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प्रश्न :
वैश्विक मौसम प्रतिरूप पर अल नीनो और ला नीना के प्रभाव की चर्चा करते हुए बताइये कि ये उष्णकटिबंधीय देशों की अर्थव्यवस्था को किस प्रकार प्रभावित करते हैं? (150 शब्द)
10 Apr, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- अल नीनो और ला नीना के बारे में संक्षिप्त परिचय देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- अल नीनो और ला नीना के प्रभावों पर चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- अल नीनो और ला नीना, प्रशांत महासागर के तापमान में बदलाव के कारण होने वाली जलवायु घटनाएँ हैं। वैश्विक मौसम प्रतिरूप और उष्णकटिबंधीय देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर इसका महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
मुख्य भाग:
अल नीनो और ला नीना का वैश्विक मौसम प्रतिरूप पर प्रभाव
- अल नीनो के दौरान, पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में समुद्र के अधिक तापमान के परिणामस्वरूप वायुमंडलीय परिसंचरण प्रतिरूप में परिवर्तन हो सकता है।
- इससे दक्षिण पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया में कम वर्षा हो सकती है और इसके साथ ही दक्षिण अमेरिका तथा अफ्रीका के कुछ हिस्सों में वर्षा में वृद्धि हो सकती है।
- अल नीनो दक्षिण पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया में सूखा, जंगल की आग और फसल की विफलता का कारण बन सकता है जबकि दक्षिण अमेरिका में यह बाढ़ और भूस्खलन का कारण बन सकता है।
- ला नीना के दौरान पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में समुद्र के कम तापमान के कारण यह प्रतिरूप विपरीत हो सकता है।
- इसके परिणामस्वरूप दक्षिण पूर्व एशिया तथा ऑस्ट्रेलिया में वर्षा में वृद्धि हो सकती है और दक्षिण अमेरिका तथा अफ्रीका के कुछ हिस्सों में वर्षा में कमी आ सकती है।
- ला नीना दक्षिण पूर्व एशिया में बाढ़ और भूस्खलन का कारण बन सकता है जबकि दक्षिण अमेरिका में सूखा और फसल की विफलता का कारण बन सकता है।
- तापमान विसंगतियाँ: अल नीनो और ला नीना दोनों से ही विश्व स्तर पर तापमान विसंगतियों को जन्म मिल सकता है।
- अल नीनो के दौरान, प्रशांत क्षेत्र में तापमान औसत से अधिक हो सकता है जबकि अटलांटिक में कम हो सकता है।
- ला नीना के दौरान प्रशांत क्षेत्र में तापमान, औसत से कम हो सकता है जबकि अटलांटिक में अधिक होता है।
- हरिकेन और टाइफून पर प्रभाव: अल नीनो और ला नीना भी विश्व के विभिन्न हिस्सों में तूफान और टाइफून की आवृत्ति और तीव्रता पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं।
- उदाहरण के लिये अल नीनो द्वारा अटलांटिक क्षेत्र में तूफान की गतिविधियों को बढ़ावा मिल सकता है जबकि पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में तूफान की गतिविधि में कमी आती है।
उष्णकटिबंधीय देशों पर अल नीनो और ला नीना के आर्थिक प्रभाव:
- कृषि:
- अल नीनो और ला नीना के दौरान वर्षा के प्रतिरूप में बदलाव का कृषि उत्पादन पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है, जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में कई देशों के लिये आय का एक प्रमुख स्रोत है।
- सूखे या बाढ़ से फसल की पैदावार में कमी आने के साथ खाद्य कीमतों में वृद्धि हो सकती है जिससे किसानों की आय कम हो सकती है।
- मत्स्यन:
- अल नीनो और ला नीना का मछलियों की संख्या पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है जो कई तटीय समुदायों के लिये खाद्य तथा आय के लिये महत्त्वपूर्ण स्रोत है।
- समुद्र के तापमान में बदलाव से मछलियों के प्रवास प्रतिरूप में बदलाव होने से मछुआरों की आय में कमी आ सकती है।
- ऊर्जा उत्पादन:
- अल नीनो और ला नीना से ऊर्जा उत्पादन (विशेष रूप से पनबिजली) क्षमता प्रभावित हो सकती है।
- वर्षा के प्रतिरूप में बदलाव से नदियों और जलाशयों के जल स्तर में उतार-चढ़ाव होने से जलविद्युत की उपलब्धता प्रभावित हो सकती है।
- पर्यटन:
- अल नीनो और ला नीना के दौरान होने वाले मौसम के प्रतिरूप में परिवर्तन से उष्णकटिबंधीय देशों में पर्यटन प्रभावित हो सकता है।
- सूखे या बाढ़ के कारण पर्यटन में कमी आ सकती है जिससे पर्यटन से संबंधित व्यवसायों के लोगों की आय कम हो सकती है।
निष्कर्ष:
- अल नीनो और ला नीना से सूखा एवं बाढ़ के साथ तापमान प्रतिरूप में परिवर्तन जैसी घटनाएँ देखी जा सकती हैं।
- इन घटनाओं के प्रभावों को कम करने के लिये इन्हें समझना और इनकी निगरानी करना महत्त्वपूर्ण है।
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