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प्रश्न :
"आधुनिक समय में लोक सेवकों के समक्ष आने वाली नैतिक दुविधाएँ जटिल और चुनौतीपूर्ण हैं।" उदाहरणों सहित चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
27 Apr, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- नैतिक दुविधाओं को परिभाषित करते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- लोक सेवकों के समक्ष आने वाली नैतिक दुविधाओं की चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
नैतिक दुविधा एक ऐसी स्थिति होती है जहाँ किसी व्यक्ति को कठिन परिस्थिति में दो विकल्पों में से निर्णय लेना पड़ता है जिसमें दोनों ही विकल्पों के नैतिक प्रभाव होते हैं और इन दोनों में संघर्ष की स्थिति होती है। लोक सेवकों की समाज को आकार देने और यह सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है कि सार्वजनिक संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग किया जा रहा है। हालाँकि ये अक्सर अपने कर्तव्य निर्वहन में नैतिक दुविधाओं का सामना करते हैं, जो जटिल और चुनौतीपूर्ण होती हैं।
मुख्य भाग:
लोक सेवकों के समक्ष आने वाली नैतिक दुविधाएँ:
- हितों का टकराव:
- लोक सेवकों को अपने व्यक्तिगत और पदीय कर्तव्यों के बीच हितों के टकराव का सामना करना पड़ सकता है।
- उदाहरण के लिये किसी ऐसी परियोजना में सरकारी अधिकारी की वित्तीय हिस्सेदारी हो सकती है जिसे मंजूरी देने के लिये वह स्वयं जिम्मेदार हो।
- ऐसी स्थितियों से बचने के लिये स्पष्ट आचार संहिता को लागू करना महत्त्वपूर्ण है।
- घूस लेना और भ्रष्टाचार:
- भ्रष्टाचार कई देशों में एक बड़ी चुनौती बना हुआ है और लोक सेवक अक्सर इसमें संलिप्त होते हैं।
- रिश्वत लेने से प्रशासन पर लोगों के विश्वास में कमी आने के साथ सार्वजनिक सेवा की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
- इसका समाधान करने के लिये भ्रष्टाचार विरोधी उपायों जैसे व्हिसलब्लोइंग सुरक्षा और खरीद में पारदर्शिता को लागू किया जा सकता है।
- गोपनीयता और निगरानी:
- प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग से लोक सेवकों को निजता तथा निगरानी से संबंधित नैतिक दुविधाओं का सामना करना पड़ सकता है।
- उदाहरण के लिये क्या सरकारी एजेंसियों को नागरिकों की सहमति के बिना उनका डेटा एकत्र करने की अनुमति दी जानी चाहिये? व्यक्तिगत गोपनीयता अधिकारों के साथ सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा की आवश्यकता को संतुलित करना महत्त्वपूर्ण है।
- परस्पर विरोधी मूल्य:
- लोक सेवकों के व्यक्तिगत मूल्य तथा आधिकारिक नीति या संगठनात्मक संस्कृति के बीच संघर्ष होने से इन्हें दुविधा का सामना करना पड़ सकता है।
- उदाहरण के लिये किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा संगठनात्मक संस्कृति के विरुद्ध किये जाने वाले कार्यों पर प्रश्नचिन्ह लगाया जा सकता है।
- नैतिक नेतृत्व वाली संस्कृति स्थापित करना महत्त्वपूर्ण है जिसमें लोक सेवकों को बोलने और समस्याओं को उठाने के लिये प्रोत्साहित किया जाता हो।
निष्कर्ष:
अंततः लोक सेवकों को अपने कर्तव्य निर्वहन में जटिल नैतिक दुविधाओं का सामना करना पड़ता है। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिये, स्पष्ट आचार संहिता स्थापित करना, इस संबंध में प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करना तथा नैतिक नेतृत्व वाली संस्कृति स्थापित करना महत्त्वपूर्ण है। ऐसा करके हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि लोक सेवक ईमानदारी के उच्चतम मानकों को बनाए रखें और जनता के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखकर कार्य करें।
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