लोक सेवाओं में नैतिक मानकों को बनाए रखने से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं? (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- लोक सेवाओं का संक्षिप्त परिचय देते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- लोक सेवाओं में नैतिक मानकों को बनाए रखने से संबंधित चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
लोक सेवाएँ किसी भी लोकतांत्रिक समाज का आधार होती हैं तथा लोक सेवा के वितरण की प्रभावशीलता और पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिये नैतिक आचरण महत्त्वपूर्ण है। नैतिक आचरण से यह सुनिश्चित होता है कि लोक अधिकारी पारदर्शिता, जवाबदेहिता और सत्यनिष्ठा के साथ जनता के सर्वोत्तम हित में कार्य कर रहे हैं।
हालाँकि लोक सेवा में नैतिक मानकों को बनाए रखना एक कठिन कार्य है, विशेष रूप से भारत जैसे विकासशील देशों में, जहाँ भ्रष्टाचार और राजनीतिक हस्तक्षेप व्याप्त है।
मुख्य भाग:
लोक सेवा में नैतिक मानकों को बनाए रखने की चुनौतियाँ:
- राजनीतिक हस्तक्षेप:
- राजनीतिक हस्तक्षेप, भारत में लोक सेवा में नैतिक मानकों को बनाए रखने की प्रमुख चुनौतियों में से एक है।
- राजनेता अक्सर व्यक्तिगत या राजनीतिक लाभ के लिये नौकरशाही, न्यायपालिका और कानून प्रवर्तन एजेंसियों सहित सार्वजनिक संस्थानों के कार्य में हस्तक्षेप करते हैं।
- इस हस्तक्षेप से सार्वजनिक अधिकारियों की स्वतंत्रता और निष्पक्षता कमजोर होने के साथ सार्वजनिक संस्थानों में लोगों के विश्वास में कमी आती है।
- उदाहरण के लिये वर्ष 2011 के राष्ट्रमंडल खेलों के घोटाले में राजनेताओं के कारण सार्वजनिक धन की व्यापक क्षति हुई। इस घोटाले से लोक सेवा में नैतिक आचरण पर राजनीतिक हस्तक्षेप का प्रभाव प्रतिबिंबित हुआ।
- भ्रष्टाचार:
- भ्रष्टाचार, भारत में सार्वजनिक सेवा में नैतिक मानकों को बनाए रखने की एक अन्य प्रमुख चुनौती है। जब सार्वजनिक अधिकारी व्यक्तिगत लाभ के लिये अपने पद का दुरुपयोग करने के साथ रिश्वतखोरी, भाई-भतीजावाद और पक्षपात जैसी अनैतिक प्रथाओं में संलग्न होते हैं तब भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है।
- भारत में भ्रष्टाचार का सार्वजनिक सेवा वितरण पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है (विशेष रूप से स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और कानून प्रवर्तन जैसे क्षेत्रों में)।
- उदाहरण के लिये वर्ष 2019 के व्यापम घोटाले में सरकारी अधिकारियों द्वारा योग्यता-आधारित प्रवेश प्रक्रिया से समझौता करते हुए कथित रूप से मेडिकल कॉलेजों में उम्मीदवारों को प्रवेश देने के लिये रिश्वत ली गई थी। इस घोटाले से लोक सेवा में नैतिक आचरण पर भ्रष्टाचार का प्रभाव प्रतिबिंबित हुआ।
- जवाबदेहिता का अभाव:
- जवाबदेहिता का अभाव होना भारत में लोक सेवा में नैतिक मानकों को बनाए रखने से संबंधित एक अन्य चुनौती है।
- जवाबदेहिता की इस कमी से सार्वजनिक संस्थानों में लोगों के विश्वास में कमी आती है और नैतिक मानकों के प्रभावी कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न होती है।
- उदाहरण के लिये वर्ष 2014 के निर्भया गैंगरेप मामले में, लोक अधिकारियों द्वारा देरी से प्रतिक्रिया करने और यौन हिंसा को रोकने के हेतु अपर्याप्त उपाय करने के संदर्भ में इनकी आलोचना की गई थी।
- इससे सार्वजनिक सेवा में नैतिक आचरण और उत्तरदायित्व की कमी का प्रभाव उजागर हुआ।
- अपर्याप्त प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम:
- अपर्याप्त प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम का होना भारत में लोक सेवा में नैतिक मानकों को बनाए रखने की एक अन्य चुनौती है। लोक अधिकारियों में अक्सर नैतिक मानकों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये आवश्यक ज्ञान और कौशल की कमी देखी जाती है।
- इसके अलावा कभी-कभी लोक अधिकारी नैतिक आचरण के महत्त्व या अनैतिक व्यवहार के परिणामों से अवगत नहीं होते हैं।
- उदाहरण के लिये वर्ष 2013 के शारदा चिटफंड घोटाले में, लोक अधिकारी चिटफंड कंपनी की धोखाधड़ी गतिविधियों का पता लगाने में विफल रहे, जिससे सार्वजनिक धन की हानि हुई। इस घोटाले से सार्वजनिक सेवा में नैतिक आचरण से संबंधित अपर्याप्त प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रमों के अभाव के प्रभाव उजागर हुए।
निष्कर्ष:
- भारत में विभिन्न चुनौतियाँ जैसे कि राजनीतिक हस्तक्षेप, भ्रष्टाचार, जवाबदेहिता की कमी और अपर्याप्त प्रशिक्षण कार्यक्रम से लोक सेवा में नैतिक मानकों को अपनाने में बाधा उत्पन्न होती है।
- इन चुनौतियों के समाधान हेतु नैतिक आचरण की संस्कृति को बढ़ावा देने, कानूनों और विनियमों को लागू करने के साथ पारदर्शिता एवं नागरिकों की भागीदारी बढ़ाना आवश्यक है।
- लोक सेवाओं के वितरण की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता बढ़ाने तथा सतत् विकास को बढ़ावा देने हेतु जवाबदेही तंत्र में सुधार करने के साथ लोक अधिकारियों के लिये व्यापक प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम शुरू करना आवश्यक है।