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प्रश्न :
आप एक शहर के अग्निशमन विभाग में कार्यरत अधिकारी हैं। एक दिन एक कोचिंग संस्थान की एक इमारत में भीषण आग लग जाती है जिसमें 1000 से अधिक विद्यार्थी फंसे हुए हैं। इसके अलावा उस इमारत में उचित अग्नि सुरक्षा उपायों और पर्याप्त निकास का अभाव है। आग और धुएँ से बचने की कोशिश के क्रम में इमारत के अंदर विद्यार्थियों के बीच दहशत फैल जाने के कारण कुछ विद्यार्थी खुद को बचाने के लिये इमारत से कूद जाते हैं।
16 Jun, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़
जैसे ही आप घटनास्थल पर पहुँचते हैं, आपको निम्नलिखित दुविधाओं का सामना करना पड़ता है ऐसे में:
सीमित संसाधनों और उपलब्ध समय को देखते हुए बचाव कार्यों को आप किस प्रकार प्राथमिकता देंगे?
भवन स्वामी की लापरवाही और अग्नि सुरक्षा मानदंडों के उल्लंघन से संबंधित नैतिक और कानूनी निहितार्थों से आप कैसे निपटेंगे?
अपने और अपनी टीम के सदस्यों पर इस तरह की दुखद घटना को देखने के भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव को आप किस प्रकार संतुलित करेंगे?उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भूमिका: अपने उत्तर की शुरुआत केस के परिचय से कीजिये
- मुख्य भाग: शामिल नैतिक मुद्दों और हितधारकों का उल्लेख कीजिये, और प्रश्न में पूछे गए अनुसार कार्रवाई कीजिये।
- निष्कर्ष: प्रमुख बिंदुओं को सारांशित करते हुए अपने उत्तर को समाप्त कीजिये।
भूमिका:
आप अग्निशमन विभाग में कार्य करने वाले एक अधिकारी हैं जो एक कोचिंग संस्थान में लगी भीषण आग, जहाँ 1000 से अधिक छात्र फँसे हुए हैं, के लिये प्रतिक्रिया देते हैं। कोचिंग संस्थान की इमारत में अग्नि सुरक्षा के कोई उपाय नहीं हैं या पर्याप्त रूप से निकास व्यवस्था नहीं हैं, जिसके कारण कुछ छात्र इमारत से कूद जाते हैं। आपको यह तय करना है कि छात्रों को कैसे बचाया जाए, इमारत के मालिक की लापरवाही और मानसिक आघात से कैसे निपटा जाए।
मुख्य भाग:
हितधारक (ज़ोखिम उठाने वाले) नैतिक मुद्दे अग्निशामक (फायरमेन) - कर्त्तव्य बनाम व्यक्तिगत सुरक्षा
- पहले बचाने की प्राथमिकता
छात्र - शांत रहना और दूसरों के जीवन को खतरे में न डालना
- बचाव और चिकित्सा सहायता के लिये अग्निशामकों और अन्य आपातकालीन सेवाओं पर निर्भर रहना
इमारत के मालिक - अग्नि सुरक्षा मानदंडों का उल्लंघन करना और उनके जीवन को खतरे में डालना।
- जाँच में अधिकारियों के साथ सहयोग या विरोध करना।
प्राधिकारी - इमारतों के लिये अग्नि सुरक्षा कानूनों और मानकों को लागू करना या उनकी उपेक्षा करना।
- लापरवाही के लिये इमारत के मालिक पर मुकदमा चलाना या उसे छोड़ देना।
जनता - किसी दुखद घटना में मदद करना या अनदेखा करना
- अग्निशामकों और अन्य आपातकालीन सेवाओं का समर्थन करना
कार्रवाई:
1. सीमित संसाधनों और उपलब्ध समय को देखते हुए आप बचाव कार्यों को कैसे प्राथमिकता देते हैं?
- पहली प्राथमिकता- छात्रों को बचाना:
- इमारत के अंदर आग और धुएँ में फँसे छात्रों को बचाने को प्राथमिकता देना।
- संचालन संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन करना: निम्न से उच्च ज़ोखिम में बचाव, बचावकर्त्ताओं के ज़ोखिम को कम करना।
- खिड़कियों, बालकनियों या कूदने से घायल हुए छात्रों तक पहुँचने हेतु सीढ़ी, हवाई मंच या रस्सियों का उपयोग करना।
- इमारत के अंदर फँसे छात्रों के लिये प्रवेश उपकरण, वेंटिलेशन तकनीक या नली लाइनों का उपयोग करके सुरक्षित निकास मार्ग तैयार करना।
- दृश्य सुरक्षा, भीड़ नियंत्रण और चिकित्सा संबंधी सहायता के लिये पुलिस, एम्बुलेंस और नागरिक सुरक्षा के साथ समन्वय करना।
- दूसरी प्राथमिकता- आग पर काबू पाना:
- आग पर काबू पाना और बुझाना और इसके प्रसार को रोकना।
- ज्वलनशील सामग्री, अग्नि अवरोध और ऑक्सीजन जैसे कारकों पर विचार करना।
- आग के प्रकार और स्थान के आधार पर उपयुक्त रणनीति और उपकरण (पानी, फोम, सूखे रसायन) का उपयोग करना।
- आग और इमारत की की स्थिति की निगरानी करना, आवश्यकता पड़ने पर यहाँ से निकलने के लिये तैयार रहना।
- तीसरी प्राथमिकता - निरीक्षण करना:
- संपत्ति को पानी, धुएँ या आग से होने वाले नुकसान से बचाना।
- किसी भी बचे हुए हॉट स्पॉट या खतरों को हटाना।
- आग लगने के कारण और उत्पत्ति की जाँच करना।
- उपस्थित लोगो से जानकारी इकट्ठा करना।
- ड्रोन और उन्नत विज़न कैमरों जैसी तकनीक का उपयोग करना।
2. आप इमारत के मालिकों की लापरवाही और अग्नि सुरक्षा मानदंडों के उल्लंघन के नैतिक और कानूनी निहितार्थों से किस प्रकार सामना करते हैं?
- इमारत के मालिकों तथा निर्माणकर्त्ताओं को भारत के राष्ट्रीय भवन संहिता, 2016 (NCB 2016) के अंतर्गत लापरवाही और उल्लंघन के लिये उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।
- अग्निशमन विभाग की ज़िम्मेदारी है कि वे अपने संचालन के दौरान उल्लंघन या खतरों की सूचना दें, जैसे अग्नि सुरक्षा उपायों की कमी, अपर्याप्त निकास, या ज्वलनशील सामग्रियों का अनुचित भंडारण।
- अग्निशमन विभाग को मामले की जाँच करने में शामिल अन्य अधिकारियों, जैसे भवन निरीक्षकों, स्वास्थ्य अधिकारियों, या अभियोजकों के साथ सहयोग करना चाहिये।
- अग्निशमन विभाग को भविष्य में भवन या इसी तरह के परिसर में अग्नि सुरक्षा में सुधार के लिये सिफारिशें या सुझाव देने चाहिये।
- अग्निशमन विभाग को बचाव कार्यों के दौरान अपने कार्यों के नैतिक निहितार्थों पर विचार करना चाहिये।
- अग्निशमन विभाग को सर्वोत्तम उपाय और साक्ष्य-आधारित शोध के आधार पर परिचालन दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिये।
- अग्निशमन विभाग को पीड़ितों, उनके परिवारों और जनता की गरिमा एवं अधिकारों का सम्मान करना चाहिये।
3. आप अपने और अपनी टीम के सदस्यों पर इस तरह की दुखद घटना के साक्षी होने के भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव का सामना किस प्रकार करेंगे?
- एक दुखद घटना के साक्षी होने से अग्निशमकों और आपातकालीन उत्तरदाताओं पर गहरा और दीर्घकालिक भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ सकता है।
- अग्निशमकों द्वारा अनुभव किये गए लक्षणों में चिंता, क्रोध, उदासी, दुःस्वप्न, पूर्वदृश्य और ध्यान केंद्रित करने में होने वाली कठिनाई शामिल हो सकती है।
- ये लक्षण उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन दोनों को प्रभावित कर सकते हैं, जो पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD), अवसाद, मादक द्रव्यों के सेवन या आत्महत्या जैसी गंभीर स्थितियों को जन्म दे सकते हैं।
- अग्निशमन विभागों को अपने सदस्यों को ऐसी घटनाओं से निपटने में मदद करने के लिये सहायता और संसाधन उपलब्ध कराने चाहिये।
- एक प्रभावी तनाव प्रबंधन कार्यक्रम का कार्यान्वयन, जिसमें घटना से पहले की शिक्षा, ऑन सीन सपोर्ट, घटना के बाद डीब्रीफिंग, डिफ्यूजिंग, पीयर सपोर्ट, काउंसलिंग, रेफरल सर्विसेज, फॉलो अप केयर और मूल्यांकन शामिल हो, आवश्यक है।
- ज़रूरत पड़ने पर अग्निशमकों को मदद लेने के लिये प्रोत्साहित करना तथा शारीरिक गतिविधि, सामाजिक संपर्क, विश्राम और घटना से निपटने के कौशल के साथ एक स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देना आवश्यक है।
- अग्निशमकों के प्रयासों और उपलब्धियों को पहचानना एवं सराहना करना तथा विभाग के भीतर विश्वास, सम्मान एवं टीम वर्क की संस्कृति को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष:
अग्निशमन विभाग के अधिकारी के रूप में, बचाव कार्यों को प्राथमिकता देना, कानूनी और नैतिक निहितार्थों को संबोधित करना तथा भावनात्मक समर्थन प्रदान करना महत्त्वपूर्ण है। जीवन बचाने पर ध्यान केंद्रित करके, लापरवाही के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान कर हम दुखद घटनाओं के प्रभाव को कम कर सकते हैं साथ ही सुरक्षा में वृद्धि कर सकते हैं।
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