भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी के योगदान को बताते हुए चर्चा कीजिये कि उनकी विचारधाराओं और रणनीतियों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को किस प्रकार आकार दिया था? (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी की भूमिका का संक्षिप्त परिचय देते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- चर्चा कीजिये कि उनकी विचारधाराओं और रणनीतियों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को किस प्रकार आकार दिया था।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
महात्मा गांधी ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह 1920 के दशक में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में उभरे और अहिंसक सविनय अवज्ञा के अपने सिद्धांतों के लिये जाने गए।
गांधी ने वर्ष 1930 में नमक मार्च सहित कई सफल अभियानों का नेतृत्व किया था, जिसमें उन्होंने और उनके अनुयायियों ने नमक उत्पादन पर ब्रिटिश एकाधिकार का विरोध करने के लिये अरब सागर तक मार्च किया था। इस अभियान के परिणामस्वरूप भारतीय नमक अधिनियम को निरस्त कर दिया गया और ब्रिटिश सरकार ने इस संदर्भ में अधिक स्वायत्तता की भारतीय मांगों को मान लिया।
मुख्य भाग:
भारत के स्वतंत्रता संग्राम को आकार देने वाली इनकी विचारधाराएँ और रणनीतियाँ:
- अहिंसा:
- गांधी का अहिंसा का दर्शन उनकी राजनीतिक और सामाजिक मान्यताओं के मूल में था। उनका मानना था कि हिंसा केवल अधिक हिंसा को जन्म देती है और अहिंसक प्रतिरोध समाज में बदलाव लाने का एक अधिक प्रभावी तरीका है।
- गांधी के अहिंसक दृष्टिकोण ने विश्व भर में कई अन्य नागरिक अधिकारों और मुक्ति आंदोलनों को प्रभावित किया है।
- सत्याग्रह:
- सत्याग्रह (जिसका अर्थ है "सत्य पर टिके रहना") अहिंसक प्रतिरोध का एक तरीका था जिसे गांधी ने विकसित किया था जिसका भारत के स्वतंत्रता संग्राम में बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया था।
- इसमें अन्यायपूर्ण कानूनों और दमनकारी नीतियों को चुनौती देने के लिये सविनय अवज्ञा, हड़ताल, बहिष्कार और अन्य अहिंसक साधनों का उपयोग किया जाना शामिल था।
- सत्याग्रह का उद्देश्य उत्पीड़नकर्त्ताओं के ह्रदय को परिवर्तित करना था और बल या जबरदस्ती के बजाय अंतरात्मा से संघर्ष करना था।
- असहयोग:
- असहयोग एक अन्य रणनीति थी जिसका उपयोग गांधी भारत में ब्रिटिश सत्ता को चुनौती देने के लिये करते थे। उन्होंने भारतीयों से ब्रिटिश वस्तुओं, संस्थानों और कानूनों का बहिष्कार करने और करों का भुगतान न करने या ब्रिटिश द्वारा संचालित चुनावों में भाग न लेने का आह्वान किया था। असहयोग आंदोलन का उद्देश्य भारतीय स्वतंत्रता हेतु ब्रिटिशों पर दबाव बनाना था।
- सविनय अवज्ञा:
- सविनय अवज्ञा अहिंसक प्रतिरोध का एक रूप था जिसमें अन्यायपूर्ण कानूनों या विनियमों को तोड़ना और उन कार्यों के परिणामों को स्वीकार करना शामिल था।
- गांधी ने वर्ष 1930 में नमक मार्च का नेतृत्त्व किया था, जिसमें उन्होंने और हज़ारों अनुयायियों ने ब्रिटिश नमक कानूनों की अवहेलना के क्रम में अपना नमक बनाने के लिये अरब सागर तक मार्च किया था।
- गांधी की रणनीति में सविनय अवज्ञा एक शक्तिशाली उपकरण था और इसने स्वतंत्रता आंदोलन हेतु जन समर्थन जुटाने में सहायता की थी।
निष्कर्ष:
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी का योगदान अतुलनीय था। अहिंसा और सविनय अवज्ञा के उनके दर्शन तथा असहयोग एवं सविनय अवज्ञा की उनकी रणनीति और उनके नेतृत्त्व ने भारतीय जनता को एकजुट करने के साथ ब्रिटिशों को भारतीयों की मांगों को मानने के लिये मजबूर किया था। गांधी की विरासत आज भी विश्व भर के लोगों को न्याय और स्वतंत्रता के लिये लड़ने हेतु प्रेरित करती है।