जलवायु परिवर्तन से निपटने में महिलाओं की भूमिका के महत्त्व पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- बताइये कि जलवायु परिवर्तन से महिलाएँ किस प्रकार प्रभावित हुई हैं तथा महिला पर्यावरणविदों के कुछ उदाहरण देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- मुख्य भाग में बताइये कि पर्यावरण संरक्षण में यह किस प्रकार महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
- आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।
|
परिचय:
जलवायु परिवर्तन से सभी प्रभावित होते हैं लेकिन इसके सबसे विपरीत प्रभाव सबसे कमज़ोर लोगों पर पड़ते हैं। संकट के समय में महिलाएँ अक्सर पीछे रह जाने के साथ अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे और घरेलू देखभाल के असमान स्तर के कारण स्वास्थ्य और सुरक्षा के बढ़ते जोखिमों का सामना करती हैं।
महिलाओं ने कृषि जैव विविधता के संरक्षण में प्रमुख भूमिका निभाई है। 30,000 से अधिक पौधे लगाने वाली और पिछले छह दशकों से पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों में शामिल पर्यावरणविद तुलसी गौड़ा को वर्ष 2021 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। सुनीता नारायण, रिद्धिमा पांडे और वंदना शिवा कुछ ऐसी महिलाएँ हैं जिनको जलवायु परिवर्तन के समाधान हेतु संघर्ष करने के लिये जाना जाता है।
मुख्य भाग:
जलवायु परिवर्तन से निपटने में महिलाएँ किस प्रकार महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं?
- ज्ञान और कौशल: महिलाओं के पास प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, कृषि और संरक्षण प्रणालियों से संबंधित मूल्यवान पारंपरिक ज्ञान और कौशल होते हैं। इन्हें स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र और सतत् प्रथाओं की काफी समझ होती है जिससे प्रभावी जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और शमन रणनीतियों में योगदान मिल सकता है।
- जागरूकता और नेतृत्व: महिलाओं के नेतृत्व वाले संगठनों और आंदोलनों ने जागरूकता बढ़ाने, नीतिगत बदलावों पर जोर देने और सतत् प्रथाओं को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। निर्णय प्रक्रिया में अधिक महिलाओं को शामिल करके हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि जलवायु नीतियाँ और पहल अधिक समावेशी, न्यायसंगत और प्रभावी हों।
- संसद में उच्च महिला प्रतिनिधित्व वाले देशों की अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण समझौतों का समर्थन करने की अधिक संभावना होती है। कार्यस्थलों पर भी महिलाओं के नेतृत्व से कार्बन फुटप्रिंट और उत्सर्जन की जानकारी के संबंध में अधिक पारदर्शिता देखने को मिलती है।
- सतत् ऊर्जा: स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा सुविधाओं तक पहुँच, जलवायु परिवर्तन को कम करने और आजीविका में सुधार दोनों के लिये महत्त्वपूर्ण है। महिलाएँ (विशेष रूप से विकासशील देशों में) ऊर्जा की कमी से अधिक प्रभावित होती हैं। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (जैसे कि सौर या पवन ऊर्जा) से संबंधित मामलों में महिलाओं को शामिल करने से अधिक समावेशी और स्थायी समाधान प्राप्त हो सकते हैं।
- सतत् उपभोग और जीवन शैली को चुनना: महिलाएँ अक्सर घरेलू उपभोग से संबंधित निर्णयों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। अपने परिवारों और समुदायों में पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देकर महिलाएँ कार्बन फुटप्रिंट्स को कम करने के साथ सतत् विकास की संस्कृति को बढ़ावा देने में योगदान दे सकती हैं।
- जलवायु परिवर्तन के शमन हेतु अनुकूलन पर बल देना: जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों जैसे जल की कमी, खाद्य असुरक्षा और प्राकृतिक आपदाओं से अक्सर महिलाएँ सबसे अधिक प्रभावित होती हैं। महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करने के बावजूद महिलाओं ने जलवायु संबंधी जोखिमों से निपटने में अनुकूली क्षमता का प्रदर्शन किया है। इनके दृष्टिकोण और अनुभव प्रभावी अनुकूलन रणनीतियों को विकसित करने में योगदान कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
जलवायु संकट के समाधान में महिलाओं की भागीदारी से आर्थिक विकास होने के साथ जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम किया जा सकेगा। महिलाओं की भूमिका को प्रोत्साहन देने से न केवल लैंगिक समानता को बल मिलेगा बल्कि संकट की स्थिति में पूर्ण संसाधनों का पूरी क्षमता के साथ उपयोग संभव हो सकेगा।