर्थिक असमानताओं को उत्पन्न किया है, कुछ समूह दूसरों की तुलना में अधिक प्राप्त कर रहे हैं, जिससे सामाजिक विभाजन में वृद्धि हो रही हैं।
उदाहरण के लिये, बहुराष्ट्रीय निगमों के उद्भव ने पश्चिमी जीवन शैली और उपभोक्ता जैसे विकल्पों को लाया है, जिसने भारतीय समाज के लक्ष्यों और उपभोग की प्रवृत्तियों को आकार दिया है। इसके परिणामस्वरूप स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों का बहिष्कार हुआ है जो बड़े पैमाने पर उत्पादित उत्पादों के साथ प्रतिस्पर्द्धा नहीं कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
वैश्वीकरण ने भारतीय समाज की विविधता और बहुलवाद दोनों को बढ़ाया और खतरे में डाल दिया है। जबकि इसने सांस्कृतिक आदान-प्रदान और जागरूकता को बढ़ावा दिया है, इसने कठिनाइयों और असमानताओं को भी पेश किया है। इसलिये भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखते हुए वैश्वीकरण के लाभों को स्वीकार करने के बीच संतुलन बनाए रखना महत्त्वपूर्ण है।