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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत में ट्रेन दुर्घटनाओं हेतु उत्तरदायी प्राथमिक कारण क्या हैं? विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों पर प्रकाश डालते हुए उन प्रभावी उपायों को बताइये जिन्हें इन दुर्घटनाओं हेतु उत्तरदायी कारणों को हल करने के साथ भारत के रेलवे नेटवर्क की सुरक्षा और विश्वसनीयता को बढ़ावा देने हेतु लागू किया जा सकता है। (250 शब्द)

    07 Jun, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आपदा प्रबंधन

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • परिचय: भारत में रेल/ट्रेन दुर्घटनाओं की हाल की घटनाओं का संक्षेप में विवरण देते हुए अपना प्रारंभ कीजिये।
    • मुख्य भाग: इस संदर्भ में विभिन्न समितियों की सिफारिशों को बताते हुए इन दुर्घटनाओं के प्राथमिक कारणों के साथ इनके समाधान हेतु सुझाव दीजिये।
    • निष्कर्ष: प्रमुख बिंदुओं को शामिल करने के साथ आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    रेल दुर्घटनाएँ भारत के रेलवे नेटवर्क (जो विश्व के सबसे बड़े और व्यस्ततम नेटवर्क में से एक है) के लिये प्रमुख चिंता का विषय हैं। रेल मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार वर्ष 2009 से 2019 के बीच भारत में 1,000 से अधिक रेल दुर्घटनाएँ हुईं हैं जिसके परिणामस्वरूप लगभग 1,800 लोगों की मृत्यु हुई है। ओडिशा में हाल ही में हुई एक दुर्घटना में तीन ट्रेनों की टक्कर से 275 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई है।

    मुख्य भाग:

    भारत में ट्रेन दुर्घटनाओं हेतु उत्तरदायी कुछ प्राथमिक कारण निम्नलिखित हैं जैसे:

    • मानवीय त्रुटियाँ: रेलवे चालक दल द्वारा लापरवाही करने के साथ सुरक्षा नियमों और प्रक्रियाओं की अवहेलना करना आदि भारत में ट्रेन दुर्घटनाओं के प्राथमिक कारण हैं। उदाहरण के लिये वर्ष 2016 में लोको-पायलट (ट्रेन ऑपरेटर) की लापरवाही (सिग्नल को नजरअंदाज करना) के कारण कानपुर के पास एक ट्रेन पटरी से उतर जाने की वजह से लगभग 150 लोगों की मौत हुई थी।
    • मानव रहित क्रॉसिंग: मानव रहित लेवल क्रॉसिंग (UMLCs) का आशय ऐसे स्थानों से है जहाँ रेलवे ट्रैक बिना किसी बाधा या सिग्नल के आवागमन वाली सड़कों से गुजरते हैं। UMLCs रेल दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों के प्रमुख कारणों में से एक है। वर्ष 2018-19 में हुई सभी ट्रेन दुर्घटनाओं में UMLCs की हिस्सेदारी 16% थी।
    • सिगनल फेलियर: सिगनल फेल होने से ट्रेनें गलत ट्रैक पर चलने के साथ अन्य ट्रेनों या स्थिर वस्तुओं से टकरा सकती हैं। उदाहरण के लिये वर्ष 2021 में सिग्नल फेल होने के कारण मथुरा के पास ट्रेन की टक्कर हो गई, जिसमें लगभग 25 लोगों की मौत हो गई थी।
    • अवसंरचनात्मक कमियाँ: रेल दुर्घटनाएँ पटरियों, पुलों, ओवरहेड तारों तथा कोचों में कमियों के कारण भी हो सकती हैं जिससे रेलवे नेटवर्क की सुरक्षा और विश्वसनीयता से समझौता होता है। रखरखाव पर ध्यान न देने, अवसंरचनात्मक ढाँचा के पुराने होने एवं प्राकृतिक आपदाओं के परिणामस्वरूप अवसंरचनात्मक कमियों को बढ़ावा मिलता है। उदाहरण के लिये वर्ष 2017 में मुज़फ्फरनगर के पास पटरी में दरार के कारण एक ट्रेन के पटरी से उतर जाने की वजह से 23 लोगों की मौत हो गई थी।

    इन कारणों को दूर करने तथा भारत के रेलवे नेटवर्क की सुरक्षा और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिये विभिन्न समितियों द्वारा की गई कुछ सिफारिशें निम्नलिखित हैं:

    • काकोदकर समिति (2012):
      • वैधानिक रेलवे सुरक्षा प्राधिकरण का गठन करना
      • सुरक्षा कार्यों के लिये पाँच वर्षों में 1 लाख करोड़ रुपये के एक गैर-व्यपगत राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष (RRSK) का गठन करना।
      • मानवरहित क्रॉसिंग को समाप्त करना
      • ट्रैक रखरखाव और निरीक्षण के लिये उन्नत तकनीकों को अपनाना
      • रोलिंग स्टॉक के डिज़ाइन और गुणवत्ता में सुधार करना
      • मानव संसाधन विकास और प्रबंधन में सुधार करना
      • दुर्घटना के संबंध में स्वतंत्र जाँच प्रणाली सुनिश्चित करना
    • बिबेक देबरॉय समिति (2014):
      • जोनल और डिवीजनल स्तरों पर अधिक शक्तियाँ प्रदान करना
      • रेल सेवाओं में निजी क्षेत्र के प्रवेश के साथ प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना
      • यात्रियों और वस्तुओं के किराए को तर्कसंगत बनाना
      • सभी रेलवे PSUs के लिये एक होल्डिंग कंपनी बनाना
      • रेल बजट को आम बजट से अलग करना
      • नॉन-कोर गतिविधियों की आउटसोर्सिंग करना
      • रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर अथॉरिटी ऑफ इंडिया का गठन करना
    • विनोद राय समिति (2015):
      • सुरक्षा मामलों की देखरेख और विनियमन हेतु वैधानिक शक्तियों के साथ एक स्वतंत्र रेलवे सुरक्षा प्राधिकरण की स्थापना करना।
      • दुर्घटनाओं की स्वतंत्र और निष्पक्ष जाँच करने के लिये रेलवे दुर्घटना जाँच बोर्ड की स्थापना करना।
      • रेलवे की संपत्ति जैसे ट्रैक, पुल, सिग्नलिंग सिस्टम आदि के स्वामित्व और रखरखाव हेतु एक अलग रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी बनाना।
      • प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों के आधार पर रेलवे कर्मचारियों के लिये प्रदर्शन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना शुरू करना।
      • वित्तीय प्रबंधन और पारदर्शिता में सुधार हेतु शून्य-आधारित बजट प्रणाली को लागू करना।
      • निर्णय निर्माण और सेवा वितरण में सुधार हेतु सूचना प्रौद्योगिकी और डेटा विश्लेषण का लाभ उठाना।

    निष्कर्ष:

    भारत में ट्रेन दुर्घटनाओं की समस्या को हल करने के लिये लोगों को जागरूक बनाने, बुनियादी ढाँचे का उन्नयन करने, उन्नत सुरक्षा तकनीकों को लागू करने एवं मजबूत सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली स्थापित करने के साथ बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। ऐसा करके भारत में रेलवे नेटवर्क की सुरक्षा और विश्वसनीयता को बढ़ाने एवं ट्रेन दुर्घटनाओं को कम करने के साथ यात्रियों तथा रेल कर्मियों के कल्याण को सुनिश्चित किया जा सकता है।

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