"संवेदना और सहिष्णुता जैसे मूल्य कमजोरी की निशानी नहीं हैं बल्कि यह मजबूती की निशानी हैं।" इस उद्धरण का वर्तमान संदर्भ में क्या अर्थ है? (150 शब्द)
20 Apr, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
हल करने का दृष्टिकोण:
|
भूमिका
यह उद्धरण स्पष्ट करता है कि कठिन या चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी दूसरों के प्रति करुणा और सहिष्णुता व्यक्ति को कमज़ोर नहीं बनाता है। इसके बजाय, इसका अर्थ है कि दूसरों के प्रति, यहाँ तक कि अलग-अलग विश्वासों या विचारों वाले लोगों के लिये, समानुभूतिपरक समझ प्रदर्शित करने हेतु आंतरिक शक्ति और भावनात्मक परिपक्वता की बहुत आवश्यकता होती है।
मुख्य भाग
वर्तमान में शक्ति को बलवान का शस्त्र माना जाता है। अर्थात् कोई जितना दूसरों पर हावी हो सकता है, उसे उतना ही शक्तिशाली माना जाता है। लेकिन शक्ति की इस समझ को गांधीजी, नेल्सन मंडेला और मार्टिन लूथर किंग जैसे लोगों ने अपर्याप्त और भ्रामक ही सिद्ध किया है।
गांधीजी के लिये अहिंसा बलवान का शस्त्र है। जब भी संघर्ष की कोई स्थिति उत्पन्न होती है, तो हमारे पास दो विकल्प होते हैं- या तो क्रोध और भावनाओं में बह जाएँ या शांत और करुणामय हो जाएँ तथा मुद्दे को हल करने का प्रयास करें। समकालीन संदर्भ में, धारणा ऐसी है कि पूर्व प्रतिक्रिया को अक्सर मुखर और वांछनीय के रूप में देखा जाता है जबकि बाद में प्रतिक्रिया देने वाले को डरपोक और कमज़ोर के रूप में देखा जाता है। लेकिन इस तरह के समयपूर्व निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले, हमें थोडा ठहरकर सोचना चाहिये और स्वयं से आक्रामक प्रतिक्रिया की उपयोगिता पूछनी चाहिये तथा इस बात पर भी विचार करना चाहिये कि क्या हमें वास्तव में इसकी आवश्यकता है? अधिकांश समय, हम पाएँगे कि एक संतुलित, सहिष्णु और संवेदनशील दृष्टिकोण बहुत बेहतर कार्य करता है।
करुणा और सहिष्णुता शक्ति बन सकती है क्योंकि ये व्यक्तियों को दूसरों के संघर्षों और दृष्टिकोणों को समानुभूतिपरक रूप में समझने की अनुमति प्रदान करते हैं, जो संबंधों को अधिक प्रगाढ़ करते हैं एवं अधिक सहायक वातावरण का निर्माण कर सकते हैं। ये गुण हमारे समाज को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिये एक बाध्यकारी शक्ति के रूप में कार्य कर सकते हैं।
निष्कर्ष
करुणा और सहिष्णु होने से, क्रोध या आक्रामकता के साथ प्रतिक्रिया करने के बजाय स्थितियों को अधिक शांतिपूर्ण और रचनात्मक तरीके से संभाला जा सकता है। यह दृष्टिकोण अधिक सकारात्मक परिणाम दे सकता है, क्योंकि यह संघर्ष और शत्रुता के बजाय समझ और सहयोग को बढ़ावा देता है।