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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    कार्स्ट स्थलाकृति क्या है? इसकी विशेषताओं एवं महत्त्व का वर्णन कीजिये। (250 शब्द)

    24 Apr, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:
    • कार्स्ट स्थलाकृति के बारे में संक्षिप्त परिचय देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • इसकी विशेषताओं और महत्त्व पर चर्चा कीजिये।
    • तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।


    परिचय:

    चूना पत्थर वाली चट्टानों के क्षेत्र में भूमिगत जल के द्वारा सतह के ऊपर तथा नीचे विचित्र प्रकार के स्थलरूपों का निर्माण घोलन की क्रिया द्वारा होता है जिन्हें कार्स्ट स्थलाकृति कहा जाता है। ये स्थलरूप अन्य प्रकार की चट्टानों पर अपरदन के अन्य कारकों द्वारा उत्पन्न स्थलरूपों से सर्वथा भिन्न होते हैं।

    कार्स्ट शब्द, पूर्ववर्ती यूगोस्लाविया के पश्चिमी तट पर पूर्वी ऐड्रियाटिक सागर के सहारे स्थित कार्स्ट प्रदेश से लिया गया है। यहाँ चूना पत्थर की चट्टानें अत्यधिक वलित अवस्था में मिलती हैं।

    मुख्य भाग:

    कार्स्ट स्थलाकृति की विशेषताएँ:

    कार्स्ट स्थलाकृति की विशेषताओं वाली अपरदनात्मक भू-आकृतियाँ:

    • सिंकहोल:
      • यह चूना पत्थर/कार्स्ट क्षेत्रों में काफी सामान्य हैं। सिंकहोल शीर्ष पर अधिक या कम गोलाकार और नीचे की ओर फनल के आकार का होता है, जिसका आकार कुछ वर्ग मीटर से एक हेक्टेयर तक होता है।
    • गुफाएँ:
      • गुफाएँ चट्टान के अपघटन से निर्मित भूमिगत कक्ष और मार्ग हैं। ये छोटी गुहाओं से लेकर बड़ी जटिल प्रणालियों के रूप में हो सकती हैं जो कई मील तक विस्तृत हो सकती हैं।
      • मैमथ केव नेशनल पार्क, केंटकी, यूएसए:
        • यह पार्क विश्व की सबसे लंबी ज्ञात गुफा प्रणाली का स्थल है, जिसमें 650 किमी से अधिक लंबे गुफा मार्ग हैं।
    • लैपीज:
      • लैपीज असमान खाँचे और लकीरें होती हैं जो तब बनती हैं जब विलयन प्रक्रिया द्वारा चूना पत्थर की सतह का अधिकांश भाग अपघटित हो जाता है।

    कार्स्ट स्थलाकृति की विशेषताओं वाली निक्षेपित भू-आकृतियाँ:

    • स्टैलेक्टाइट्स:
      • स्टैलेक्टाइट्स विभिन्न व्यास के आइकल्स के रूप में लटकते हैं। आमतौर पर ये अपने स्रोत पर चौड़े होते हैं और विभिन्न रूपों में दिखाई देने वाले मुक्त सिरों की ओर झुके होते हैं।
    • स्टैलेग्माइट्स:
      • स्टैलेग्माइट्स स्तंभ और डिस्क का आकार ले सकते हैं, जिसमें चिकने, गोल उभारयुक्त अंतिम सिरे के साथ छोटा गड्ढा हो सकता है।
    • स्तंभ:
      • कभी-कभी स्टैलेक्टाइट और स्टैलेग्माइट एक साथ मिलकर एक पूर्ण स्तंभ बनाते हैं जिसे स्तंभ के रूप में जाना जाता है।
      • हा लांग बे, वियतनाम:
        • यह यूनेस्को विश्व विरासत स्थल अपने टॉवर जैसी चूना पत्थर संरचनाओं के लिये जाना जाता है, जो कार्स्ट स्थलाकृति द्वारा बनाई गई हैं।

    अन्य विशेषताएँ:

    • विलुप्त धाराएँ:
      • विलुप्त धाराएँ, भूमिगत जल निकासी प्रणालियों के रूप में बहने वाली धाराएँ होती हैं।
    • भूमिगत झील:
      • प्राकृतिक रूप से पायी जाने वाली अधिकांश भूमिगत झीलें ऐसे कार्स्ट स्थलाकृति क्षेत्रों में पाई जाती हैं, जहाँ चूना पत्थर या अन्य घुलनशील चट्टानों के अपक्षय होने से निर्मित गड्ढे में जल का बहाव होने से जल जमा हो जाता है।

    कार्स्ट स्थलाकृतियों की विशेषताएँ:

    • भूवैज्ञानिक महत्त्व:
      • घुलनशील चट्टानों के विघटन के परिणामस्वरूप जटिल भूमिगत जल निकासी प्रणाली का विकास होता है जिससे विशाल गुफा प्रणाली का निर्माण हो सकता है।
      • इन गुफाओं में महत्त्वपूर्ण भूवैज्ञानिक संरचनाएँ हो सकती हैं जैसे कि स्टैलेक्टाइट्स, स्टैलेग्माइट्स और फ्लोस्टोन, जिनसे पृथ्वी के भूवैज्ञानिक इतिहास के संबंध में अंतर्दृष्टि प्राप्त होती है।
    • मानव समुदाय के लिये महत्त्व:
      • विश्व भर में कई कार्स्ट क्षेत्रों का उपयोग कृषि और वानिकी के लिये किया जाता है और यह अवसंरचना निर्माण के लिये चूना पत्थर जैसे कच्चे माल के महत्त्वपूर्ण स्रोत होते हैं।
      • हालाँकि, मानव गतिविधियों का कार्स्ट पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जैसे भूजल संदूषण और मृदा क्षरण।
    • पारिस्थितिकी महत्त्व:
      • यह स्थलाकृतियाँ विभिन्न प्रकार के पौधों और जानवरों के लिये आवास प्रदान करती हैं जिनमें से कई कार्स्ट वातावरण हेतु अद्वितीय होते हैं।
      • चट्टानी संरचनाओं की छिद्रित प्रकृति से इनसे जल का रिसाव होने से भूमिगत जल प्रवाह प्रणाली का विकास होता है जिससे पीने, सिंचाई और उद्योग के लिये मीठे जल के महत्त्वपूर्ण स्रोत प्राप्त होते हैं।

    निष्कर्ष:

    कार्स्ट स्थलाकृतियाँ फ्राँस के कॉकस, चीन के क्वांगसी क्षेत्र, संयुक्त राज्य अमेरिका में युकाटन प्रायद्वीप सहित विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में मिलती हैं। मानव गतिविधियों का कार्स्ट पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने के कारण इन संवेदनशील स्थलाकृतियों की रक्षा और संरक्षण करना महत्त्वपूर्ण है।

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