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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    समय के साथ होने वाले भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के विकास को बताते हुए भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की कुछ प्रमुख उपलब्धियों पर चर्चा कीजिये? (250 शब्द)

    05 Apr, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के विकास का संक्षिप्त परिचय देते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की प्रमुख उपलब्धियों पर चर्चा कीजिये।
    • तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    • भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम (जो वर्ष 1962 में शुरू हुआ) देश की तकनीकी और वैज्ञानिक प्रगति के एक महत्त्वपूर्ण पहलू के रूप में विकसित हुआ है। भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम इस बिंदु तक विकसित हो चुका है कि अब यह अपने स्वयं के उपग्रहों और रॉकेट प्रक्षेपण क्षमताओं से युक्त है।

    मुख्य भाग:

    • भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का विकास:
      • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की स्थापना वर्ष 1969 में हुई थी और इसका प्राथमिक लक्ष्य दूरसंचार, मौसम विज्ञान और पृथ्वी अवलोकन हेतु उपग्रहों को डिज़ाइन और प्रक्षेपित करना था।
      • इस संगठन के शुरुआती मिशन संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस और सोवियत संघ जैसे अन्य देशों की मदद से शुरू किये गए थे।
        • सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविज़न एक्सपेरिमेंट (SITE) भारत का पहला प्रमुख उपग्रह-आधारित दूरसंचार प्रयोग था, जो वर्ष 1975 में शुरू हुआ था।
      • भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में 1980 के दशक में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई जब इसने वर्ष 1975 में अपना पहला उपग्रह आर्यभट्ट प्रक्षेपित किया था। रोहिणी उपग्रह को वर्ष 1983 में भारत के पहले उपग्रह लॉन्च व्हीकल (सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल- SLV-3) का उपयोग करके प्रक्षेपित किया गया था।
      • इसरो ने वर्ष 1993 में पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) का उपयोग करके अपना पहला सफल उपग्रह प्रक्षेपित किया था और वर्ष 1988 में अपना पहला रिमोट-सेंसिंग उपग्रह (IRS-1A) प्रक्षेपित किया था।
      • 1990 के दशक में भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम आत्मनिर्भर हो गया था और इस क्रम में विदेशी सहायता के बिना उपग्रहों को डिज़ाइन और प्रक्षेपित किया जाने लगा।
        • भारत ने वर्ष 1993 में अपना पहला भूस्थैतिक उपग्रह (INSAT-2B) प्रक्षेपित किया और इसने अपना पहला समर्पित मौसम विज्ञान उपग्रह (METSAT) वर्ष 2002 में प्रक्षेपित किया था।
    • भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की प्रमुख उपलब्धियाँ:
      • पिछले कुछ वर्षों में भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की तकनीकी क्षमताओं और प्रगति में महत्त्वपूर्ण विकास हुए हैं। जैसे:
      • मार्स ऑर्बिटर मिशन:
        • भारत का मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) (जिसे मंगलयान के नाम से भी जाना जाता है) 5 नवंबर, 2013 को लॉन्च किया गया था और इसने 24 सितंबर, 2014 को मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश किया।
          • भारत अपने पहले प्रयास में सफलतापूर्वक मंगल ग्रह पर पहुँचने वाला पहला राष्ट्र बन गया है और इस मिशन की सफलता ने भारत को अंतरिक्ष मिशनों के मामले में संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ और यूरोपीय संघ के समकक्ष कर दिया।
      • चंद्रयान-1:
        • चंद्रयान -1 (भारत का पहला चंद्र मिशन) 22 अक्टूबर, 2008 को लॉन्च किया गया था और यह चंद्रमा पर जल की उपस्थिति की पुष्टि करने वाला पहला मिशन था।
        • चंद्रयान -1 ने दस महीने तक चंद्रमा की परिक्रमा की और इसके द्वारा बर्फ वाले 40 से अधिक गड्ढों की खोज की गई। यह चंद्रमा की कक्षा में स्थापित होने वाला पहला भारतीय अंतरिक्ष यान भी था।
      • रिकॉर्ड बनाने वाले सैटेलाइट प्रक्षेपण:
        • फरवरी 2017 में भारत ने एक साथ 104 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया था और इसी के साथ इसने रूस द्वारा बनाए गए पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया गया, जिसने एक ही बार में 37 उपग्रह प्रक्षेपित किये थे।
          • सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किये गए PSLV-C37 मिशन में भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और नीदरलैंड सहित छह देशों के उपग्रह शामिल थे।
      • GSLV Mk III:
        • वर्ष 2017 में भारत के जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क III (GSLV Mk III) को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था, जिसके साथ ही भारत भारी उपग्रहों को लॉन्च करने की क्षमता वाले कुछ देशों में से एक बन गया।
      • एंटी-सैटेलाइट परीक्षण:
        • वर्ष 2019 में भारत ने एंटी-सैटेलाइट (ASAT) मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जिससे यह ऐसी क्षमता हासिल करने वाले कुछ देशों में से एक बन गया।

    निष्कर्ष:

    • वर्ष 1962 में अपनी शुरुआत के बाद से ही भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम महत्त्वपूर्ण रूप से विकसित हुआ है तथा इसने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अन्वेषण के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं। इसकी तकनीकी उपलब्धियों (जैसे उपग्रहों को लॉन्च करना और अन्य ग्रहों की खोज करना) ने भारत को वैश्विक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की दौड़ में शामिल कर दिया है।
      • भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की प्रगति और उपलब्धियाँ देश के आर्थिक, तकनीकी और वैज्ञानिक विकास में योगदान देती रहेंगी।

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