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प्रश्न :
हाल ही में जारी केंद्रीय बजट 2023-24 में सरकार ने मैंग्रोव को संरक्षित करने के उद्देश्य से "MISHTI" नामक एक योजना शुरू की है। जलवायु परिवर्तन की समस्या को हल करने में मैंग्रोव के महत्त्व पर चर्चा करते हुए बताइए कि यह योजना भारत में मैंग्रोव के संरक्षण में किस प्रकार योगदान देगी। (250 शब्द)
17 May, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरणउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- मैंग्रोव का परिचय देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- मुख्य रूप से मैंग्रोव के महत्त्व का उल्लेख कीजिये और किस प्रकार मिष्टी योजना मैंग्रोव संरक्षण में सहायक होगी, लिखिये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
मैंग्रोव एक प्रकार का तटीय आर्द्रभूमि पारिस्थितिक तंत्र है जिसमें लवण-सहिष्णु पेड़ और झाड़ियाँ पाई जाती हैं। मैंग्रोव उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में मुख्य रूप से आश्रित तटरेखाओं, ज्वारनदमुख, लैगून और डेल्टा के सम्मुख पाए जाते हैं। मैंग्रोव वन तटीय पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य को बनाए रखने और कई पारिस्थितिक लाभ प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
निकाय:
मैंग्रोव, जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने और इसके प्रभावों को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जलवायु परिवर्तन के संबंध में मैंग्रोव के कुछ प्रमुख पहलू इस प्रकार हैं:
- कार्बन सीक्वेस्ट्रेशन: मैंग्रोव अत्यधिक कुशल कार्बन सिंक होते हैं। जो कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित और संग्रहीत करके, ग्रीनहाउस प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं, वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की सांद्रता को कम करने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन का सामना करते हैं।
- तटीय संरक्षण: मैंग्रोव तटीय अपरदन, तूफानी लहरों और ज्वारीय लहरों के विपरीत प्राकृतिक अवरोधक के रूप में कार्य करते हैं। इनकी जटिल जड़ प्रणालियाँ और सघन वनस्पतियाँ एक भौतिक अवरोध उत्पन्न करती हैं जो लहरों के आवेग को नष्ट कर देता है और तूफानों एवं चक्रवातों के प्रभावों को कम करता है।
- जैव विविधता संरक्षण: मैंग्रोव अविश्वसनीय रूप से विविध पारिस्थितिक तंत्र हैं जो वनस्पतियों तथा जीवों की एक विस्तृत शृंखला का समर्थन करते हैं। वे मछली, कठिनी या क्रस्टेशिया, पक्षियों और स्तनधारियों सहित कई प्रजातियों के लिये आवास प्रदान करते हैं।
- सामुद्रिक स्तर में वृद्धि हेतु अनुकूलन: समुद्र का बढ़ता स्तर जलवायु परिवर्तन के परिणामों में से एक है। समुद्र के स्तर में वृद्धि होने पर मैंग्रोव में गाद जमा करने और अपने भूमि के किनारे को बनाए रखने की असामान्य क्षमता होती है।
- सतत् आजीविका: मैंग्रोव तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लाखों लोगों की आजीविका के लिये आवश्यक हैं। वे मत्स्य पालन का समर्थन करते हैं, लकड़ी और गैर-लकड़ी वन उत्पाद प्रदान के साथ ही पर्यटन और मनोरंजन के अवसर प्रदान करते हैं।
- जल गुणवत्ता में सुधार: मैंग्रोव प्राकृतिक फिल्टर के रूप में कार्य करते हैं, समुद्र में पहुँचने से पहले जमीन से गाद और प्रदूषकों को बाँधे रहते हैं। वे पोषक तत्त्वों के बहाव के प्रभाव को कम करके और हानिकारक शैवाल प्रस्फुटन को रोककर जल की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद करते हैं।
MISHTI योजना मैंग्रोव संरक्षण में किस प्रकार सहायक होगी?
- मिष्टी योजना, भारत के समुद्र तट के साथ-साथ लवणीय भूमि पर मैंग्रोव वृक्षारोपण की सुविधा प्रदान करती है।
- मिष्टी योजना मैंग्रोव वृक्षारोपण के लिये राज्यों एवं स्थानीय समुदायों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- "मनरेगा, कैम्पा (CAMPA) फंड और अन्य स्रोतों के मध्य अभिसरण के माध्यम से, योजना का उद्देश्य तटीय मैंग्रोव वनों का गहन वनीकरण करना है।
- यह योजना सतत् मैंग्रोव प्रबंधन प्रथाओं के उपयोग को बढ़ावा देती है।
- यह योजना मैंग्रोव पारिस्थितिकी और संरक्षण पर अनुसंधान का समर्थन करती है।
निष्कर्ष:
मैंग्रोव वनों के कई लाभ होते हैं। इसके प्रमुख घटकों में मैंग्रोव का संरक्षण, बहाली और जलवायु परिवर्तन का सतत् प्रबंधन, शमन और अनुकूलन रणनीतियाँ शामिल हैं। मैंग्रोव संरक्षण को वैश्विक जलवायु नीतियों में शामिल करने और स्थानीय समुदायों का समर्थन करने से जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने और अधिक लचीले तटीय क्षेत्रों के निर्माण में योगदान मिल सकता है। हाल ही में शुरू की गई मिष्टी योजना एक स्वागत योग्य पहल है जो आने वाली पीढ़ियों के लिये भारत के मैंग्रोव की रक्षा करने में सहायक होगी।
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