हाल ही में सरकार द्वारा जारी बाघ गणना, 2022 में भारत में बाघों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि दिखाई गई है। प्रोजेक्ट टाइगर के महत्त्व पर चर्चा करते हुए बाघ गणना, 2022 को आधार बनाकर पश्चिमी घाट में बाघों की संख्या में आई गिरावट के कारणों पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द).
19 Apr, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण
हल करने का दृष्टिकोण:
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उत्तर:
परिचय:
बाघ गणना, भारत में बाघों की आबादी का अनुमान लगाने के लिये पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority -NTCA) द्वारा किया जाने वाला एक व्यापक सर्वेक्षण है। हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री द्वारा प्रोजेक्ट टाइगर की 50वीं वर्षगाँठ पर बाघ गणना -2022 को जारी किया गया।
इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 की तुलना में बाघों की संख्या में महत्त्वपूर्ण वृद्धि हुई है। जहाँ मध्य भारत की उच्च भूमि और पूर्वी घाट में बाघों की संख्या में वृद्धि दर्ज़ की गई तो वहीं पश्चिमी घाट में गिरावट देखी गई है।
बाघ और पारिस्थितिकी तंत्र में इसका महत्त्व:
बाघ शीर्ष परभक्षी हैं और पारिस्थितिकी तंत्र के लिये यह एक अम्ब्रेला प्रजाति है जो अपने शिकार की आबादी का प्रबंधन करके पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं। ये पूरे क्षेत्र और आवास की पारिस्थितिक व्यवहार्यता सुनिश्चित करते हैं जिससे उस क्षेत्र की जल और जलवायु सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है।
मुख्य भाग:
प्रोजेक्ट टाइगर का महत्त्व:
प्रोजेक्ट टाइगर, वर्ष 1973 में बाघों के संरक्षण के लिये शुरू की गई एक केंद्र प्रायोजित योजना है। अपनी स्थापना के बाद से इसने बाघ संरक्षण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है:
पश्चिमी घाट में बाघों की संख्या में कमी आने के क्या कारण हैं?
नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार वायनाड, बिलिगिरिरंगन (BRT) पहाड़ियों जैसे पश्चिमी घाट के कुछ क्षेत्रों में बाघों की आबादी की गणना की गई है। यहाँ की आबादी 981 (वर्ष 2018 के अनुमान के आधार पर) से घटकर 824 (वर्ष 2022 अनुमानतः) हो गई है। इस गिरावट के पीछे मुख्य कारण हैं:
निष्कर्ष
बाघ पारिस्थितिकी रूप से महत्त्वपूर्ण प्रजाति होने के साथ-साथ सांस्कृतिक रूप से भी महत्त्वपूर्ण प्रजाति है। वर्ष 1973 में भारत के राष्ट्रीय पशु के रूप में अपनाए जाने के तथ्य से इसका महत्त्व समझा जा सकता है। तब से भारत ने इस प्रजाति के संरक्षण के लिये कई पहलें की हैं और निस्संदेह इनसे बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है। लेकिन मानव-वन्यजीव संघर्ष, अवैध शिकार और बीमारी जैसी समस्याओं को रोकने के लिये अभी भी इस दिशा में और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।