गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक ( लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम, 1994 से संबंधित मुद्दे क्या हैं? इन मुद्दों को बताते हुए इनके समाधान हेतु उपाय सुझाइए।(150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- PCPNDT अधिनियम के बारे में बताते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- मुख्य भाग में इस अधिनियम से संबंधित मुद्दों का उल्लेख करते हुए इन्हें हल करने के उपाय सुझाइए।
- सकारात्मक बिंदुओं का उल्लेख करते हुए निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT) अधिनियम, 1994 को देश में कन्या भ्रूण हत्या के मुद्दे का समाधान करने तथा गिरते लिंगानुपात में सुधार के लिये लाया गया था।
इस अधिनियम द्वारा प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण तकनीकों के उपयोग पर रोक लगाने के साथ केवल वैध चिकित्सा उद्देश्यों तक ही प्रसव पूर्व निदान तकनीकों के उपयोग को सीमित किया गया है। हालाँकि पिछले वर्षों से इस अधिनियम के कार्यान्वयन से संबंधित कुछ मुद्दों की पहचान की गई है, जिन्हें इसके प्रभावी कार्य संचालन हेतु हल करने की आवश्यकता है।
मुख्य भाग:
PCPNDT अधिनियम, 1994 से संबंधित मुद्दे:
- पुलिस की संलिप्तता:
- इस अधिनियम में जहाँ तक संभव हो छापेमारी और जब्ती में पुलिस की भागीदारी को सीमित किया गया है लेकिन यह इसकी व्यावहारिक सीमाएँ हैं।
- जाँच और गिरफ्तारी की शक्तियाँ:
- इस अधिनियम में उपयुक्त प्राधिकरण को जाँच करने और छापा मारने की शक्तियाँ प्रदान की गई हैं लेकिन इन्हें गिरफ्तारी की शक्ति प्रदान नहीं की गई है।
- इससे इस अधिनियम को प्रभावी ढंग से लागू करने में चुनौती आती है।
- सजा की निम्न दर:
- PCPNDT अधिनियम के तहत सजा की कम दर होना, इसकी प्रमुख चिंताओं में से एक है। यह अपराधियों के प्रति मुकदमा चलाने तथा लिंग-चयन संबंधी गर्भपात को रोकने के क्रम में न्याय प्रणाली की विफलता को इंगित करता है।
इन मुद्दों के समाधान हेतु उपाय:
- पुलिस प्रशिक्षण और समन्वय को मज़बूत करना:
- व्यावहारिकता आधारित पुलिस की भागीदारी को बढ़ाने के क्रम में पुलिस कर्मियों को PCPNDT अधिनियम के प्रावधानों के साथ इस संदर्भ में छापे मारने और कार्रवाई करने से संबंधित प्रक्रियाओं पर विशेष प्रशिक्षण प्रदान करना आवश्यक है।
- इसके अतिरिक्त इस अधिनियम के सुचारू कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के हेतु संबंधित अधिकारियों एवं पुलिस के बीच बेहतर समन्वय होना चाहिये।
- संबंधित प्राधिकारियों को सशक्त बनाना:
- अपराधों की संज्ञेय प्रकृति के अनुरूप इस अधिनियम के तहत संबंधित प्राधिकारियों को गिरफ्तारी की शक्ति प्रदान करने से अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने की क्षमता में वृद्धि होगी।
- इससे प्रवर्तन तंत्र को मजबूती मिलने के साथ इस संदर्भ में निवारक प्रभाव प्राप्त होंगे।
- जाँच और सजा प्रक्रिया को मज़बूत बनाना:
- इस संदर्भ में जाँच और सजा प्रक्रिया में सुधार के प्रयास किये जाने चाहिये। PCPNDT अधिनियम के उल्लंघन से संबंधित मामलों के संदर्भ में प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिये प्रशिक्षित जाँचकर्ताओं, फोरेंसिक सुविधाओं और कानूनी सहायता सहित पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए जाने चाहिये।
- इस संदर्भ में जागरूकता तथा संवेदनशीलता बढ़ाना:
- PCPNDT अधिनियम और इसके प्रावधानों के बारे में आम लोगों, स्वास्थ्य पेशेवरों तथा हितधारकों के बीच जागरूकता को बढ़ावा देना महत्त्वपूर्ण है।
- इस संदर्भ में संवेदीकरण कार्यक्रम आयोजित करने से लैंगिक भेदभाव के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण को बदलने में मदद मिल सकती है तथा लैंगिक समानता के महत्त्व पर प्रकाश डाला जा सकता है।
निष्कर्ष:
PCPNDT अधिनियम, 1994 लिंग-चयन संबंधी गर्भपात के मुद्दे को हल करने एवं लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालाँकि इसके प्रभावी कार्यान्वयन हेतु इससे संबंधित मुद्दों के समाधान की आवश्यकता है।
पुलिस की भागीदारी को तार्किक बनाने, जाँच और गिरफ्तारी की शक्तियों को स्पष्ट करने, दोषसिद्धि दर में सुधार करने तथा इस संदर्भ में जागरूकता बढ़ाने से इस अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित किया जा सकता है।