विदेश नीति के उद्देश्यों, क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक हितों के संदर्भ में खाड़ी देशों के साथ भारत के संबंधों के महत्त्व पर चर्चा कीजिये। खाड़ी देशों के साथ अपने संबंधों को मज़बूत करने के लिये भारत द्वारा अपनाई गई रणनीतियों पर प्रकाश डालिये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत के लिये खाड़ी देशों के महत्त्व को बताते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- खाड़ी देशों के लिये भारत की विदेश नीति के उद्देश्यों और खाड़ी देशों के साथ संबंध बढ़ाने के लिये भारत द्वारा उठाए गए कदमों का वर्णन कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
खाड़ी देशों के साथ भारत के संबंध रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण हैं जो विदेश नीति के उद्देश्यों, क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक हितों को बढ़ावा देते हैं। इस क्षेत्र में रहने वाले नौ मिलियन से अधिक भारतीयों के साथ यह आपसी विकास में योगदान देते हैं। खाड़ी क्षेत्र, ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत है जिसकी भारत के लगभग एक-तिहाई तेल आयात और काफी मात्रा में प्राकृतिक गैस की आपूर्ति में हिस्सेदारी है। इसके अतिरिक्त खाड़ी देश भारत के महत्त्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार हैं, जिनकी भारत के वैश्विक व्यापार में लगभग 15% हिस्सेदारी है तथा यहाँ से पर्याप्त रेमिटेंस प्राप्त होता है।
मुख्य भाग:
खाड़ी क्षेत्र में भारत की विदेश नीति के उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- आतंकवाद का मुकाबला, समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, रक्षा सहयोग और क्षेत्रीय संपर्क जैसे विभिन्न मुद्दों पर खाड़ी देशों के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देना।
- अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और गांधी-ज़ायेद डिजिटल संग्रहालय जैसी पहलों के माध्यम से अपनी सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा देना।
- खाड़ी देशों के साथ अपनी व्यापार टोकरी में विविधता लाना, अधिक निवेश आकर्षित करना, बाज़ार पहुँच को सुविधाजनक बनाना और नवीकरणीय ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी तथा स्वास्थ्य देखभाल जैसे सहयोग के नए क्षेत्रों की खोज करके अपने आर्थिक जुड़ाव का विस्तार करना।
- कॉन्सुलर सेवाएँ प्रदान करके, संकट के दौरान प्रत्यावर्तन की सुविधा प्रदान करके और उनकी शिकायतों और चिंताओं को दूर करके खाड़ी क्षेत्र में भारतीय डायस्पोरा के कल्याण और सुरक्षा को सुनिश्चित करना।
- विचार-विमर्श और कूटनीति का समर्थन करके, आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप से बचने और सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करके खाड़ी क्षेत्र में क्षेत्रीय स्थिरता और शांति में योगदान देना।
खाड़ी क्षेत्र के साथ अपने जुड़ाव को मजबूत करने के लिये भारत द्वारा अपनाई गई कुछ रणनीतियाँ:
- भारत और खाड़ी देशों के नेताओं और अधिकारियों के बीच उच्च स्तरीय वार्ताओं के साथ यात्राओं को बढ़ावा देना। उदाहरण के लिये प्रधानमंत्री ने वर्ष 2015 से सभी 6 GCC देशों का दौरा किया है। इसी तरह खाड़ी देशों के कई नेताओं ने भारत का दौरा किया है और वाइब्रेंट गुजरात समिट तथा रायसीना डायलॉग जैसे कार्यक्रमों में भाग लिया है।
- आपसी हित के विभिन्न मुद्दों पर नियमित परामर्श और सहयोग के लिये संस्थागत तंत्र की स्थापना करना। उदाहरण के लिये भारत ने सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के साथ रणनीतिक साझेदारी, सभी GCC देशों के साथ संयुक्त आयोग, संयुक्त अरब अमीरात के साथ निवेश पर एक उच्च स्तरीय टास्क फोर्स, कतर के साथ एक संयुक्त व्यापार परिषद तथा संयुक्त अरब अमीरात के साथ व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (CEPA) जैसी पहले की हैं।
- भारत ने संयुक्त अभ्यास, प्रशिक्षण कार्यक्रम, नौसैनिक दौरे, खुफिया जानकारी साझा करने, आतंकवाद-रोधी समन्वय और रक्षा उपकरणों की बिक्री करके खाड़ी देशों के साथ अपने रक्षा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा दिया है। उदाहरण के लिये भारत ने ओमान के साथ नसीम अल बहर, संयुक्त अरब अमीरात के साथ जायद तलवार, ओमान के साथ अल नागाह आदि नौसैनिक अभ्यास किये हैं।
- भारत ने सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, कतर, बहरीन और कुवैत के साथ रक्षा सहयोग समझौतों पर भी हस्ताक्षर किये हैं।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान, शैक्षिक सहयोग, पर्यटन के प्रसार, मीडिया संचार, संसदीय आदान-प्रदान आदि को सुविधाजनक बनाकर खाड़ी देशों के साथ अपने लोगों के संबंधों को बढ़ावा देना। उदाहरण के लिये भारत ने GCC देशों में जाने वाले श्रमिकों के ऑनलाइन पंजीकरण के लिये ई-माइग्रेट प्रणाली शुरू की है इसके साथ ही भारत आने वाले GCC नागरिकों के लिये ई-वीजा सुविधा, भारतीय प्रवासियों के साथ जुड़ने के लिये प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन आदि की शुरुआत की है।
निष्कर्ष:
खाड़ी देशों के साथ भारत के संबंध इसकी विदेश नीति का एक महत्त्वपूर्ण घटक हैं जो देश की ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक हितों और क्षेत्रीय स्थिरता के पूरक हैं। कूटनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग के माध्यम से इन संबंधों को मज़बूत करना, आपसी लाभ को बढ़ावा देना और खाड़ी क्षेत्र की समग्र स्थिरता और समृद्धि में योगदान देना भारत की प्रमुख प्राथमिकता रही है।