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प्रश्न :
कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व से भारतीय समाज किस प्रकार प्रभावित होता है। कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के कार्यान्वयन के कुछ संभावित लाभ और चुनौतियाँ क्या हैं? (150 शब्द)
06 Apr, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारतीय समाज पर कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रभावों को संक्षेप में समझाते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- इसके लाभों और चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) समकालीन समय में व्यापार रणनीति का एक अभिन्न अंग बन गया है। इसका आशय समाज और पर्यावरण पर कंपनी के संचालन से पड़ने वाले प्रभावों की कंपनी द्वारा जिम्मेदारी लेना है। भारत में इस अवधारणा को काफी महत्त्व मिला है क्योंकि अब कंपनियाँ समाज की भलाई में अपने योगदान को तेजी से पहचान रही हैं।
मुख्य भाग:
- भारतीय समाज पर कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व का प्रभाव:
- कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व का कई तरीकों से भारतीय समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- सबसे पहले इससे पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा मिलने के साथ स्थायी भविष्य सुनिश्चित होता है। भारत में कई कंपनियों ने अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और सतत् प्रथाओं को अपनाने की पहल की है।
- उदाहरण के लिये टाटा मोटर्स ने इलेक्ट्रिक वाहन शुरू करने के साथ वर्ष 2025 तक अपने कार्बन उत्सर्जन को 30% तक कम करने का लक्ष्य रखा है।
- इसी तरह ITC लिमिटेड ने जल संरक्षण हेतु जल प्रबंधन कार्यक्रम शुरू किया है।
- इसका एक और अन्य सफल उदाहरण आईटीसी लिमिटेड की ई-चौपाल पहल है जो किसानों के लिये मौसम, फसल की कीमतों और खेती की तकनीकों के बारे में जानकारी प्राप्त करने का एक डिजिटल मंच है।
- इस पहल से प्रासंगिक जानकारी और बाजारों तक पहुँच प्राप्त होने से किसानों की आजीविका में सुधार होता है।
- CSR की भारत में शिक्षा और कौशल विकास को बढ़ावा देने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
- कई कंपनियों ने समाज के वंचित वर्गों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये शैक्षणिक संस्थान और व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किये हैं।
- उदाहरण के लिये इंफोसिस फाउंडेशन ने भारत में वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिये इंफोसिस साइंस फाउंडेशन की स्थापना की है।
- टाटा स्टील ने ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिये टाटा स्टील रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी की स्थापना की है।
- कई कंपनियों ने समाज के वंचित वर्गों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये शैक्षणिक संस्थान और व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किये हैं।
- भारतीय समाज पर CSR का एक अन्य महत्त्वपूर्ण प्रभाव सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका है।
- कंपनियों ने वंचित समुदायों का समर्थन करने और उनकी भलाई को बढ़ावा देने के लिये कई पहलें की हैं।
- उदाहरण के लिये रिलायंस फाउंडेशन ने समाज के वंचित वर्गों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिये कई स्वास्थ्य पहलें शुरू की हैं।
- अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन ने ग्रामीण समुदायों को जल, स्वच्छता और स्वास्थ्य सुविधाओं जैसी बुनियादी सुविधाएँ प्रदान करने के साथ उनके जीवन स्तर में सुधार लाने से संबंधित पहल की हैं।
- कंपनियों ने वंचित समुदायों का समर्थन करने और उनकी भलाई को बढ़ावा देने के लिये कई पहलें की हैं।
- भारत में कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व से संबंधित लाभ और चुनौतियाँ:
- भारत में CSR के कई लाभ हैं जिनमें कंपनी की बेहतर ब्रांड छवि और प्रतिष्ठा स्थापित होना, कंपनी के प्रति ग्राहकों की वफादारी में वृद्धि होना और हितधारकों के बीच समन्वय में वृद्धि होना शामिल है।
- CSR से कंपनियों को अच्छी प्रतिभा को आकर्षित करने में भी मदद मिलती है क्योंकि कर्मचारी सामाजिक रूप से ज़िम्मेदार कंपनी की तरफ अधिक आकर्षित होते हैं।
- उदाहरण के लिये टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और इंफोसिस जैसी कंपनियों को CSR के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिये जाना जाता है और उन्हें भारत में शीर्ष नियोक्ताओं में स्थान दिया गया है।
- हालाँकि भारत में CSR को लागू करने से संबंधित कई चुनौतियाँ भी हैं।
- CSR के नियमों और दिशानिर्देशों के संदर्भ में स्पष्टता की कमी भी इसकी महत्त्वपूर्ण चुनौतियों में से एक है।
- कंपनी अधिनियम, 2013 द्वारा कंपनियों के लिये अपने मुनाफे का एक निश्चित प्रतिशत CSR गतिविधियों पर खर्च करना अनिवार्य बनाया गया है।
- हालाँकि CSR में शामिल कार्यों की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है और कंपनियाँ अपनी CSR गतिविधियों को चुनने के लिये स्वतंत्र होती हैं।
- इसकी एक अन्य चुनौती कंपनियों और समाज के बीच विश्वास की कमी होना है।
- भारत में कई कंपनियों पर भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के उल्लंघन सहित अनैतिक प्रथाओं के आरोप लगते रहे हैं।
- इससे कंपनियों तथा उनकी CSR गतिविधियों के प्रति एक सामान्य अविश्वास पैदा हुआ है। कंपनियों को पारदर्शी प्रथाओं को अपनाने और हितधारकों के साथ समन्वय द्वारा CSR के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने की आवश्यकता है।
- CSR के नियमों और दिशानिर्देशों के संदर्भ में स्पष्टता की कमी भी इसकी महत्त्वपूर्ण चुनौतियों में से एक है।
निष्कर्ष:
कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व का भारतीय समाज पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है और इसके कार्यान्वयन से कई लाभ हो सकते हैं। हालाँकि CSR के कार्यान्वयन से जुड़ी चुनौतियाँ भी हैं, जिनमें नियमों तथा दिशानिर्देशों में स्पष्टता के अभाव के साथ कंपनियों और समाज के बीच विश्वास का अभाव होना शामिल है।
CSR पहल की सफलता सुनिश्चित करने के लिये कंपनियों को पारदर्शी प्रथाओं को अपनाने, हितधारकों के साथ जुड़ने और सामाजिक ज़िम्मेदारी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करने की आवश्यकता है।
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