मानव भ्रूण में CRISPR-Cas 9 जैसी जीन एडिटिंग तकनीकों के उपयोग से संबंधित नैतिक चिंताओं को बताते हुए भावी पीढ़ियों पर इसके संभावित प्रभावों का विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- CRISPR Cas 9 तकनीक का परिचय देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- CRISPR Cas 9 के उपयोग में शामिल नैतिक मुद्दों का उल्लेख कीजिये।
- आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
CRISPR "क्लस्टर्ड रेगुलर इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रोमिक रिपीट्स" का संक्षिप्त रूप है। Cas9 मूल रूप से एक एंज़ाइम है जिसका उपयोग कैंची की तरह DNA के बिट्स को जोड़ने, हटाने या मरम्मत करने के क्रम में किसी विशिष्ट स्थान पर DNA के दो स्ट्रैंड को काटने हेतु किया जाता है। यह तकनीक वैज्ञानिकों को जीवों के डीएनए को उच्च सटीकता के साथ संशोधित करने की अनुमति देती है।
मुख्य भाग:
CRISPR-Cas9 तकनीक के उपयोग से कई नैतिक चिंताओं को बढ़ावा मिलने के साथ भविष्य की पीढ़ियों पर इसके संभावित प्रभावों के संबंध में चिंताएँ उत्पन्न होती हैं:
- सूचित सहमति: इससे आनुवंशिक स्तर पर परिवर्तन के क्रम में भविष्य की पीढ़ियों पर संभावित जोखिमों एवं लाभों के साथ दीर्घकालिक परिणामों के बारे में समझ और सहमति से संबंधित प्रश्न उठते हैं।
- अनपेक्षित परिणाम: जीन एडिटिंग तकनीकें अभी भी अपेक्षाकृत नई हैं और पूरी तरह से समझ से परे हैं। इस संदर्भ में अनपेक्षित परिणामों और ऑफ-टारगेट प्रभावों की संभावना, चिंता का विषय बनी हुई है।
- मानवता के लिये हानिकारक: जीन संपादन से आनुवंशिक बीमारियों और अक्षमताओं का समाधान किया जा सकता है लेकिन गैर-चिकित्सीय उद्देश्यों के लिये इसका उपयोग करने के संदर्भ में नैतिक प्रश्न उठते हैं। इससे सामाजिक असमानताओं को बढ़ावा मिल सकता है और आनुवंशिक स्तर पर बदलाव की प्रवृत्ति को जन्म मिल सकता है।
- स्वायत्त विकास बाधित होना: जर्मलाइन कोशिकाओं (शुक्राणु,अंडे और भ्रूण) में किये गए परिवर्तन, भविष्य की पीढ़ियों में स्थानांतरित होंगे जिससे स्वायत्त विकास के साथ उन व्यक्तियों की भलाई के निहितार्थ के बारे में प्रश्न उठेंगे जो इसमें शामिल नहीं हैं।
- समानता और पहुँच: लागत, उपलब्धता या विनियामक बाधाओं के कारण जीन एडिटिंग तकनीकें सभी के लिये व्यापक रूप से सुलभ नहीं हो सकती हैं जिससे मौजूदा सामाजिक असमानताओं को बढ़ावा मिल सकता है।
- पर्यावरणीय न्याय: मनुष्यों के आनुवंशिक स्वरूप को बदलने से पारिस्थितिकी तंत्र के साथ भावी पीढ़ियों के विकास पर अप्रत्याशित प्रभाव पड़ सकता है।
निष्कर्ष:
मानव भ्रूण में जीन एडिटिंग तकनीकों के उपयोग के संदर्भ में विभिन्न नैतिक चिंताएँ उत्पन्न होती हैं। इसके संभावित लाभों और जोखिमों के बीच संतुलन बनाना, सूचित सहमति सुनिश्चित करना, अनपेक्षित परिणामों से बचना और इससे जुड़े वैश्विक शासन से संबंधित मुद्दों का समाधान, इन तकनीकों के जिम्मेदार और नैतिक अनुप्रयोग हेतु महत्त्वपूर्ण हैं।