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प्रश्न :
शहरी स्थानीय निकाय (ULBs) एक ऐसे बिंदु पर खड़े हैं जिससे इनके व्यापक सुधार की मांग परिलक्षित होती है। ULBs के सुचारू कार्य संचालन में विद्यमान प्रमुख चुनौतियों को बताते हुए इन्हें दूर करने के उपाय बताइये। (250 शब्द)
13 Jun, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- परिचय: शहरी स्थानीय निकायों की अवधारणा का संक्षेप में परिचय दीजिये।
- मुख्य भाग: ULBs के समक्ष प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा करते हुए उन्हें दूर करने के उपाय बताइये।
- निष्कर्ष: उचित एवं समग्र निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
शहरी स्थानीय निकाय (ULBs) शहरी क्षेत्रों के शासन और प्रबंधन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ शहरों के समग्र विकास को सुनिश्चित करते हैं। हालाँकि ULBs को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो उनके सुचारू कार्य संचालन में बाधा डालती हैं। कुशल शहरी शासन सुनिश्चित करने के क्रम में व्यापक सुधार उपायों के माध्यम से इन चुनौतियों की पहचान करना और इनका समाधान करना अनिवार्य है।
मुख्य भाग:
ULBs के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ:
- शक्ति और धन का अपर्याप्त हस्तांतरण: कई राज्य सरकारें 74वें संविधान संशोधन अधिनियम को पूरी तरह से लागू करने में विफल रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) को सीमित अधिकार और अपर्याप्त वित्तीय संसाधन प्राप्त हुए हैं।
- प्रदान की जाने वाली सेवाओं से अपर्याप्त राजस्व वसूली: ULBs को करों और शुल्कों से पर्याप्त राजस्व प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिससे आवश्यक सेवाओं से जुड़े खर्चों को पूरा करने में यह असमर्थ होते हैं।
- सीमित क्षमता और जवाबदेहिता: ULBs कुशल कर्मियों एवं प्रभावी जवाबदेही तंत्र के अभाव के साथ सीमित नागरिक भागीदारी और सीमित पारदर्शिता से ग्रस्त हैं।
- राजनीतिक हस्तक्षेप तथा शक्तियों का विखंडन: अधिकारियों के बार-बार स्थानांतरण, संसाधन आवंटन में राजनीतिक प्रभाव और शासन के विभिन्न स्तरों पर सत्ता का विखंडन होने से अक्सर ULBs के सुचारू कार्य संचालन में बाधा उत्पन्न होती है।
- सेवा प्रदाता के रूप में कई निकायों का होना: शहरी क्षेत्रों में अक्सर सेवा प्रदाता के रूप में कई निकायों के बीच समन्वय के अभाव से जवाबदेहिता के संदर्भ में चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।
- तीव्र शहरीकरण के साथ सेवाओं की मांग में वृद्धि: तीव्र शहरीकरण से ULBs के समक्ष नई चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं जैसे कि सतत् विकास के लिये योजना बनाने, समावेशन को बढ़ावा देने और बदलती शहरी आवश्यकताओं के अनुकूल कार्य करने में।
इन चुनौतियों से निपटने के उपाय:
- वित्तीय क्षमताओं को मज़बूत करना:
- प्रौद्योगिकी और डेटा विश्लेषण के द्वारा कर संग्रह में सुधार करना।
- अवसंरचना विकास हेतु पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप को बढ़ावा देना।
- म्युनिसिपल बाॅण्ड जैसे नवोन्मेषी वित्तपोषण को बढ़ावा देना।
- वैकल्पिक राजस्व स्रोतों (विज्ञापन, उपयोगकर्ता शुल्क) का उपयोग करना।
- संस्थागत क्षमता में वृद्धि करना:
- व्यापक क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित करना।
- व्यावसायिक विकास हेतु प्रशिक्षण संस्थान स्थापित करना।
- ज्ञान साझाकरण और समन्वय प्रणाली को सुगम बनाना।
- स्वायत्तता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना:
- ULBs को राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाना।
- जवाबदेहिता और पारदर्शिता को मज़बूत करना।
- नागरिक भागीदारी को बढ़ावा देना।
- पारदर्शी शासन के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग करना।
- शासन प्रणाली को सुव्यवस्थित करना:
- ULBs के विकेंद्रीकरण और सशक्तिकरण को बढ़ावा देना।
- अंतर-एजेंसी समन्वय तंत्र विकसित करना।
- प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाना।
- एकीकृत शहरी नियोजन दृष्टिकोण अपनाना।
निष्कर्ष:
कुशल शहरी शासन और सतत् विकास हेतु शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) को मज़बूत बनाना महत्त्वपूर्ण है। इसके लिये सीमित धन, कमजोर संस्थानों, राजनीतिक हस्तक्षेप तथा अपर्याप्त आधारभूत संरचनाओं जैसी चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता है। प्रस्तावित उपायों को लागू करने से ULBs के सशक्त होने और इनके प्रदर्शन में सुधार होने के साथ 21वीं सदी में उत्पन्न शहरी चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटा जा सकेगा। इससे जीवंत, समावेशी और सतत् शहरों का निर्माण होगा।
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