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प्रश्न :
लोकतंत्र पर सोशल मीडिया के प्रभाव तथा भारत में ऑनलाइन सामग्री के नियमन के क्रम में इससे उत्पन्न होने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। सोशल मीडिया को विनियमित करने के लिये सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का विश्लेषण करने के साथ जवाबदेहिता सुनिश्चित करने की आवश्यकता एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन स्थापित करने के उपायों का सुझाव दीजिये। (250 शब्द)
09 May, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- सोशल मीडिया के बारे में संक्षेप में बताते हुए लोकतंत्र पर इसके प्रभावों के बारे में बताइए।
- भारत में ऑनलाइन सामग्री को विनियमित करने की चुनौतियों को बताते हुए इस दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख कीजिये।
- जवाबदेहिता सुनिश्चित करने की आवश्यकता के साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को संतुलित करने के उपाय बताइए।
- समग्र निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- सोशल मीडिया का लोकतंत्र पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। एक ओर सोशल मीडिया ने सूचना की उपलब्धता और पहुँच में वृद्धि की है तथा व्यक्तियों को राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेने और अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों को जवाबदेह ठहराने में सक्षम बनाया है। इसके साथ ही इसने उपेक्षित समुदायों के लिये अपनी राय व्यक्त करना और बदलाव के लिये एकजुट होना भी आसान बना दिया है।
- दूसरी ओर सोशल मीडिया ने लोकतंत्र के लिये चुनौतियाँ भी पेश की हैं, जैसे कि गलत सूचना का प्रसार, अभद्र भाषा और प्रचार, जिससे जनमत का ध्रुवीकरण होने के साथ लोकतांत्रिक संस्थान कमज़ोर हो सकते हैं।
मुख्य भाग:
- निम्नलिखित तरीकों से सोशल मीडिया ने लोकतंत्र को प्रभावित किया है:
- नागरिकों के एकीकरण में वृद्धि होना: सोशल मीडिया से राजनीतिक प्रक्रिया में नागरिकों के एकीकरण को बढ़ावा मिला है और इसने व्यक्तियों के लिये अपनी राय व्यक्त करना तथा अपने चुने हुए प्रतिनिधियों को जवाबदेह बनाना आसान बना दिया है। ट्विटर और फेसबुक जैसे प्लेटफार्मों ने नागरिकों को अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ सीधे संवाद करने एवं बहस में भाग लेने हेतु सहायता प्रदान की है।
- सूचना का लोकतांत्रीकरण होना: सोशल मीडिया ने सूचना तक पहुँच का लोकतांत्रीकरण किया है, जिससे लोगों को विभिन्न स्रोतों से सूचना तक पहुँच प्राप्त होती है। इससे वंचित समुदायों को आवाज़ उठाना तथा लोक प्रक्रिया में भाग लेना आसान हो गया है।
- अपनी विचारधाराओं को प्रसारित करना: सोशल मीडिया पर व्यक्तियों को केवल उन विचारों और सूचनाओं से अवगत कराना जो उनके मौजूदा विश्वासों के अनुरूप होते हैं,से दृष्टिकोण और ध्रुवीकरण के संदर्भ में संकीर्णता को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे व्यक्ति अपनी मान्यताओं में अधिक सीमित हो जाते हैं तथा अलग-अलग विचार रखने वालों के साथ रचनात्मक संवाद में संलग्न होने की इनकी संभावना कम हो जाती है।
- गलत सूचनाओं का प्रसार होना: सोशल मीडिया ने गलत सूचनाओं को तेजी से और व्यापक रूप से प्रसारित करना आसान बना दिया है। लोकतंत्र के लिये इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं, क्योंकि झूठी सूचना से लोकतांत्रिक संस्थानों में लोगों के विश्वास में कमीं आ सकती है।
- भारत में ऑनलाइन सामग्री के नियमन के क्रम में सोशल मीडिया द्वारा उत्पन्न चुनौतियाँ:
- सोशल मीडिया पर विषय-वस्तु की निगरानी और विनियमन करना मुश्किल हो जाता है।
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोग पहचान छुपाकर अभद्र भाषा एवं अनुचित विषय-वस्तु के प्रसार में संलग्न हो सकते हैं।
- निर्णय लेने की प्रक्रियाओं और विषय-वस्तु के मॉडरेशन से संबंधित नीतियों में सोशल मीडिया प्लेटफार्मों की पारदर्शिता और जवाबदेहिता का अभाव है।
- अलग-अलग विचारों और व्यक्तिपरक मानदंडों के कारण हानिकारक विषय-वस्तु का निर्धारण करने में कठिनाई होती है।
- भारत के बाहर से प्रसारित होने वाली विषय-वस्तु को विनियमित करने में कठिनाई होती है।
- निष्पक्ष, पारदर्शी और जवाबदेह विषय-वस्तु मॉडरेशन सुनिश्चित करने के क्रम में एक स्वतंत्र निरीक्षण तंत्र का अभाव बना हुआ है।
- विषय-वस्तु मॉडरेशन निर्णयों में राजनीतिक पूर्वाग्रह की संभावना के बारे में चिंताएँ रहती हैं।
- भारत सरकार ने जवाबदेहिता सुनिश्चित करने की आवश्यकता एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन स्थापित करने हेतु सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को विनियमित करने के लिये कई कदम उठाए हैं जैसे:
- सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशा-निर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के तहत नए नियमों को लाया गया है। इन नियमों में शिकायत अधिकारियों को नियुक्त करने और 24 घंटे के अंदर हानिकारक विषय-वस्तु से संबंधित शिकायतों को दूर करने के लिये तंत्र स्थापित करने हेतु सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है।
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिये भारत में भौतिक उपस्थिति होना एवं कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ 24x7 समन्वय हेतु एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
- इसके तहत ऑनलाइन क्यूरेटेड सामग्री प्रदाताओं के लिये दिशानिर्देश निर्धारित किये गए हैं जिसमें डिजिटल समाचार पोर्टल और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म शामिल हैं।
- जवाबदेहिता सुनिश्चित करने की आवश्यकता एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन स्थापित करने हेतु कुछ कदम उठाए जा सकते हैं जैसे:
- नागरिक समाज, शिक्षा जगत और सरकार के हितधारकों के परामर्श से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हानिकारक सामग्री के नियमन के लिये स्पष्ट और वस्तुनिष्ठ मानदंड स्थापित करना चाहिये।
- पारदर्शी और जवाबदेह निर्णय लेने हेतु एक मंच प्रदान करने के लिये नागरिक समाज, शिक्षाविदों और सरकार के प्रतिनिधियों के संगठन से स्वतंत्र निरीक्षण तंत्र बनाया जाना चाहिये।
- मीडिया साक्षरता के साथ इस संदर्भ में जागरूकता बढ़ाने वाली पहलों पर बल देना चाहिये। इसमें ऐसे अभियान शामिल हो सकते हैं जो जवाबदेह ऑनलाइन व्यवहार को प्रोत्साहित करते हैं और गलत सूचना तथा अभद्र भाषा के प्रसार को हतोत्साहित करते हैं।
- हानिकारक विषय-वस्तु को हटाने के लिये स्पष्ट मानदंड की स्थापना सहित पारदर्शी और जवाबदेह सामग्री मॉडरेशन नीतियों को अपनाने के लिये सोशल मीडिया कंपनियों को प्रोत्साहित करना चाहिये।
- ऑनलाइन विषय-वस्तु के विनियमन से संबंधित मुद्दों की पहचान करने और उन्हें हल करने के लिये सोशल मीडिया कंपनियों, नागरिक समाज, शिक्षाविदों और सरकार के बीच खुले संवाद और समन्वय की संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिये।
निष्कर्ष:
सोशल मीडिया के माध्यम से सूचनाओं को गलत तरीके से प्रसारित करने की समस्या से भारत में लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ा है। सरकार ने सोशल मीडिया को विनियमित करने के लिये कई कदम उठाए हैं लेकिन सेंसरशिप और भाषण की स्वतंत्रता के संदर्भ में चिंता बनी हुई है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और उत्तरदायित्व को संतुलित करने के क्रम में एक स्वस्थ डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र हेतु स्पष्ट मानदंड के साथ सोशल मीडिया का जिम्मेदार उपयोग सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है। अंतत: ये उपाय भारत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हानिकारक सूचनाओं से संबंधित समस्याओं को हल करने तथा पारदर्शिता एवं जवाबदेहिता को बढ़ावा देने में सहायक हो सकते हैं।
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