प्रश्न :
आप एक बहुराष्ट्रीय कंपनी XYZ के सीईओ हैं। यह कंपनी श्री राकेश को एक नए प्रबंधक के रूप में नियुक्त करती है, जिन्हें अल्पकालिक लाभप्रदता बढ़ाने और लागत में कटौती के उपायों को प्राथमिकता देने के लिये जाना जाता है। उनके नेतृत्व में कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन में तो सुधार होता है, लेकिन कुछ नैतिक चिंताएँ भी उत्पन्न होती हैं।
श्री राकेश उन रणनीतियों को लागू करते हैं जिनमें ऋण के माध्यम से पूंजी प्रवाह बढ़ाना तथा कर्मचारियों पर कार्य का अत्यधिक दबाव डालना शामिल है, जिसके परिणामस्वरूप कंपनी की लाभप्रदता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उनकी नीतियों के माध्यम से कंपनी के शेयरों के मूल्य में वृद्धि होने लगी और बहुत जल्द ही श्री राकेश की निदेशक मंडल की नजर में अच्छी छवि बन गई।
इस कंपनी के कर्मचारी क्रमिक रूप से कंपनी छोड़ने लगते हैं। इस संदर्भ में शुरूआती पूछताछ में पता चलता है कि राकेश के अनियंत्रित व्यवहार के कारण कर्मचारी कंपनी छोड़ रहे हैं। आपको यह भी पता चलता है कि राकेश की नीतियाँ अल्पावधि में तो लाभ को बढ़ावा देंगी लेकिन वे दीर्घावधि में स्थिरता के लिये उपयुक्त नहीं हैं। श्री राकेश ने जो सुखद तस्वीर पेश की है वह पूरी तरह सही नहीं है। वह विनियामक खामियों का उपयोग करते हुए वित्तीय विवरणों में हेरफेर करता है और कृत्रिम रूप से कंपनी की लाभप्रदता में वृद्धि दिखाता है। इससे निवेशक तो आकर्षित होते हैं लेकिन इससे वित्तीय रिपोर्टिंग की सटीकता और पारदर्शिता पर सवाल उठता है।
इस मामले में शामिल नैतिक मुद्दे क्या हैं और इस स्थिति के समाधान हेतु आपके पास कौन से विकल्प उपलब्ध हैं?
12 May, 2023
सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- इस मुद्दे का संक्षिप्त परिचय देते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- इस मामले में शामिल विभिन्न हितधारकों के बारे में चर्चा कीजिये।
- इस मामले में शामिल नैतिक दुविधाओं पर चर्चा कीजिये।
- इस संदर्भ में उपलब्ध विकल्पों को बताते हुए की जाने वाली कार्रवाई पर चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
इस मामले में XYZ निगम एक नए प्रबंधक की नियुक्ति करता है जो अल्पकालिक लाभप्रदता और लागत में कटौती को प्राथमिकता देता है। इससे लाभ तो बढ़ता है लेकिन इसमें नैतिक चिंताएँ उभरने के साथ कर्मचारियों को निकाला जाना शामिल है। प्रारंभिक जाँच में अस्थिर नीतियों और कृत्रिम लाभप्रदता के लिये वित्तीय विवरणों में हेर-फेर करने के बारे में पता चला है। यह मामला दीर्घकालिक स्थिरता और नैतिकता के साथ अल्पकालिक लाभ को संतुलित करने के महत्त्व को रेखांकित करता है।
मुख्य भाग:
शामिल हितधारक:
- कंपनी
- शेयरधारक
- कर्मचारी
- निदेशक मंडल
- सीईओ के रूप में स्वयं आप
इस मामले में शामिल नैतिक मुद्दे:
- कर्मचारियों के साथ अनैतिक व्यवहार :
- श्री राकेश के व्यवहार और प्रबंधन शैली से कर्मचारियों पर कार्य का अत्यधिक दबाव पड़ने के साथ वह कंपनी छोड़ने के लिये मजबूर हो रहे हैं। इससे कर्मचारियों के साथ निष्पक्ष और नैतिक व्यवहार करने के सिद्धांत का उल्लंघन होता है।
- पारदर्शिता और जवाबदेहिता का अभाव:
- श्री राकेश द्वारा वित्तीय विवरणों में हेर-फेर करना गंभीर नैतिक चिंताएँ पैदा करता है। कंपनी की लाभप्रदता को कृत्रिम रूप से बढ़ाकर, वह कंपनी की वित्तीय स्थिति को गलत तरीके से प्रस्तुत करता है। यह न केवल निवेशकों को धोखा देता है बल्कि वित्तीय रिपोर्टिंग प्रक्रिया की सटीकता, पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा से भी समझौता करता है।
- श्री राकेश द्वारा वित्तीय विवरणों में हेराफेरी के साथ गलत जानकारी प्रस्तुत करने से पारदर्शिता और जवाबदेहिता के बारे में चिंताएँ पैदा होती हैं।
- दीर्घकालिक स्थिरता की कीमत पर अल्पकालिक लाभ पर बल देना:
- श्री राकेश द्वारा अल्पकालिक लाभप्रदता पर बल देने के साथ लागत में कटौती के उपायों को महत्त्व देने से कंपनी के शेयरों के मूल्य में वृद्धि हो सकती है। हालांकि इससे कंपनी की दीर्घकालिक स्थिरता की उपेक्षा होती है। दीर्घकालिक व्यवहार्यता की तुलना में अल्पकालिक लाभ को प्राथमिकता देने से कंपनी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचने के साथ कर्मचारियों के मनोबल में और हितधारकों के विश्वास में कमीं आ सकती है। अंततः इससे कंपनी की दीर्घकालिक सफलता प्रभावित होती है।
सीईओ के रूप में आपके समक्ष उपलब्ध विकल्प निम्नलिखित हैं:
1. राकेश को उनके पद से हटाना:
- गुण:
- इससे संगठन के अंदर नैतिक मानकों को बनाए रखने की प्रतिबद्धता प्रदर्शित होती है।
- यह स्पष्ट संदेश देता है कि अनैतिक व्यवहार और प्रथाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
- इससे कर्मचारियों के मनोबल को बढ़ाया जा सकता है।
- दोष:
- ऐसे कदम से संगठन के अंदर नेतृत्वकर्त्ता के अस्थायी अभाव से अनिश्चितता हो सकती है।
- इससे शुरू में निदेशक मंडल और सकारात्मक वित्तीय परिणाम से आशान्वित होने वाले निवेशकों के विश्वास में कमी आ सकती है।
- इससे कानूनी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
2. निदेशक मंडल को रिपोर्ट करना:
- गुण:
- उनकी विशेषज्ञता और अनुभव से तार्किक निर्णय लेने में मदद मिल सकती है।
- बोर्ड को शामिल करने से उचित कार्रवाई करने के क्रम में उचित निर्णय लेने की संभावना बढ़ सकती है।
- इससे बोर्ड अपने निरीक्षण कर्तव्यों को पूरा करने के साथ उचित कार्रवाई करने में सक्षम हो सकता है।
- दोष:
- बोर्ड की संरचना और श्री राकेश के साथ इसके संबंधों से हितों का टकराव होने के साथ निष्पक्ष निर्णय में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
- बोर्ड की नजर में राकेश की छवि, आपके दृष्टिकोण के खिलाफ हो सकती है।
3. इस मामले की उपेक्षा करते हुए अपने आप से इस समस्या के उजागर होने की प्रतीक्षा करना:
- गुण:
- आप राकेश की अनैतिक प्रथाओं और वित्तीय हेरफेर के खिलाफ अतिरिक्त सबूत इकट्ठा कर सकते हैं।
- ऐसे में अनैतिक प्रथाओं और वित्तीय हेरफेर को नियामक निकायों एवं लेखा परीक्षकों द्वारा उजागर किया जा सकता है।
- इस मुद्दे की उपेक्षा करने से इस संदर्भ में होने वाले संघर्षों से बचा जा सकता है।
- दोष:
- कार्रवाई में विलंब होने से कंपनी की प्रतिष्ठा, वित्तीय स्थिरता के साथ कर्मचारियों के मनोबल को अधिक नुकसान हो सकता है।
- अनैतिक व्यवहार के प्रति निष्क्रियता या उदासीनता से हितधारकों के विश्वास में कमी हो सकती है।
- कार्य की खराब परिस्थितियों के कारण कंपनी की उत्पादकता के साथ कर्मचारियों के मनोबल पर असर पड़ सकता है।
- किसी तीसरे पक्ष द्वारा इस मुद्दे का खुलासा करने से इसमें कानूनी जटिलताएँ होने के साथ कंपनी की स्थिति को नुकसान पहुँच सकता है।
इस संदर्भ में कार्रवाई का क्रम:
- तटस्थ जाँच करना: श्री राकेश के व्यवहार और वित्तीय रिपोर्टिंग के खिलाफ आरोपों की गहन जाँच शुरू करना।
- वित्तीय रिपोर्टिंग प्रक्रियाओं की समीक्षा करना: किसी भी प्रकार की अनियमितताओं या संभावित विनियामक उल्लंघनों की पहचान करने के लिये कंपनी की वित्तीय रिपोर्टिंग प्रक्रियाओं की समीक्षा करना।
- निदेशक मंडल के साथ संवाद करना: निदेशक मंडल के साथ आंतरिक जाँच और वित्तीय रिपोर्टिंग समीक्षा के निष्कर्षों को साझा करना।
- कर्मचारियों की चिंताओं को दूर करना: राकेश के व्यवहार से संबंधित कर्मचारियों की चिंताओं को दूर करने के लिये उन्हें खुले और पारदर्शी संचार में संलग्न करके तत्काल कार्रवाई करना।
- यदि आवश्यक हो तो श्री राकेश को हटाना: यदि राकेश और उनके कार्यों को कंपनी के दीर्घकालिक हितों के लिये हानिकारक माना जाता है, तो उन्हें उनके पद से हटाने पर विचार किया जाना।
- शासन और नियंत्रण प्रणाली को मज़बूत करना: भविष्य में इसी तरह के मुद्दों को रोकने के लिये मजबूत शासन तंत्र के साथ आंतरिक नियंत्रण प्रणाली पर बल देना।
- दीर्घकालिक रणनीति विकसित करना: सतत् विकास, नैतिक प्रथाओं और कर्मचारियों के कल्याण पर केंद्रित एक व्यापक एवं दीर्घकालिक रणनीति विकसित करना।
- विश्वसनीयता बहाल करना: कंपनी की विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा को बहाल करने के लिये कदम उठाना। इस स्थिति से निपटने के लिये की गई पहलों के बारे में निवेशकों, ग्राहकों और कर्मचारियों सहित हितधारकों को स्पष्ट रूप से बताना।
निष्कर्ष:
सीईओ के लिये यह महत्त्वपूर्ण है कि श्री राकेश की रणनीतियों से जुड़ी नैतिक चिंताओं की पूरी तरह से जाँच करके, विश्वास और पारदर्शिता बहाल करने के उपायों को लागू करने के माध्यम से इन्हें हल करने का प्रयास किया जाए। कंपनी की प्रतिष्ठा और सफलता के लिये इस संदर्भ में दीर्घकालिक स्थिरता और नैतिक प्रथाओं को प्राथमिकता देना महत्त्वपूर्ण है।