भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रति तिलक और महात्मा गांधी के दृष्टिकोण में समानताओं और भिन्नताओं पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- तिलक और गांधी के दृष्टिकोण को संक्षेप में समझाइए।
- दोनों नेताओं के दृष्टिकोण में समानताओं और भिन्नताओं पर प्रकाश डालिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
तिलक और गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दो महत्त्वपूर्ण नेता थे जिन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। इनके दृष्टिकोण में समानताएँ होने के साथ इनके तरीकों और विचारधाराओं में भिन्नताएँ भी थीं।
मुख्य भाग:
समानताएँ:
- तिलक और गांधी दोनों ही स्व-शासन के महत्त्व को समझने के साथ भारत को ब्रिटिश उपनिवेशवाद से मुक्त कराने में विश्वास करते थे।
- दोनों नेता स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिये जन आंदोलनों की शक्ति में विश्वास करते थे। उन्होंने स्वतंत्रता संघर्ष में लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया था।
- तिलक और गांधी दोनों ही ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार के विरोध के साधन के रूप में असहयोग और सविनय अवज्ञा के उपयोग में विश्वास करते थे।
- वे दोनों भारतीय संस्कृति और विरासत के महत्त्व में विश्वास करने के साथ इसे संरक्षित करने एवं बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल देते थे।
भिन्नताएँ:
- स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिये यदि आवश्यक हो तो हिंसक साधनों के उपयोग में तिलक का विश्वास था। उनका मानना था कि स्वतंत्रता के लक्ष्य को प्राप्त करने में बल का उपयोग उचित है। दूसरी ओर गांधी, अहिंसा में अधिक विश्वास रखते थे और विरोध तथा प्रतिरोध हेतु अहिंसक साधनों की वकालत करते थे।
- तिलक, कट्टर राष्ट्रवादी थे जो हिंदू धर्म और संस्कृति की प्रधानता में विश्वास करते थे। दूसरी ओर गांधी समग्र राष्ट्रवाद के विचार में विश्वास करते थे, जिसमें भारत के सभी समुदाय शामिल थे।
- स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में तिलक का दृष्टिकोण राजनीतिक सुधार पर अधिक केंद्रित था, जबकि गांधी का दृष्टिकोण अधिक समग्र था जिसमें सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सुधार शामिल थे।
- तिलक शिक्षा के महत्त्व में विश्वास करते थे और जनता के बीच शिक्षा के प्रसार की वकालत करते थे। दूसरी ओर गांधी, सभी के लिये साक्षरता और बुनियादी शिक्षा के महत्त्व में विश्वास करने के साथ कताई और बुनाई जैसे व्यवहारिक कौशल की आवश्यकता पर भी बल देते थे।
निष्कर्ष:
बाल गंगाधर तिलक और महात्मा गांधी का ब्रिटिश शासन से भारत को स्वतंत्रता दिलाने का साझा लक्ष्य था लेकिन उनके दृष्टिकोण अलग थे। तिलक, उग्रवादी राष्ट्रवाद के पक्षधर थे लेकिन गांधी ने अहिंसक प्रतिरोध को प्राथमिकता देते हुए स्वतंत्रता की अधिक व्यापक धारणा पर बल दिया था। दोनों ही नेताओं ने भारतीय लोगों को संगठित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ अंततः भारत को आजादी दिलाने में काफी योगदान दिया था।