‘शासन व्यवस्था में ईमानदारी’ के महत्त्व को बताते हुए प्रशासनिक प्रभावशीलता तथा प्रशासन पर लोगों के विश्वास निर्माण में इसके प्रभावों की चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- परिचय: शासन व्यवस्था में ईमानदारी और इसके महत्त्व को परिभाषित कीजिये।
- मुख्य भाग: प्रशासनिक प्रभावशीलता पर इसके प्रभावों की चर्चा करते हुए शासन व्यवस्था में ईमानदारी सुनिश्चित करने हेतु उपाय बताइये।
- निष्कर्ष: आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
शासन व्यवस्था में ईमानदारी का आशय सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, जवाबदेहिता और पारदर्शिता जैसे मज़बूत नैतिक सिद्धांतों को अपनाने से है। शासन की एक कुशल और प्रभावी प्रणाली तथा सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु यह आवश्यक है। यह परिणामों के बजाय अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं और प्रणालियों से भी संबंधित है।
मुख्य भाग:
शासन व्यवस्था में ईमानदारी का प्रशासनिक प्रभावशीलता और प्रशासन पर लोगों के विश्वास के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। जैसे:
- इससे सुनिश्चित होता है कि सार्वजनिक अधिकारी परिश्रम और निष्पक्षता के साथ अपने कर्त्तव्यों का पालन करें एवं शक्ति के दुरुपयोग से बचे रहें।
- इससे सरकार और उसकी नीतियों की विश्वसनीयता और वैधता बढ़ने के साथ लोकतांत्रिक प्रक्रिया में जनता के विश्वास तथा भागीदारी को बढ़ावा मिलता है।
- इससे सार्वजनिक संसाधनों के इष्टतम उपयोग को बढ़ावा मिलने के साथ भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी एवं कुप्रबंधन पर रोक लगती है।
- इससे नागरिकों (विशेष रूप से कमजोर और सीमांत वर्गों) के अधिकारों और हितों की रक्षा होने के साथ यह सुनिश्चित होता है कि उन्हें उचित, न्यायसंगत और गुणवत्तापूर्ण सार्वजनिक सेवाएँ प्राप्त हों।
- इससे गरीबी उन्मूलन, सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे राष्ट्रीय लक्ष्यों और उद्देश्यों की प्राप्ति में योगदान मिलता है।
शासन व्यवस्था में ईमानदारी सुनिश्चित करने के कुछ उपाय:
- सार्वजनिक सेवाओं जैसे आचार संहिता, पद की शपथ, संपत्ति का विवरण देने, व्हिसल-ब्लोअर की सुरक्षा आदि के संदर्भ में स्पष्ट और व्यापक कानूनी तथा नैतिक ढाँचा स्थापित करना।
- निरीक्षण, उत्तरदायित्व और पारदर्शिता के संदर्भ में संस्थानों और तंत्रों को मज़बूत करना। जैसे भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियाँ, ऑडिट निकाय, लोकपाल, सूचना का अधिकार आदि।
- प्रशिक्षण, शिक्षा, सलाह और प्रदर्शन मूल्यांकन के माध्यम से सार्वजनिक अधिकारियों की क्षमता के साथ उनके व्यावसायिक कौशल में वृद्धि करना।
- सार्वजनिक सेवा वितरण तथा शासन के परिणामों की निगरानी और मूल्यांकन में नागरिक समाज तथा मीडिया के साथ नागरिकों की भागीदारी तथा समन्वय को प्रोत्साहित करना।
- जागरूकता अभियान, रोल मॉडल, प्रोत्साहन और प्रतिबंधों के माध्यम से सार्वजनिक अधिकारियों और नागरिकों के बीच ईमानदारी, नैतिकता और मूल्यों की संस्कृति को बढ़ावा देना।
निष्कर्ष:
शासन व्यवस्था में ईमानदारी न केवल एक कानूनी या नैतिक दायित्व है बल्कि सुशासन के लिये एक आवश्यक तत्त्व भी है। यह प्रशासनिक प्रभावशीलता और सार्वजनिक व्यवस्था में लोगों के विश्वास को बनाए रखने में निर्णायक है। शासन व्यवस्था में ईमानदारी बनाए रखना सभी हितधारकों की सामूहिक जिम्मेदारी है।