हाल ही में RBI ने अपनी क्लीन नोट पॉलिसी के तहत उच्च मूल्य के करेंसी नोटों को बाज़ार से वापस लेने का निर्णय लिया है। भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभावों पर विचार करते हुए, इस कदम के संभावित लाभों और हानियों का विश्लेषण कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- 2000 रुपये के नोट को वापस लेने के आरबीआई के हालिया कदम का उल्लेख करते हुए अपना उत्तर शुरू कीजिये।
- इसके मुख्य भाग में, इस तरह के कदमों के संभावित लाभों और हानियों का उल्लेख कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
RBI ने हाल ही में "क्लीन नोट पॉलिसी" के तहत ₹2,000 मूल्यवर्ग के बैंक नोटों को संचलन से वापस लेने का निर्णय लिया है। ₹2,000 मूल्यवर्ग के नोटों को नवंबर 2016 में विमुद्रीकरण के बाद अर्थव्यवस्था में मुद्रा की आवश्यकता को पूरा करने के लिये जारी किया गया था।
मुख्य भाग:
उच्च मूल्य के करेंसी नोटों को वापस लेने के संभावित लाभ और हानियाँ:
लाभ:
- इससे काले धन और जालसाजी पर अंकुश लगाने में मदद मिल सकती है, क्योंकि इन नोटों को जमा करना और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में प्रसारित करना आसान है।
- इससे डिजिटल भुगतान के साथ वित्तीय समावेशन को भी प्रोत्साहन मिल सकता है, क्योंकि इससे लोग लेन-देन में इलेक्ट्रॉनिक मोड का उपयोग करने हेतु प्रोत्साहित हो सकते हैं।
- इससे उच्च मूल्यवर्ग के करेंसी नोटों की परिचालन लागत और संबंधित चुनौतियों को कम किया जा सकता है।
- यह निर्णय RBI की क्लीन नोट पॉलिसी के अनुरूप है जिसका उद्देश्य संचलन वाले नोटों की गुणवत्ता और स्वच्छता में सुधार करना होता है।
हानियाँ:
- इससे लोगों के लिये असुविधा और व्यवधान की स्थितियाँ हो सकती हैं, विशेष रूप से ऐसे लोगों के लिये जो अपने दैनिक लेन-देन के लिये नकदी पर निर्भर होते हैं तथा डिजिटल या बैंकिंग सुविधाओं तक उनकी पहुँच नहीं होती है।
- इससे प्रचलन वाली मुद्रा की कमी हो सकती है, क्योंकि ये नोट 31 मार्च, 2023 तक प्रचलन वाले कुल नोटों के कुल मूल्य का लगभग 10.8% थे।
- इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था के साथ छोटे व्यवसाय प्रभावित हो सकते हैं, क्योंकि ये क्षेत्र बड़े पैमाने पर नकद लेनदेन पर निर्भर होते हैं और इन क्षेत्रों से जुड़े लोगों को अपने पुराने नोटों को बदलने या जमा करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
- उच्च मूल्यवर्ग वाले नोटों को वापस लेने से तरलता अस्थायी रूप से प्रभावित हो सकती है और वैकल्पिक मूल्यवर्ग वाले नोट उपलब्ध न होने पर इससे नकद आधारित लेन-देन बाधित होने के साथ आर्थिक गतिविधियाँ प्रभावित हो सकती हैं।
निष्कर्ष:
2000 रुपये के नोटों को वापस लेने के निर्णय से भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ और हानियाँ दोनों हैं। इससे काले धन पर अंकुश लगाने, जालसाजी को कम करने, डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने तथा मुद्रा प्रबंधन को प्रभावी बनाने में मदद मिल सकती है। हालाँकि इस फैसले में लोगों की असुविधा, नकदी पर निर्भर क्षेत्रों के लिये चुनौतियाँ, तरलता और मुद्रा प्रतिस्थापन के बारे में चिंताएँ निहित हैं। इस नीति का सफल एवं प्रभावी कार्यान्वयन, इन कमियों को दूर करने की क्षमता पर निर्भर करता है।