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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    लागत प्रभावी उपग्रहों के निर्माण हेतु भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र को विश्व स्तर पर लोकप्रियता हासिल है और वर्तमान में भारत द्वारा विदेशी उपग्रहों को भी अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जा रहा है। इस आलोक में भारत की नई अंतरिक्ष नीति के महत्त्व तथा इससे जुड़ी चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। इसके साथ ही अंतरिक्ष क्षेत्र की क्षमता का पूरी तरह से दोहन करने हेतु उपाय बताइये। (250 शब्द)

    07 Jun, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • परिचय: भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र और इस इस संदर्भ में भारत के हाल के प्रयासों का संक्षेप में उल्लेख करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • मुख्य भाग: नई अंतरिक्ष नीति के महत्त्व और प्रमुख विशेषताओं को बताते हुए इससे संबंधित चुनौतियों तथा अंतरिक्ष क्षेत्र की पूरी क्षमता का दोहन करने के उपायों पर चर्चा कीजिये।
    • निष्कर्ष: भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की भविष्य की संभावनाओं को बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र ने महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है जिसमें 300 से अधिक उपग्रहों को प्रक्षेपित करना, चंद्रमा और मंगल से संबंधित मिशन तथा स्वदेशी प्रौद्योगिकी का विकास करना आदि शामिल हैं। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय विकास और क्षेत्रीय सहयोग हेतु अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करना है। उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाने तथा संबंधित चुनौतियों को हल करने के लिये भारत को एक नए नीतिगत ढाँचे की आवश्यकता है। इस क्षेत्र में भारत को निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने, नवाचार को बढ़ावा देने, सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने पर बल देना चाहिये।

    नई अंतरिक्ष नीति का महत्त्व:

    नई अंतरिक्ष नीति (NSP), 2023 अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ निवेश और सहयोग को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य ISRO, NSIL और IN-SPACe जैसे हितधारकों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को परिभाषित करके प्रतिस्पर्द्धात्मकता और दक्षता को बढ़ावा देना है।

    NSP की कुछ प्रमुख विशेषताएँ और संबंधित लाभ इस प्रकार हैं:

    • इसके तहत गैर-सरकारी संस्थाओं (NGEs) को अंतरिक्ष गतिविधियों में शामिल होने के साथ रॉकेट, उपग्रह और प्रक्षेपण यान निर्मित करने की अनुमति दी गई है।
    • इसमें NGEs की अंतरिक्ष गतिविधियों को अधिकृत और विनियमित करने के लिये एकल-विंडो नोडल एजेंसी के रूप में IN-SPACe की स्थापना का प्रावधान किया गया है।
    • यह इसरो द्वारा विकसित अंतरिक्ष उत्पादों और सेवाओं के उत्पादन और विपणन का कार्य करने के लिये इसरो की वाणिज्यिक शाखा के रूप में न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) को सशक्त बनाने पर केंद्रित है।
    • यह इसरो को उन्नत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों, अन्वेषण मिशनों और अन्य गैर-वाणिज्यिक गतिविधियों के अनुसंधान और विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित करने में सक्षम बनाने पर केंद्रित है।
    • इसमें नए उत्पादों, सेवाओं और समाधानों को विकसित करने के क्रम में NGEs के लिये अवसर पैदा करके अंतरिक्ष क्षेत्र में नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने पर बल दिया गया है।
    • यह अंतरिक्ष संपत्तियों और गतिविधियों की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करके अंतरिक्ष में भारत के रणनीतिक हितों और क्षमताओं को बढ़ाने पर केंद्रित है।

    नई अंतरिक्ष नीति से संबंधित चुनौतियाँ:

    • हितधारकों के हितों को संतुलित करने, कानूनों और मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित करने, अंतरिक्ष संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने तथा इससे संबंधित संघर्षों को हल करने के लिये एक मजबूत नियामक ढाँचा विकसित किया जाना आवश्यक है।
    • अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रतिभा और विशेषज्ञता की बढ़ती मांग को पूरा करने वाले कुशल कार्यबल का विकास करना।
    • NGEs' की अंतरिक्ष गतिविधियों हेतु पर्याप्त धन और वित्तपोषण सुनिश्चित करना।
    • NGEs' के विकास और नवाचार का समर्थन हेतु अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना।
    • अंतरिक्ष मलबे, प्रतिस्पर्धा, सैन्यीकरण और शस्त्रीकरण जैसे अंतरिक्ष क्षेत्र में उभरते खतरे और चुनौतियों का समाधान करना।

    अंतरिक्ष क्षेत्र की पूर्ण क्षमता का दोहन करने के उपाय:

    • NSP और उसके कार्यान्वयन के लिये कानूनी आधार प्रदान करने वाले एक व्यापक अंतरिक्ष कानून का निर्माण करना। अंतरिक्ष कानून के तहत NGEs, ISRO, NSIL, IN-SPACe और अन्य हितधारकों के अधिकारों और दायित्वों के साथ-साथ प्रवर्तन, अधिनिर्णय और निवारण तंत्र को भी परिभाषित करना चाहिये।
    • विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और अन्य हितधारकों के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए एक राष्ट्रीय अंतरिक्ष परिषद या आयोग की स्थापना करना चाहिये जिससे भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिये रणनीतिक दिशा, समन्वय और निरीक्षण मिल सके।
    • इस क्षेत्र की प्रभावशीलता और दक्षता में वृद्धि हेतु ISRO, NSIL और IN-SPACe को मजबूत करना आवश्यक है। इसमें संगठनात्मक संरचनाओं और प्रक्रियाओं के साथ-साथ मानवीय, वित्तीय और तकनीकी संसाधनों को मजबूत करने पर बल देना शामिल है।
    • राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहलों में NGEs' की भागीदारी का आकलन करने, निगरानी करने और समर्थन करने के लिये पारदर्शी और न्यायसंगत प्रक्रियाएँ स्थापित करना आवश्यक है।
    • NGEs, ISRO, NSIL, IN-SPACe और अन्य हितधारकों की उपलब्धियों को पुरस्कृत करके अंतरिक्ष क्षेत्र में उत्कृष्टता, नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने पर बल देना चाहिये। इसके लिये सर्वोत्तम प्रथाओं को प्रदर्शित करने, अपनाने एवं प्रसारित करने हेतु समर्पित मंच बनाने की आवश्यकता है।

    निष्कर्ष:

    भारत में अंतरिक्ष विकास के एक नए युग की शुरुआत करने के क्रम में NSP, 2023 एक दूरदर्शी दस्तावेज़ है। इससे भारत राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के साथ अंतरिक्ष क्षेत्र के अवसरों का लाभ उठाने में सक्षम हो सकता है। हालाँकि NSP की सफलता इसके प्रभावी कार्यान्वयन और निरंतर समीक्षा पर निर्भर करती है। इसलिये यह आवश्यक है कि इससे संबंधित सभी हितधारक इन चुनौतियों से निपटने के साथ NSP की क्षमता का दोहन करने हेतु मिलकर कार्य करें।

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