नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    OPEC+ देशों द्वारा अपने तेल उत्पादन को कम करने के निर्णय से संबंधित मुख्य कारक और उद्देश्य क्या हैं? भारत पर इस निर्णय के प्रभाव का मूल्यांकन करने के साथ बताइये भारत इस स्थिति का किस प्रकार सामना करेगा। (250 शब्द)

    06 Jun, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • परिचय: (OPEC+) ओपेक+ तथा तेल उत्पादन को कम करने के उसके निर्णय का संक्षिप्त परिचय देते हुए अपना उत्तर शुरू कीजिये।
    • मुख्य भाग: तेल उत्पादन को कम करने के OPEC+ के निर्णय के मुख्य कारकों और उद्देश्यों पर चर्चा कीजिये। भारत पर ओपेक+ समूह के निर्णय के प्रभाव का मूल्यांकन करते हुए उन विभिन्न उपायों पर चर्चा कीजिये जो भारत तेल की बढ़ती कीमतों के प्रभाव को कम करने के लिये कर सकता है।
    • निष्कर्ष: ओपेक+ समूह द्वारा तेल उत्पादन में की जाने वाली कटौती के प्रभाव से निपटने हेतु भारत के लिये एक व्यापक दृष्टिकोण के महत्त्व पर जोर देते हुए निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    OPEC+ 23 तेल उत्पादक देशों का एक समूह है जिसका उद्देश्य पेट्रोलियम उत्पादकों के लिये उचित और स्थिर मूल्य सुनिश्चित करने के साथ उपभोग करने वाले देशों को पेट्रोलियम की कुशल एवं नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करना है। यह समूह वैश्विक तेल बाज़ार को संतुलित करने और तेल की कीमतों को निर्धारित करने के लिये वर्ष 2016 से अपनी तेल उत्पादन नीति का समन्वय कर रहा है। OPEC+ ने नवंबर 2022 में घोषित कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती को आगे बढ़ाने का फैसला किया है।

    मुख्य भाग:

    तेल उत्पादन को कम करने से संबंधित ओपेक+ के फैसले के पीछे प्रमुख कारण और उद्देश्य:

    • वैश्विक अर्थव्यवस्था में तेल बाज़ार की अनिश्चितता के कारण कम होती तेल की मांग और कीमतों का समाधान करना।
    • अमेरिका द्वारा की जाने वाली उत्पादन वृद्धि को प्रतिसंतुलित करना।
    • स्थिर और संतुलित तेल बाज़ार को बनाए रखने तथा इसकी आपूर्ति की अधिकता से बचने के लिये (जो कीमतों में गिरावट का कारण बन सकती है जिससे तेल उत्पादक देशों के राजस्व बजट को नुकसान हो सकता है)।
    • इसके मुख्य निर्यात मूल्य को बनाए रखने के लिये (हाल के दिनों में जिस डॉलर में आमतौर पर कच्चे तेल का कारोबार होता है उसके मूल्य में गिरावट देखी गई है)।
    • तेल की खपत करने वाले देशों पर दबाव बनाने के लिये (जो मुद्रास्फीति के दबाव और ऊर्जा की कमी का समाधान करने हेतु ओपेक+ से उत्पादन बढ़ाने का आग्रह कर रहे हैं)।

    ओपेक+ द्वारा तेल उत्पादन को कम करने के निर्णय का भारत पर प्रभाव:

    • विश्व के तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक और उपभोग करने वाले देश के रूप में भारत को वैश्विक तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण उच्च तेल आयात मूल्य चुकाने के साथ मुद्रास्फीति के दबाव का सामना करना पड़ेगा।
      • कुछ अनुमानों के अनुसार कच्चे तेल की कीमतों में प्रति बैरल 10 अमेरिकी डॉलर की वृद्धि से भारत का चालू खाता घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 0.4% तक बढ़ सकता है और इसकी मुद्रास्फीति दर 0.5% तक बढ़ सकती है।
    • भारत को अपने आर्थिक सुधार और विकास के लिये पर्याप्त और सस्ती ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा (विशेष रूप से परिवहन, कृषि, उद्योग और बिजली उत्पादन जैसे क्षेत्रों में)।
      • भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरतों का लगभग 85% मुख्य रूप से ओपेक+ देशों से आयात करता है।

    भारत को इस स्थिति से किस प्रकार निपटना चाहिये:

    भारत को अपने ऊर्जा स्रोतों और आयात के तरीकों में विविधता लाकर, अपनी घरेलू उत्पादन क्षमता को बढ़ावा देकर, ऊर्जा दक्षता और संरक्षण उपायों को बढ़ावा देकर, रणनीतिक भंडार का निर्माण करके, परमाणु ऊर्जा जैसे ऊर्जा के नवीकरणीय और वैकल्पिक स्रोतों को अपनाने के साथ अपनी चिंताओं और हितों को व्यक्त करने हेतु ओपेक+ देशों के साथ राजनयिक रूप से समन्वय करने के माध्यम से इससे उत्पन्न समस्याओं को हल करने की कोशिश करनी चाहिये।

    निष्कर्ष:

    ओपेक+ का तेल उत्पादन को कम करने का निर्णय विभिन्न कारकों और उद्देश्यों से प्रेरित है। ओपेक+ का उद्देश्य तेल बाज़ार को स्थिर करना और तेल उत्पादक देशों के हितों की रक्षा करना है। हालाँकि इस निर्णय का भारत के लिये नकारात्मक प्रभाव होगा क्योंकि यह अपनी ऊर्जा जरूरतों और आर्थिक विकास के लिये तेल आयात पर बहुत अधिक निर्भर रहता है। इस स्थिति से निपटने और अपनी ऊर्जा सुरक्षा और स्थिरता को सुरक्षित करने के लिये भारत को विभिन्न उपायों को अपनाना चाहिये।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow