भारत में जैव विविधता के संरक्षण के महत्त्व को बताते हुए इसे संरक्षित करने के लिये सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर चर्चा कीजिये। इसके साथ ही देश की समृद्ध जैव विविधता के संरक्षण में इन उपायों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- जैव विविधता के बारे में बताते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- जैव विविधता के संरक्षण के महत्त्व पर चर्चा कीजिये।
- जैव विविधता के संरक्षण हेतु सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की चर्चा कीजिये।
- इन कदमों की प्रभावशीलता पर चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
जैव विविधता का तात्पर्य जीवों की विविधता और पर्यावरण तथा उनके बीच की अंतःक्रियाओं से निर्मित तंत्र से है। विश्व की जैव विविधता में भारत की हिस्सेदारी 7% से अधिक होने के साथ यह विविध प्रकार की वनस्पतियों और जीवों का स्थल है।
मुख्य भाग:
जैव विविधता के संरक्षण का महत्त्व:
- पारिस्थितिकी लाभ:
- जैव विविधता, पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने और प्राकृतिक संसाधनों के सतत् उपयोग को सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- इससे परागण, पोषक चक्रण और मृदा संरक्षण जैसी पारिस्थितिकी सेवाएँ प्राप्त होती हैं।
- आर्थिक लाभ:
- जैव विविधता के आर्थिक लाभ भी हैं जैसे कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन के माध्यम से लाखों लोगों को आजीविका मिलती है।
- इसमें नई दवाओं और जैव प्रौद्योगिकी के विकास की भी क्षमता है।
- सांस्कृतिक लाभ:
- जैव विविधता भारत में कई समुदायों की सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं का अभिन्न अंग है।
- यह आध्यात्मिक और धार्मिक मान्यताओं के लिये भी महत्त्वपूर्ण है।
जैव विविधता के संरक्षण के लिये सरकार द्वारा किये गए उपाय:
- संरक्षित क्षेत्र:
- भारत ने जैव विविधता के संरक्षण के लिये राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभ्यारण्यों और बायोस्फीयर रिज़र्व जैसे संरक्षित क्षेत्रों का नेटवर्क स्थापित किया है।
- जनवरी 2023 तक भारत के संरक्षित क्षेत्र 173,629.52 वर्ग किलोमीटर (67,038.73 वर्ग मील) क्षेत्र में फैले हुए हैं, जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 5.28% है।
- वन्यजीव संरक्षण:
- सरकार ने वन्यजीवों और उनके आवासों की सुरक्षा के लिये वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 और वन संरक्षण अधिनियम, 1980 जैसे कानून बनाए हैं।
- इसके साथ ही वन्यजीव अपराधों को रोकने हेतु राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो जैसे संस्थानों की भी स्थापना की गई है।
- अंतर्राष्ट्रीय समझौते:
- भारत, जैव विविधता पर सम्मलेन और पेरिस समझौते जैसे अंतर्राष्ट्रीय समझौतों का हस्ताक्षरकर्ता है, जिनका उद्देश्य जैव विविधता की रक्षा करना और जलवायु परिवर्तन का समाधान करना है।
इन उपायों की प्रभावशीलता:
- संरक्षित क्षेत्र:
- संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना, भारत में जैव विविधता के संरक्षण में प्रभावी रही है।
- इन क्षेत्रों ने बाघों, हाथियों और गैंडों जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाने में मदद की है।
- हालाँकि कुछ संरक्षित क्षेत्रों में मानव-वन्यजीव संघर्ष, अवैध शिकार और अतिक्रमण जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- वन्यजीव संरक्षण:
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम अवैध शिकार और तस्करी जैसे वन्यजीव अपराधों को कम करने में प्रभावी रहा है।
- हालाँकि अभी भी वन्यजीव उत्पादों की मांग होने के साथ कानूनों के अपर्याप्त प्रवर्तन से संबंधित चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय समझौते:
- अंतर्राष्ट्रीय समझौतों में भारत की भागीदारी से जैव विविधता संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ने के साथ वैश्विक पर्यावरणीय मुद्दों को हल करने में मदद मिली है।
- हालाँकि इन समझौतों द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने में अभी भी चुनौतियाँ बनी हुई हैं, जैसे कि इनके आवास स्थल का नुकसान होना और आक्रामक प्रजातियों का प्रसार होना आदि।
निष्कर्ष:
हालाँकि ये उपाय कुछ मायनों में प्रभावी रहे हैं फिर भी मानव-वन्यजीव संघर्ष, अवैध शिकार और इनके आवास स्थल का नुकसान होने जैसी चुनौतियाँ अभी भी मौजूद हैं। इन चुनौतियों का समाधान करने के साथ प्राकृतिक संसाधनों के सतत् उपयोग की दिशा में कार्य करना महत्त्वपूर्ण है।