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प्रश्न :
आप एक ऐसे ज़िले के IAS अधिकारी हैं जिसे फसल खराब होने के कारण अधिक किसानों द्वारा की जाने वाली आत्महत्या के लिये जाना जाता है। इस क्रम में सरकार ने इस ज़िले पर विशेष ध्यान देते हुए किसानों की सहायता के लिये कई योजनाएँ और नीतियाँ लागू की हैं। हालाँकि इन प्रयासों के बावजूद आत्महत्याओं की संख्या में कमी नहीं आई है और यहाँ की स्थिति बिगड़ती नजर आ रही है।
प्रभावित गाँवों में से किसी एक के नियमित दौरे के दौरान आप एक किसान से मिलते हैं जो आपको यह बताता है कि स्थानीय अधिकारी सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाली राहत प्रदान करने के लिये रिश्वत की मांग कर रहे हैं। वह आपको यह भी बताता है कि स्थानीय अधिकारी परियोजनाओं की लागत को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के साथ भ्रष्टाचार में भी संलग्न हैं। किसान आपको बताता है कि उसने अपनी सारी बचत को पहले ही खराब हो गई अपनी फसलों पर व्यय कर दिया है और अब वह और रिश्वत नहीं दे सकता है।
आप जानते हैं कि अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने से राजनीतिक दबाव के साथ आपके खिलाफ विपरीत प्रतिक्रिया हो सकती है जिससे आपका करियर भी खतरे में पड़ सकता है। हालाँकि आपको यह भी आभास है कि यदि आप कुछ नहीं करते हैं तो यह स्थिति बिगड़ने के साथ अधिक से अधिक लोगों की जान जाती रहेगी।
इस स्थिति में आप क्या करेंगे? लोगों की सेवा करने के क्रम में आप अपने करियर और व्यक्तिगत सुरक्षा से जुड़े संभावित जोखिमों और अपने कर्त्तव्यों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करेंगे?
21 Apr, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- इस मामले की संक्षिप्त व्याख्या करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- इस मामले में शामिल विभिन्न हितधारकों और नैतिक मुद्दों पर चर्चा कीजिये।
- इस संदर्भ में उपलब्ध विभिन्न विकल्पों पर चर्चा करते हुए प्रत्येक विकल्प के पक्ष और विपक्ष का उल्लेख कीजिये।
- तदनुसार एक या अधिक विकल्पों का चयन करके निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
इस मामले में एक आईएएस अधिकारी ऐसे ज़िले में तैनात है जहाँ फसल खराब होने के कारण किसानों के आत्महत्या करने की उच्च दर है। सरकारी योजनाओं और नीतियों के बावजूद यहाँ की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। सरकार द्वारा प्रदान किये गए राहत उपायों के कार्यान्वयन हेतु जिम्मेदार अधिकारी भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी में संलग्न हैं जिससे पीड़ित किसानों तक योजनाओं का लाभ नहीं पहुँच रहा है। जो किसान फसल खराब होने से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं उन्हें रिश्वत न देने के कारण सरकारी लाभ भी नहीं मिल पा रहा है।
इस संदर्भ में अधिकारी के रूप में मेरे समक्ष भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने (जिसके परिणामस्वरूप राजनीतिक दबाव पड़ने के साथ विपरीत प्रतिक्रिया हो सकती है) या कुछ नहीं करने (जिससे लोगों की और अधिक जानें जा सकती हैं) की दुविधा बनी हुई है।
मुख्य भाग:
- इसमें शामिल हितधारक:
- किसान
- सरकार
- स्थानीय अधिकारी
- राजनेता
- समाज
- इसमें शामिल नैतिक मुद्दे:
- भ्रष्टाचार
- जवाबदेहिता
- उत्तरदायित्व
- समानुभूति
- मानव अधिकार
परिचय:
इस स्थिति का समाधान करने के लिये सबसे पहले मैं किसानों के दावों की पुष्टि करूँगा और उनके समर्थन में सबूत इकट्ठा करूँगा। इसमें ईमानदार और विश्वसनीय अधिकारियों और मुखबिरों की मदद से एक विवेकपूर्ण जाँच करना शामिल हो सकता है। मैं यह भी सुनिश्चित करूँगा कि किसानों को सरकारी योजनाओं के तहत आवंटित धन और सहायता प्राप्त हो।
इस संदर्भ में पर्याप्त साक्ष्य एकत्र हो जाने के बाद, मैं इस मामले की रिपोर्ट अपने उच्चाधिकारियों को दूँगा। मैं उन्हें एकत्र किये गए सबूतों के साथ भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के आरोपों की एक विस्तृत रिपोर्ट प्रदान करूँगा। मैं भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के उपाय भी सुझाऊँगा, जैसे कि योजनाओं की कड़ी निगरानी करना और भ्रष्टाचार के दोषी पाए जाने वाले लोगों को सजा दिलाना।
मैं पीड़ित किसानों के लिये कुछ क्षतिपूर्ति तंत्र सुझाने के साथ भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचने के लिये मौजूदा योजनाओं जैसे फसल बीमा, सिंचाई योजनाओं जैसे प्रति बूँद अधिक फसल, मृदा स्वास्थ्य कार्ड आदि का प्रभावी कार्यान्वयन भी सुनिश्चित करूँगा।
इस प्रक्रिया में मुझे अपने करियर और व्यक्तिगत सुरक्षा से संबंधित संभावित जोखिमों के बारे जागरूक रहना होगा, लेकिन मैं इन्हें अपने कर्तव्यों में बाधक नहीं बनने दूँगा। मैं अपने कार्यों में पारदर्शी, ईमानदार और जवाबदेह रहूँगा और यह सुनिश्चित करूँगा कि प्रभावित किसानों को न्याय मिले। मैं अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये (यदि आवश्यक होगा तो) संबंधित अधिकारियों से कानूनी सुरक्षा की मांग करूँगा।
इस संदर्भ में उपलब्ध अन्य विकल्प:
- एनजीओ से सहायता लेना: मैं इस संदर्भ में ज़िले में किसानों की मदद के लिये कार्य कर रहे एनजीओ से सहायता मांग सकता हूँ। इनके पास ऐसे संसाधन या विशेषज्ञता हो सकती है जो आत्महत्या के अंतर्निहित कारणों जैसे मृदा की खराब गुणवत्ता या सिंचाई तक पहुँच की कमी को दूर करने में सहायक हो सकते हैं।
- गुण:
- किसानों के लिये कार्य करने वाले गैर-सरकारी संगठनों के पास फंडिंग, प्रशिक्षण कार्यक्रम और बीज तथा उर्वरक के रूप में कृषि इनपुट जैसे संसाधनों तक पहुँच हो सकती है जो स्थिति को सुधारने में मदद कर सकते हैं।
- एनजीओ इस संदर्भ में नेटवर्क बनाने के साथ साझेदारी द्वारा दीर्घ अवधि में किसानों को लाभ पहुँचा सकते हैं।
- दोष:
- इनके पास सीमित संसाधन होने के साथ यह सभी किसानों को आवश्यक सहायता प्रदान करने में सक्षम नहीं भी हो सकते हैं।
- एनजीओ को शामिल करने से नौकरशाही प्रक्रियाओं को चुनौती मिल सकती है जिनका समाधान समय लेने वाला और चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- गुण:
- जागरूकता बढ़ाना: मैं किसानों की आत्महत्या के मुद्दे और इस समस्या में योगदान देने वाली भ्रष्ट प्रथाओं के बारे में जागरूकता बढ़ा सकता हूँ। इसमें स्थानीय मीडिया आउटलेट्स के साथ काम करना, बैठकें आयोजित करना या इस मुद्दे के बारे में जानकारी साझा करने हेतु सोशल मीडिया का उपयोग करना शामिल हो सकता है।
- गुण:
- इससे इस मुद्दे के बारे में सार्वजनिक जागरूकता को बढ़ावा मिल सकता है।
- इससे इन मुद्दों के समाधान हेतु सरकार पर लोगों के दबाव में वृद्धि हो सकती है।
- इससे सरकारी गतिविधियों में पारदर्शिता और जवाबदेहिता को बढ़ावा देने में सहायता मिल सकती है।
- दोष:
- ठोस कार्रवाई के बिना यह कदम सार्थक परिवर्तन लाने के लिये पर्याप्त नहीं हो सकता है।
- यदि प्रभावित क्षेत्रों के लोगों की मीडिया या संचार माध्यमों तक सीमित पहुँच है तो यह कदम प्रभावी साबित नहीं हो सकता है।
- गुण:
निष्कर्ष:
एक IAS अधिकारी के रूप में मेरा कर्त्तव्य लोगों की सेवा करने के साथ ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और जवाबदेहिता के मूल्यों को बनाए रखना है। इस मामले में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी से संबंधित किसानों के आरोपों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है क्योंकि इससे प्रत्यक्ष रूप से किसानों के कल्याण के साथ सरकारी योजनाओं की गुणवत्ता प्रभावित होती है। इस स्थिति से निपटने के क्रम में मैं अपने करियर और व्यक्तिगत सुरक्षा से संबंधित संभावित जोखिमों के प्रति अवगत रहूँगा, लेकिन मैं इन्हें अपने कर्त्तव्य में बाधक नहीं बनने दूँगा। मैं इस मामले की जाँच करवाने के साथ यह सुनिश्चित करूँगा कि तत्काल उपाय के रूप में जरूरतमंद किसानों तक धन और अन्य लाभ पहुँचे। इसके साथ ही भविष्य में इस प्रकार की समस्याओं को कम करने के क्रम में मैं किसानों के कल्याण हेतु कार्य करने वाले गैर सरकारी संगठनों को भी इसमें शामिल करने का प्रयास करूँगा।
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