मृदा निर्माण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिये तथा इसके निर्माण को प्रभावित करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिये।
20 Jan, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल उत्तर की रूपरेखा:
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धरातल पर प्राकृतिक तत्त्वों के समुच्चय जिसमें जीवित पदार्थ तथा पौधों को पोषित करने की क्षमता होती है, मृदा कहलाती है। मृदा एक परिवर्तनशील एवं विकासोन्मुख तत्त्व है जिसकी बहुत-सी विशेषताएँ मौसम के साथ बदलती रहती हैं।
मृदा निर्माण की प्रक्रिया
मृदा निर्माण की प्रक्रिया सर्वप्रथम अपक्षय की प्रक्रिया से शुरू होती है। अपक्षय या अपरदन के कारकों का चट्टानों में विघटन होता है। चट्टान के अपक्षयित पदार्थों के रंध्रों में कुछ वायुमंडलीय गैसों, जैसे- नाइट्रोजन, ऑक्सीजन आदि का समावेश हो जाता है। वर्षा वाले क्षेत्रों में इन रंध्रों में जल प्रवेश कर जाता है जिससे इनमें कई निकृष्ट पौधे, जैसे- काई, लाइकेन उगने लगते हैं। इन निक्षेपों के अंदर कई सूक्ष्मजीव भी आश्रम प्राप्त कर लेते हैं।
जीव एवं पौधे के मृत अवशेष ह्यूमस के एकत्रीकरण में सहायक होते हैं। प्रारंभ में सूक्ष्म घास एवं फर्न की वृद्धि होती है, बाद में पक्षियों द्वारा लाए गए बीजों से वृक्ष एवं झाडि़याँ उगने लगती हैं। पौधों की जड़ें नीचे तक घुस जाती हैं। बिल बनाने वाले जानवर कणों को ऊपर लाते हैं, जिससे पदार्थों का अंबार छिद्रमय एवं स्पंज की तरह हो जाता है। इस प्रकार जल धारण करने की क्षमता, वायु के प्रवेश आदि के कारण अंततः परिपक्व, खनिज एवं जीव-उत्पाद युक्त मृदा का निर्माण होता है।
मृदा का निर्माण पाँच मूल कारकों द्वारा नियंत्रित होता है-