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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    श्री चंद्रकांत एक कॉलेज में प्रिंसिपल हैं। इस कॉलेज का एक प्रोफेसर सत्ताधारी दल के एक विधायक का साला है। यह प्रोफेसर महिला शिक्षकों और छात्राओं के प्रति अपमानजनक व्यवहार करता है। कई महिलाओं ने उस पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। पीड़ितों ने उसके व्यवहार को लेकर कई शिकायतें दर्ज कराई हैं। यह इसके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराने से डरती हैं क्योंकि ऐसा करने पर प्रोफेसर ने उनका करियर खराब करने की धमकी दी है।

    इस स्थिति में श्री चंद्रकांत दुविधा में हैं। वह प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई करना चाहते हैं लेकिन विधायक और संबंधित दल के संभावित राजनीतिक विरोध के कारण उन्हें ऐसा करने का डर बना हुआ है। वह जानते हैं कि प्रोफेसर महिलाओं को परेशान करने और उनकी प्रतिष्ठा तथा अधिकारों का उल्लंघन करने के लिये अपनी शक्ति और प्रभाव का दुरुपयोग कर रहा है। वह यह भी जानते हैं कि प्रोफेसर के कार्यों के कारण प्रताड़ित महिलाएँ मानसिक आघात और असुरक्षा से पीड़ित हैं।

    1. इस मामले में कौन से नैतिक मुद्दे शामिल हैं?
    2. इस संदर्भ में श्री चंद्रकांत के लिये कौन से विकल्प उपलब्ध हैं?
    3. ऐसे में श्री चंद्रकांत को क्या करना चाहिये और क्यों?

    02 Jun, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    उत्तर :

    परिचय:

    उपर्युक्त मामले में एक कॉलेज के प्रधानाचार्य श्री चंद्रकांत के समक्ष एक दुविधा है। इस कॉलेज के एक प्रोफेसर (जो एक सत्ताधारी दल के विधायक का साला है) पर महिला शिक्षकों और छात्रों के प्रति अपमानजनक व्यवहार करने का आरोप लगा है। अपने करियर से संबंधित खतरों के कारण इस संदर्भ में पीड़ित किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई करने से डरते हैं। श्री चंद्रकांत इस प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई करना चाहते हैं लेकिन वह संभावित राजनीतिक परिणामों से डरते हैं। इस मामले में सत्ता की प्रभावशीलता के कारण न्याय और अधिकारों की सुरक्षा की तत्काल आवश्यकता पर प्रश्नचिन्ह लगना शामिल है।

    इस मामले में शामिल नैतिक मुद्दे:

    • यौन उत्पीड़न
    • शक्ति और सत्ता का दुरुपयोग
    • नैतिक जिम्मेदारी
    • हितों का टकराव
    • मानवाधिकारों का हनन
    • व्यावसायिक नैतिकता को बनाए रखने में विफलता

    इस मामले में शामिल हितधारक:

    • प्रोफेसर
    • महिला शिक्षिकाएँ और छात्राएँ
    • श्री चंद्रकांत
    • सत्ता पक्ष के विधायक
    • वरिष्ठ अधिकारी

    श्री चंद्रकांत के समक्ष उपलब्ध विकल्प:

    1. कुछ भी न करना: विधायक और उसके दल से होने वाली किसी भी संभावित परेशानी से बचने के लिये शिकायतों को अनदेखा करना और इस मामले में शांत रहना।
    2. जाँच की दिशा में कार्य करना: इन आरोपों की जाँच के लिये कॉलेज में एक आंतरिक समिति का गठन करना।
    3. प्रोफेसर से प्रत्यक्ष रूप से बात करना: यदि श्री चंद्रकांत को लगता है कि प्रोफेसर इस प्रकार के व्यवहार के प्रभावों से अनजान है तो यह एक प्रभावी विकल्प हो सकता है। हालाँकि यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि यदि प्रोफेसर अपने व्यवहार को बदलने का इच्छुक नहीं है तो यह प्रभावी नहीं हो सकता है।
    4. इस मामले को विधायक तक पहुँचाना: चूँकि विधायक जनप्रतिनिधि होता है इसलिये प्रोफेसर के इस तरह के व्यवहार को रोकने के लिये यह एक प्रभावी विकल्प हो सकता है।
    5. इस मामले की उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट करना: उच्च अधिकारियों के हस्तक्षेप और समर्थन हेतु इस मामले की रिपोर्ट करना।
    6. इस मामले की पुलिस को रिपोर्ट करना: पुलिस में शिकायत दर्ज करने हेतु पीड़ितों को प्रोत्साहित करने के साथ उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करना।

    इस संदर्भ में कार्रवाई का संभावित क्रम:

    चूँकि यह मामला बहुत गंभीर है जिसमें राजनीतिक हस्तक्षेप भी शामिल है। ऐसे में श्री चंद्रकांत के लिये सबसे नैतिक और उपयुक्त विकल्प यह है कि पीड़ितों को पुलिस के समक्ष कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के तहत शिकायत दर्ज करने के लिये प्रोत्साहित करने के साथ उन्हें आवश्यक सहायता और समर्थन प्रदान किया जाए ताकि इस संदर्भ में उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जा सके। इसके अलावा उन्हें निम्नलिखित पर भी बल देना चाहिये:

    • पीड़ितों की सुरक्षा और सहायता सुनिश्चित करना: श्री चंद्रकांत को पीड़ितों के लिये अपनी समस्याओं को व्यक्त करने हेतु सुरक्षित वातावरण प्रदान करना चाहिये। ऐसी शिकायतों हेतु इनके द्वारा एक गोपनीय रिपोर्टिंग तंत्र बनाया जा सकता है जिसमें विश्वसनीय स्टाफ सदस्यों को नामित किया जा सकता है।
    • शिकायतों का दस्तावेजीकरण करने के साथ इस दिशा में जाँच करना: श्री चंद्रकांत को प्रोफेसर के खिलाफ की गई प्रत्येक शिकायत को सावधानीपूर्वक दर्ज करना चाहिये (जिसमें विशिष्ट विवरण, तिथियाँ और कोई भी उपलब्ध सबूत शामिल हैं)। पीड़ितों की गोपनीयता सुनिश्चित करते हुए निष्पक्ष जाँच को शुरू किया जाना चाहिये।
    • कानूनी सलाह लेना: प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई करने हेतु उपलब्ध विकल्पों को समझने के लिये श्री चंद्रकांत को कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श करना चाहिये। इससे संभावित जोखिमों को कम करते हुए स्थिति को हल करने के क्रम में मार्गदर्शन प्राप्त हो सकता है।
    • संबंधित अधिकारियों को शामिल करना: यदि कॉलेज में आंतरिक अनुशासनात्मक समिति है तो श्री चंद्रकांत को उसे जाँच प्रक्रिया में शामिल करना चाहिये। इसके अतिरिक्त इस मामले को उच्च शिक्षा नियामक निकायों या संघों के संज्ञान में लाना चाहिये ताकि इस मुद्दे को हल करने में उनका समर्थन और मार्गदर्शन प्राप्त किया जा सके।
    • इस मामले में पारदर्शिता और जवाबदेहिता बनाए रखना: इस क्रम में श्री चंद्रकांत के लिये यह महत्त्वपूर्ण है कि वह किये जाने वाले कार्यों और निर्णयों के बारे में पीड़ितों, फैकल्टी और कर्मचारियों को सूचित करें ताकि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेहिता सुनिश्चित हो सके। इससे कॉलेज के अन्य हितधारकों के बीच विश्वास बनाए रखने में मदद मिलेगी।
    • बाहरी सहयोग प्राप्त करना: यदि आवश्यक हो तो श्री चंद्रकांत इस मामले में ऐसे बाहरी संगठनों या एनजीओ को शामिल कर सकते हैं जो यौन उत्पीड़न से संबंधित मुद्दों को हल करने में विशेषज्ञ हों। ये संगठन पीड़ितों के लिये मार्गदर्शन एवं समर्थन प्रदान करने के साथ निष्पक्ष जाँच सुनिश्चित करने में सहायता कर सकते हैं।
    • साक्ष्य को सुरक्षित रखने के साथ व्हिसलब्लोअर की रक्षा करना: श्री चंद्रकांत को प्रोफेसर के कदाचार से संबंधित सबूतों को सुरक्षित रखने हेतु कदम उठाने चाहिये। इसके अतिरिक्त उन्हें व्हिसलब्लोअर को आश्वस्त करना चाहिये कि उनकी पहचान गोपनीय रखी जाएगी और उन्हें किसी भी प्रकार के संभावित प्रतिशोध से बचाया जाएगा।
    • निवारक उपायों को लागू करना: इस प्रकार की समस्याओं को रोकने के लिये श्री चंद्रकांत को कॉलेज के अंदर एक सुरक्षित और अधिक पारदर्शी वातावरण बनाने के क्रम में निवारक उपायों को लागू करने की दिशा में कार्य करना चाहिये। इसमें संवेदीकरण कार्यक्रम एवं जागरूकता अभियानों के साथ उत्पीड़न और लिंग आधारित हिंसा से संबंधित नीतियों में संशोधन किया जाना शामिल हो सकता है।

    निष्कर्ष:

    इस विकल्प को अपनाने से एक लोक सेवक के रूप में प्रधानाचार्य महिला शिक्षकों एवं छात्रों की गरिमा तथा अधिकारों की सुरक्षा करने के साथ अपने कर्तव्यों के निर्वहन में सक्षम होंगे। इससे संबंधित प्रोफेसर के साथ अन्य लोगों को यह संदेश जाएगा कि कॉलेज में इस तरह का व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इससे पीड़ितों के लिये न्याय मिल सकेगा। इससे कॉलेज के शैक्षणिक माहौल एवं प्रतिष्ठा में सुधार होने के साथ लोगों के मनोबल में वृद्धि होगी।

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