लोक प्रशासन में सत्यनिष्ठा के महत्त्व को बताते हुए सिविल सेवाओं में सत्यनिष्ठा की संस्कृति को प्रोत्साहन देने हेतु उठाए जा सकने वाले उपायों पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- लोक प्रशासन में सत्यनिष्ठा के महत्त्व पर संक्षेप में चर्चा करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- सिविल सेवा में सत्यनिष्ठा की संस्कृति को बढ़ावा देने के सुझाव दीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
सत्यनिष्ठा, लोक प्रशासन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला एक आवश्यक मूल्य है। इससे सुनिश्चित होता है कि सार्वजनिक अधिकारी जनता के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखते हुए ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं। लोक प्रशासन में सत्यनिष्ठा यह सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक है कि सिविल सेवा भ्रष्टाचार से मुक्त है।
मुख्य भाग:
- लोक प्रशासन में सत्यनिष्ठा का महत्त्व:
- लोक प्रशासन में सत्यनिष्ठा कई कारणों से आवश्यक है जैसे:
- सरकार पर लोगों के विश्वास में वृद्धि होना: प्रभावी ढंग से शासन करने की किसी भी सरकार की क्षमता में सार्वजनिक प्राधिकरण पर विश्वास होना एक महत्त्वपूर्ण कारक है।
- सरकार और उसके संस्थानों में जनता का विश्वास बनाए रखने के लिये सत्यनिष्ठा आवश्यक है।
- सत्यनिष्ठा से कार्य करने वाले सार्वजनिक अधिकारी सार्वजनिक हित की सेवा हेतु प्रतिबद्ध रहते हैं और वे जिन नागरिकों की सेवा करते हैं उनका विश्वास अर्जित कर सकते हैं।
- पारदर्शिता और जवाबदेहिता: सरकारी कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेहिता सुनिश्चित करने के लिये सत्यनिष्ठा आवश्यक है।
- सत्यनिष्ठा से कार्य करने वाले सरकारी अधिकारी अपने कार्यों और निर्णयों में पारदर्शी होते हैं और वे अपने कार्यों के लिये जवाबदेह होते हैं।
- इससे सिविल सेवा में भ्रष्टाचार को रोकने में मदद मिलने के साथ यह सुनिश्चित हो सकता है कि सार्वजनिक संसाधनों का उपयोग लक्षित उद्देश्यों के लिये किया जा रहा है।
- दक्षता और प्रभावशीलता: लोक प्रशासन में सत्यनिष्ठा से सरकारी कार्यों की दक्षता और प्रभावशीलता में सुधार हो सकता है।
- जब सार्वजनिक अधिकारी सत्यनिष्ठा के साथ कार्य करते हैं तो वे ऐसे निर्णय लेते हैं जो जनता के सर्वोत्तम हित में होते हैं। इससे बेहतर नीतिगत परिणाम के साथ अधिक प्रभावी सेवा वितरण हो सकता है।
- सिविल सेवा में सत्यनिष्ठा की संस्कृति को बढ़ावा देने के उपाय:
- सिविल सेवा में सत्यनिष्ठा की संस्कृति को बढ़ावा देने से यह सुनिश्चित होगा कि सार्वजनिक अधिकारी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ कार्य करें। सिविल सेवा में सत्यनिष्ठा को बढ़ावा देने के लिये निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं:
- मजबूत कानूनी ढाँचा: सिविल सेवा में भ्रष्टाचार और दुर्भावना को रोकने के लिये एक मजबूत कानूनी ढाँचा आवश्यक है।
- कानूनी ढाँचे द्वारा सार्वजनिक अधिकारियों के आचरण हेतु स्पष्ट दिशानिर्देश निर्धारित करने के साथ अनैतिक व्यवहार के परिणामों को परिभाषित करना चाहिये।
- आचार संहिता: आचार संहिता ऐसे नियमों और मानकों का समूह है जिनका सार्वजनिक अधिकारियों को पालन करना चाहिये।
- इससे नैतिक व्यवहार को मार्गदर्शन मिलने के साथ सरकारी अधिकारियों के आचरण से संबंधित अपेक्षाओं का निर्धारण होता है।
- लोक अधिकारी सत्यनिष्ठा के साथ कार्य करें,यह सुनिश्चित करने के लिये आचार संहिता को मजबूती से लागू किया जाना चाहिये।
- प्रशिक्षण और शिक्षा: सिविल सेवा में सत्यनिष्ठा को बढ़ावा देने के लिये प्रशिक्षण और शिक्षा आवश्यक है।
- सार्वजनिक अधिकारियों को नैतिक और अनैतिक व्यवहार के परिणामों के बारे में प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिये।
- यह सत्यनिष्ठा के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और सिविल सेवा में ईमानदारी की संस्कृति को बढ़ावा देने में सहायक हो सकता है।
- व्हिसलब्लोअर संरक्षण: सार्वजनिक अधिकारियों को प्रतिशोध के डर के बिना अनैतिक व्यवहार की रिपोर्ट करने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु व्हिसलब्लोअर सुरक्षा प्रदान करना आवश्यक है।
- कानूनी ढाँचे के तहत अनैतिक व्यवहार की रिपोर्ट करने के लिये तंत्र स्थापित करना चाहिये।
निष्कर्ष:
- पारदर्शी, जवाबदेह और कुशल प्रशासनिक तंत्र सुनिश्चित करने हेतु सिविल सेवा में सत्यनिष्ठा की संस्कृति को बढ़ावा देना आवश्यक है। सत्यनिष्ठा की इस संस्कृति को मजबूत करने के लिये सार्वजनिक अधिकारियों को उदाहरण प्रस्तुत करने, नैतिक व्यवहार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने के साथ नागरिकों को सरकारी अधिकारियों को उनके कार्यों के लिये जवाबदेह ठहराने की आवश्यकता है।
- इसके अतिरिक्त पारदर्शिता को बढ़ावा देने और भ्रष्टाचार को कम करने के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग भी एक प्रभावी उपकरण हो सकता है। इससे हम लोक प्रशासन में सत्यनिष्ठा की संस्कृति को बढ़ावा दे सकते हैं जिससे लोगों के सर्वोत्तम हितों को महत्त्व मिलने के साथ सरकारी संस्थानों में लोगों के विश्वास में वृद्धि होगी।