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प्रश्न :
नीला (एक सिविल सेवक) को एक दूरस्थ और आदिवासी बहुल क्षेत्र में ज़िला मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त किया जाता है। यह क्षेत्र कई चुनौतियों (जैसे कि अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा, उच्च बेरोज़गारी दर और बुनियादी सुविधाओं तक पहुँच की कमी) का सामना कर रहा है। इस क्षेत्र की आदिवासी आबादी अपनी आजीविका के लिये मुख्य रूप से खेती और वन उपज पर निर्भर है। हालाँकि औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण इनके भूमि क्षेत्र और जंगलों में बड़े निगमों द्वारा खनन एवं वनों की कटाई करने से स्थानीय आबादी का विस्थापन होने के साथ उनकी आजीविका का नुकसान हो रहा है।
ज़िला मजिस्ट्रेट के रूप में नीला को कानून और व्यवस्था बनाए रखने के साथ नागरिकों के कल्याण को सुनिश्चित करने और इस क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने का कार्य सौंपा गया है। वह निगमों द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं के सुचारू संचालन को सुविधाजनक बनाने के लिये भी जिम्मेदार है जिससे स्थानीय लोगों के लिये निवेश और नौकरी के अवसर सृजित होने की उम्मीद है।
हालाँकि इस क्षेत्र में कुछ और समय बिताने के बाद नीला को पता चलता है कि यह परियोजनाएँ पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों को क्षति पहुँचाने के साथ आदिवासी लोगों के अधिकारों का उल्लंघन कर रही हैं। नीला को यह भी पता चलता है कि यह निगम भ्रष्ट आचरण में लिप्त हैं और सस्ते श्रम के रूप में स्थानीय लोगों का शोषण कर रहे हैं। दूसरी ओर नीला यह भी समझती हैं कि स्थानीय लोगों के जीवन स्तर में सुधार हेतु इस क्षेत्र में तत्काल निवेश के माध्यम से नौकरी के अवसरों को सृजित करने की आवश्यकता है।ऐसी स्थिति में नीला को क्या करना चाहिये? नीला की निर्णय निर्माण प्रक्रिया किन नैतिक सिद्धांतों से प्रेरित होनी चाहिये?
31 Mar, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- मामले की संक्षिप्त व्याख्या करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- मामले में शामिल विभिन्न हितधारकों और नैतिक मुद्दों पर चर्चा कीजिये।
- इस स्थिति में उपलब्ध विभिन्न विकल्पों पर चर्चा कीजिये और प्रत्येक विकल्प के सकारात्मक और नकारात्मक पक्षों का उल्लेख कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
परिचय
- यह मामला एक आदिवासी बहुल क्षेत्र में ज़िला मजिस्ट्रेट नीला के इर्द-गिर्द घूमता है, जो परस्पर विरोधी हितों के साथ एक जटिल स्थिति का सामना करती है। यह क्षेत्र अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे, उच्च बेरोज़गारी और सुविधाओं की कमी जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है। आदिवासी आबादी खेती और वन उपज पर निर्भर है लेकिन औद्योगीकरण और शहरीकरण से उन्हें खतरा है।
- नीला विकास को बढ़ावा देने और नागरिकों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिये ज़िम्मेदार है, जिसमें निगमों द्वारा परियोजनाओं को सुविधाजनक बनाना शामिल है, जिससे स्थानीय लोगों के लिये निवेश और नौकरी के अवसर आने की उम्मीद है। हालाँकि, परियोजनाएँ पर्यावरणीय क्षति का कारण बन रही हैं और जनजातीय अधिकारों का उल्लंघन कर रही हैं।
मुख्य भाग
- शामिल हितधारक:
- स्थानीय आबादी,
- निगमों,
- सरकार,
- निवेशक,
- पर्यावरण,
- बड़े पैमाने पर समाज।
- शामिल नैतिक मुद्दे:
- पर्यावरणीय क्षरण,
- मानव अधिकारों का उल्लंघन,
- भ्रष्टाचार,
- श्रम का शोषण।
- मानव अधिकार,
- सतत् विकास।
- उपलब्ध विकल्प:
- निगमों द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं का समर्थन: नीला पर्यावरणीय क्षरण और श्रम के शोषण को अनदेखा कर सकती है और निगमों की परियोजनाओं का समर्थन करना जारी रख सकती है क्योंकि उनसे स्थानीय लोगों के लिये निवेश और नौकरी के अवसरों की उम्मीद है।
- गुण:
- यह स्थानीय लोगों के लिये निवेश और रोज़गार के अवसर ला सकता है।
- यह आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकता है और स्थानीय लोगों के जीवन स्तर में सुधार कर सकता है।
- यह परियोजनाओं के कामकाज को सुविधाजनक बनाकर नीला को एक सिविल सेवक के रूप में अपना कर्तव्य पूरा करने में मदद कर सकता है।
- दोष:
- इससे पर्यावरण का क्षरण होगा और प्राकृतिक संसाधनों की कमी होगी।
- यह आदिवासी आबादी के अधिकारों का उल्लंघन होगा।
- इससे क्षेत्र में कानून और व्यवस्था को प्रभावित करने वाली सामाजिक और राजनीतिक अशांति पैदा हो सकती है
- निगमों द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं का विरोध: नीला पर्यावरणीय चिंताओं और जनजातीय आबादी के अधिकारों के उल्लंघन का हवाला देते हुए परियोजनाओं का विरोध कर सकती है।
- गुण:
- यह पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा कर सकता है।
- यह आदिवासी आबादी के अधिकारों की रक्षा कर सकता है।
- यह नीला को एक नैतिक और ज़िम्मेदार सिविल सेवक के रूप में स्थापित कर सकता है।
- दोष:
- यह स्थानीय लोगों के लिये निवेश और नौकरी के अवसरों के हाथ से निकलने का कारण बन सकता है।
- यह स्थानीय लोगों के आर्थिक विकास और जीवन स्तर को प्रभावित कर सकता है।
- इससे क्षेत्र में कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है
- निगमों के साथ समझौता: इसके द्वारा नीला आदिवासी आबादी के अधिकारों के सतत् विकास और संरक्षण पर ज़ोर देते हुए निगमों के साथ बातचीत कर सकती है।
- गुण:
- इससे आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
- यह आदिवासी आबादी के अधिकारों की रक्षा करेगा।
- यह नीला को एक ज़िम्मेदार और कुशल सिविल सेवक के रूप में स्थापित करेगा।
- दोष:
- इससे देरी हो सकती है, जिससे परियोजनाओं की गति और गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
- यह अभी भी पर्यावरणीय क्षरण और प्राकृतिक संसाधनों की कमी का कारण बन सकता है।
- वैकल्पिक विकास मॉडल को बढ़ावा देना: नीला वैकल्पिक विकास मॉडल को बढ़ावा दे सकती है जो कि सतत् विकास, पर्यावरण संरक्षण और जनजातीय आबादी के अधिकारों पर ज़ोर देता है।
- गुण:
- यह सतत् विकास और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दे सकता है।
- यह आदिवासी आबादी के अधिकारों को प्राथमिकता देगा।
- यह नीला को एक अभिनव और ज़िम्मेदार सिविल सेवक के रूप में स्थापित कर सकता है।
- दोष:
- इस प्रक्रिया में अधिक महत्वपूर्ण निवेश और लंबी अवधि की योजना की आवश्यकता होगी जिससे स्थानीय लोगों की अल्पकालिक ज़रूरतें प्रभावित होगी।
- इस विकल्प को लागू करने में अधिक समय लगेगा, जिससे क्षेत्र में विकास की गति प्रभावित होगी।
- इस विकल्प को निगमों और निवेशकों के प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है जो सतत् विकास पर मुनाफे को प्राथमिकता देते हैं।
निष्कर्ष
नीला, ज़िला मजिस्ट्रेट के रूप में, एक जटिल स्थिति का सामना कर रही है जिसके लिये आर्थिक विकास, पर्यावरण संरक्षण और जनजातीय आबादी के अधिकारों को संतुलित करने की आवश्यकता होती है। इसे संबोधित करने के लिये, वह विकल्प 3 और 4 के संयोजन का चयन कर सकती है जो कि सतत् विकास, पर्यावरण संरक्षण और अधिकारों को प्राथमिकता देने वाले वैकल्पिक विकास मॉडल को बढ़ावा देते हुए सतत् विकास सुनिश्चित करने और जनजातीय आबादी के अधिकारों की रक्षा के लिये निगमों के साथ बातचीत करना है। यह दृष्टिकोण नीला को एक अभिनव और ज़िम्मेदार सिविल सेवक के रूप में स्थापित करेगा जो नागरिकों और पर्यावरण के कल्याण को प्राथमिकता देता है।
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