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प्रश्न :
भारत और थाईलैंड के बीच में 75 साल के राजनयिक संबंधों के प्रमुख पहलू क्या हैं? चर्चा कीजिये कि यह दोनों देश भविष्य में अपनी रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत बनाने के लिये इन संबंधों का लाभ किस प्रकार उठा सकते हैं। (250 शब्द)
11 Apr, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंधउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत-थाईलैंड संबंधों के बारे में संक्षिप्त परिचय देते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- इस संदर्भ में अब तक हासिल की गई प्रमुख उपलब्धियों पर चर्चा कीजिये।
- इन संबंधों को और मज़बूत बनाने के उपायों पर चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- भारत और थाईलैंड के बीच 2,000 साल से भी पुराना रिश्ता है। वर्ष 2022 में दोनों देशों ने राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने का जश्न मनाया।
- भारत और थाईलैंड ने व्यापार, रक्षा, संस्कृति और लोगों से लोगों के बीच संबंधों सहित कई क्षेत्रों में अपने संबंधों को मज़बूत किया है।
- यह प्रमुख पहलू इस रिश्ते की उपलब्धियों को प्रतिबिंबित करने और भविष्य में इस संदर्भ में सहयोग को गहरा करने के तरीकों का पता लगाने का अवसर प्रदान करते हैं।
मुख्य भाग:
प्रमुख पहलू: दोनों देशों को करीब लाने के क्रम में भारत की 'एक्ट ईस्ट' नीति को थाईलैंड की 'एक्ट वेस्ट' नीति का पूरक बनाया गया है।
- हाल के वर्षों में दोनों देशों ने अपनी रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने के लिये कदम उठाए हैं।
- द्विपक्षीय संस्थागत तंत्र:
- संयुक्त आयोग की बैठक (JCM) JCM का 8वाँ दौर भारत में वर्ष 2019 में नई दिल्ली में आयोजित किया गया था। इसकी सह-अध्यक्षता दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने की थी।
- विदेश कार्यालय परामर्श (FOCs): 5वें भारत-थाईलैंड विदेश कार्यालय परामर्श का आयोजन वर्ष 2019 में बैंकॉक में किया गया था।
- संयुक्त कार्यबल (JTF): भारत और थाईलैंड के बीच समुद्री सहयोग पर JTF की चौथी बैठक वर्ष 2021 में आभासी मोड में आयोजित की गई थी।
- बहुपक्षीय सहयोग: दोनों देश ASEAN, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) और बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल (BIMSTEC) जैसे समूहों के साथ-साथ मेकांग गंगा सहयोग (MGC), एशिया सहयोग संवाद (ACD) में भी सहयोगी हैं।
- रक्षा सहयोग: वर्ष 2016 में भारत और थाईलैंड ने रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये, जिसमें संयुक्त सैन्य अभ्यास और खुफिया जानकारी साझा करना शामिल है।
- एक्सरसाइज मैत्री, एक्स-कोबरा गोल्ड इसके कुछ उदाहरण हैं।
- आर्थिक और वाणिज्यिक साझेदारी:
- द्विपक्षीय व्यापार: महामारी की स्थिति के बावजूद इनके बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश वर्ष 2020 में 9.76 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया।
- कनेक्टिविटी: भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग का उद्देश्य भारत को थाईलैंड से जोड़ना है।
- भारत-म्यांमार-थाईलैंड रेलवे लाइन, मेकांग गंगा सहयोग (MGC) आदि से इन देशों के बीच संपर्क और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
- सांस्कृतिक सहयोग: बैंकॉक में एक भारतीय सांस्कृतिक केंद्र (स्वामी विवेकानंद संस्कृति केंद्र) खोला गया है।
- शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग: वर्तमान में थाईलैंड में चुलालोंगकोर्न विश्वविद्यालय, सिल्पकोर्न विश्वविद्यालय, महिदोल विश्वविद्यालय, थम्मासैट विश्वविद्यालय और चियांग माई विश्वविद्यालय में पाँच भारतीय अध्ययन केंद्र हैं।
संबंध मज़बूत करने के उपाय:
भविष्य में अपनी रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत करने के लिये भारत और थाईलैंड कई उपाय कर सकते हैं।
- दोनों देश व्यापार, पर्यटन और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में अपने समन्वय को और गहरा कर सकते हैं।
- भारत अपनी "एक्ट ईस्ट" नीति को बढ़ावा देना जारी रख सकता है, जो दक्षिण पूर्व एशिया के साथ आर्थिक और सामरिक संबंधों को बढ़ाने पर केंद्रित है।
- भारत बंदरगाहों और सड़कों जैसे बुनियादी ढाँचे के विकास में निवेश करके भी इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश कर सकता है।
- भारत और थाईलैंड सर्वोत्तम प्रथाओं और प्रौद्योगिकी को साझा करके अपने रक्षा सहयोग को बढ़ा सकते हैं।
- भारत, थाईलैंड के साथ रक्षा उत्पादन और आतंकवाद-निरोध जैसे क्षेत्रों में अपनी विशेषज्ञता साझा कर सकता है।
- दोनों देश संयुक्त सैन्य अभ्यास और खुफिया जानकारी साझा करने में भी शामिल हो सकते हैं ताकि इंटरऑपरेबिलिटी और युद्ध की तैयारी को बढ़ाया जा सके।
- भारत और थाईलैंड क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने और दक्षिण चीन सागर विवाद जैसे महत्त्वपूर्ण रणनीतिक मुद्दों को हल करने के लिये मिलकर कार्य कर सकते हैं।
- भारत, विवाद के शांतिपूर्ण समाधान हेतु अपने राजनयिक प्रभाव का उपयोग कर सकता है, साथ ही क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये क्षेत्रीय हितधारकों के साथ समन्वय कर सकता है।
निष्कर्ष:
- अंततः कहा जाए तो भारत और थाईलैंड के बीच 75 साल के राजनयिक संबंध कई मायने में महत्त्वपूर्ण साबित हुए हैं।
- दोनों ही देशों ने हाल के वर्षों में अपनी रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने के लिये कदम उठाए हैं और भविष्य में इस जुड़ाव के मज़बूत होने की भी संभावना है।
- इस संबंध का लाभ उठाकर और अपने सहयोग को बढ़ावा देकर भारत और थाईलैंड क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा दे सकते हैं और क्षेत्र की समृद्धि में योगदान कर सकते हैं।
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