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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    अर्बन हीट आइलैंड इफेक्ट क्या है? इसके कारणों और परिणामों पर चर्चा कीजिये। साथ ही भारतीय शहरों में अर्बन हीट आइलैंड प्रभाव को कम करने के लिये कुछ उपाय सुझाइये। (150 शब्द)

    05 Jun, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • परिचय: अर्बन हीट आइलैंड को संक्षेप में परिभाषित करते हुए अपने परिचय को और बेहतर बनाने के लिये इससे संबंधित आरेख बनाइये।
    • मुख्य भाग: अर्बन हीट आइलैंड्स के कारणों और परिणामों का उल्लेख करते हुए डेटा या रिपोर्ट द्वारा समर्थित इसके न्यूनीकरण उपायों पर चर्चा कीजिये।
    • निष्कर्ष: प्रमुख बिंदुओं को सारांशित करते हुए सतत् शहरी विकास हेतु अर्बन हीट आइलैंड के प्रभावों को कम करने के उपायों को अपनाने के महत्त्व पर बल देते हुए निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    अर्बन हीट आइलैंड प्रभाव का आशय ऐसी स्थिति से है जिसमें आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरों की वायु का तापमान अधिक होता है। इस प्रभाव को विशेष रूप से रात के समय स्पष्ट देखा जा सकता है। इसके लिये कई कारक उत्तरदायी होते हैं जिसमें विनिर्माण में ऊष्मा अवशोषित करने वाले पदार्थों का उपयोग करना, वनस्पतियों की कमी होना एवं अत्यधिक मानवीय गतिविधियों से उत्पन्न होने वाली ऊष्मा आदि शामिल हैं।

    मुख्य भाग:

    कारण:

    • विनिर्माण में कम एल्बिडो वाले पदार्थों का उपयोग होना: एल्बिडो का आशय आपतित सौर ऊर्जा की तुलना में परावर्तित सौर ऊर्जा का अनुपात है। कम एल्बिडो वाले पदार्थों के उपयोग से अधिक सौर ऊष्मा अवशोषित होने से शहरी क्षेत्रों के तापमान में वृद्धि होती है।
    • कंक्रीट की संरचना: पक्की सतहें जैसे सड़कें और पार्किंग स्थल सौर विकिरण से आने वाली ऊष्मा को अधिक अवशोषित करती हैं। यह सतहें पौधों या अन्य जल निकायों द्वारा होने वाले जल के अवशोषण में बाधक होती हैं, जिससे संबंधित क्षेत्र का तापमान अधिक बना रह सकता है।
    • वनस्पतियों का अभाव होना: वनस्पतियों द्वारा होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड के अवशोषण एवं ऑक्सीजन के उत्सर्जन के कारण वायु को ठंडा रखने में सहायता मिलती है। आमतौर पर कम वनस्पति वाले क्षेत्र हीट आइलैंड प्रभाव के प्रति अधिक सुभेद्य होते हैं।
    • मानवीय गतिविधियाँ: मानवीय गतिविधियों जैसे कि बिजली उत्पादन, परिवहन, उद्योग और एयर कंडीशनिंग का उपयोग आदि से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को बढ़ावा मिलने से अर्बन हीट आइलैंड प्रभाव को बढ़ावा मिलता है।

    परिणाम: अर्बन हीट आइलैंड के कई नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं जैसे:

    • इमारतों और वाहनों को वातानुकूलित करने में ऊर्जा की खपत में वृद्धि होना।
    • जीवाश्म ईंधन के दहन से वायु प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि होना।
    • हीट स्ट्रोक एवं कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों के रूप में स्वास्थ्य जोखिमों में वृद्धि होना।
    • वाष्पीकरण में वृद्धि होने के कारण जल की गुणवत्ता में कमी आना।
    • आवासों की क्षति और विखंडन के कारण जैव विविधता तथा पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं में कमी आना।

    इसके शमन के उपाय:

    • शहरी क्षेत्रों की विकास योजना में सुधार: शहरी क्षेत्रों की विकास योजना के तहत प्राकृतिक वेंटिलेशन को बढ़ाना, सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने वाले सतही क्षेत्र को कम करना, एल्बिडो को बढ़ाना आदि विशेषताओं को शामिल करके अर्बन हीट आइलैंड प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है। उदाहरण के लिये फुटपाथ के लिये पारदर्शी पदार्थों का उपयोग करना, पवन के बेहतर संचलन हेतु खुली जगहों और गलियारों का निर्माण करना, इमारतों को हवादार बनाना तथा कृत्रिम झीलों या तालाबों का निर्माण करना।
    • वनस्पति आवरण में वृद्धि करना: वनस्पतियों द्वारा छाया और ठंडक प्रदान करने के माध्यम से वायु के तापमान को कम किया जा सकता है। इस क्रम में पार्कों का विस्तार करना, सड़कों के किनारे पौधों को लगाना, हरित एवं पर्यावरण अनुकूल आवासों का विकास करना आदि पर बल दिया जा सकता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि वनस्पतियों वाले क्षेत्र की वायु का तापमान आसपास के अन्य क्षेत्रों की वायु की तुलना में लगभग 4°F तक कम हो सकता है।
    • हरित एवं पर्यावरण अनुकूल छतों और फुटपाथों का निर्माण करना: इसके तहत छतों और फुटपाथों में चमकदार कोटिंग्स के साथ वनस्पतियों का उपयोग होता है जिससे सौर ऊर्जा के अवशोषण में कमी आती है। इससे छतों और फुटपाथों की सतह के तापमान में 50°F तक कमी आने के साथ परिवेशी वायु के तापमान में काफी कमी आ सकती है।
    • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना: ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने हेतु सतत् परिवहन को बढ़ावा देने के साथ घरों और व्यवसायों में ऊर्जा दक्षता में सुधार पर बल दिया जा सकता है।

    निष्कर्ष:

    अर्बन हीट आइलैंड प्रभाव एक गंभीर समस्या है जिसके कई नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। हालाँकि इसके प्रभाव को कम करने के लिये कई कार्य किये जा सकते हैं। इससे संबंधित शमनकारी उपायों को अपनाकर हम अपने शहरों को अधिक सतत् एवं समावेशी बना सकते हैं।

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