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प्रश्न :
भारत नक्सलवाद, आतंकवाद और उग्रवाद के रूप में कई आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है। इन चुनौतियों के मूल कारणों को बताते हुए सरकार द्वारा इनके समाधान हेतु किये गए उपायों पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
29 Mar, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत में आंतरिक सुरक्षा के कारणों की संक्षिप्त चर्चा करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिये सरकार द्वारा किये गए विभिन्न उपायों पर चर्चा कीजिये।
- इस संदर्भ में नवीन और व्यावहारिक समाधान बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- विभिन्न जातीय, धार्मिक और भाषाई समूहों से संबंधित लगभग 1.5 बिलियन लोगों की आबादी के साथ भारत विश्व के सबसे बड़े और सबसे विविध लोकतंत्रों में से एक है।
- अपनी बेहतर लोकतांत्रिक साख के बावजूद, भारत कई दशकों से नक्सलवाद से लेकर आतंकवाद के रूप में कई आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है।
मुख्य भाग:
- भारत में आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों के मूल कारण:
- भारत के समक्ष मौजूद विभिन्न आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों की जड़ें विभिन्न सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक कारकों में निहित हैं जिनमें गरीबी, असमानता, धार्मिक एवं सांस्कृतिक अंतराल और राजनीतिक अस्थिरता जैसे तत्त्व शामिल हैं।
इन कारकों से नक्सलियों,कट्टरपंथियों और अलगाववादी समूहों के रूप में विभिन्न चरमपंथी और उग्रवादी समूहों का विकास हुआ है। इन चुनौतियों के कुछ प्रमुख मूल कारण निम्नलिखित हैं:- गरीबी और असमानता:
- गरीबी और असमानता भारत में आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों के प्रमुख कारकों में शामिल हैं। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली बड़ी आबादी के साथ भारत में विश्व स्तर पर सबसे अधिक गरीबी दर है।
- इससे लोगों में निराशा और हताशा की भावना पैदा होने के साथ चरमपंथी और उग्रवादी समूहों का उदय हुआ है।
- धार्मिक और सांस्कृतिक अंतराल:
- भारत बहु-जातीय, बहु-धार्मिक और बहु-सांस्कृतिक समाज वाला एक विविध देश है।
- हालाँकि इस विविधता के कारण विभिन्न समुदायों के बीच तनाव और संघर्ष को भी बढ़ावा मिला है।
- इससे चरमपंथी और उग्रवादी समूहों के विकास को प्रोत्साहन मिला है जो अपने स्वयं के उद्देश्यों के लिये इन कमियों का फायदा उठाते हैं।
- भारत बहु-जातीय, बहु-धार्मिक और बहु-सांस्कृतिक समाज वाला एक विविध देश है।
- राजनीतिक अस्थिरता:
- गठबंधन की राजनीति के साथ भारत में राजनीतिक अस्थिरता का एक लंबा इतिहास रहा है।
- इससे नीतियों और कार्यक्रमों की निरंतरता में कमी आने के साथ देश की स्थिरता और सुरक्षा कमजोर हुई है।
- इसके अलावा राजनीतिक प्रणाली को अक्सर भ्रष्ट और अक्षम माना जाता है जिसके कारण सरकार पर लोगों के विश्वास में कमी आती है।
- गरीबी और असमानता:
- भारत के समक्ष मौजूद विभिन्न आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों की जड़ें विभिन्न सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक कारकों में निहित हैं जिनमें गरीबी, असमानता, धार्मिक एवं सांस्कृतिक अंतराल और राजनीतिक अस्थिरता जैसे तत्त्व शामिल हैं।
- आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिये सरकार द्वारा किये गए उपाय:
- नक्सलवाद:
- सरकार ने इस चुनौती से निपटने के लिये विभिन्न उपायों को लागू किया है जिसमें सुरक्षा बलों की तैनाती के साथ सामाजिक-आर्थिक विकास कार्यक्रम शुरू करना शामिल है।
- सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की सामाजिक-आर्थिक शिकायतों को दूर करने के लिये वर्ष 2010 में एकीकृत कार्य योजना (IAP) शुरू की थी।
- IAP द्वारा इन क्षेत्रों में लोगों को बुनियादी सुविधाएँ जैसे सड़क, बिजली और जल की आपूर्ति प्रदान करने पर बल दिया गया है।
- सरकार ने लोगों की आजीविका में सुधार के लिये कई योजनाएँ शुरू की हैं जैसे कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम।
- सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की सामाजिक-आर्थिक शिकायतों को दूर करने के लिये वर्ष 2010 में एकीकृत कार्य योजना (IAP) शुरू की थी।
- सरकार ने इस चुनौती से निपटने के लिये विभिन्न उपायों को लागू किया है जिसमें सुरक्षा बलों की तैनाती के साथ सामाजिक-आर्थिक विकास कार्यक्रम शुरू करना शामिल है।
- आतंकवाद:
- आतंकवाद, भारत के समक्ष एक अन्य प्रमुख आंतरिक सुरक्षा चुनौती है (विशेष रूप से पाकिस्तान से सीमापार आतंकवाद के रूप में)।
- सरकार ने पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने की कोशिश की है और उस पर वहाँ से संचालित होने वाले आतंकवादी ढाँचे को खत्म करने के लिये दबाव बनाया है। भारत ने सीमा पर फेंसिंग और अधिक सैनिकों को तैनात करके अपनी सीमा सुरक्षा को भी मजबूत किया है।
- सरकार ने जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी समूहों के खिलाफ लक्षित सैन्य अभियान भी चलाए हैं।
- आतंकवाद, भारत के समक्ष एक अन्य प्रमुख आंतरिक सुरक्षा चुनौती है (विशेष रूप से पाकिस्तान से सीमापार आतंकवाद के रूप में)।
- उग्रवाद:
- उग्रवाद भारत के समक्ष एक अन्य आंतरिक सुरक्षा चुनौती है (विशेष रूप से पूर्वोत्तर राज्यों और जम्मू और कश्मीर में)।
- सरकार ने इस चुनौती से निपटने के लिये कई उपाय किये हैं जिनमें राजनीतिक वार्ता करने के साथ सामाजिक-आर्थिक विकास कार्यक्रम शुरू करना शामिल है।
- सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों में लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिये कई योजनाएँ शुरू की हैं (जैसे पूर्वोत्तर परिषद और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय)।
- नक्सलवाद:
निष्कर्ष:
भारत कई ऐसी आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है जो इसकी स्थिरता, सुरक्षा और विकास के लिये खतरा हैं। भारत सरकार ने इन चुनौतियों का समाधान करने के लिये विभिन्न उपायों को लागू किया है। इसके साथ ही इस संदर्भ में कुछ अन्य व्यावहारिक उपाय किये जा सकते हैं:
- नक्सलवाद के लिये:
- शांति स्थापित करने और संघर्ष समाधान में नागरिक समाज एवं स्थानीय समुदायों को शामिल करना चाहिये।
- स्थानीय प्रशासन को मजबूत करने के साथ संसाधन आवंटन को विकेंद्रीकृत करना चाहिये।
- आतंकवाद के लिये:
- साइबर हमले को रोकने के लिये साइबर सुरक्षा को मजबूत किया जाना चाहिये।
- सीमापार आतंकवाद से निपटने के लिये क्षेत्रीय और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना चाहिये।
- उग्रवाद के लिये:
- लोगों की शिकायतों के समाधान तथा उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिये सभी हितधारकों के साथ विश्वास-निर्माण उपायों के अलावा संवाद करने पर बल देना चाहिये।
- सांस्कृतिक विविधता और बहुलवाद को बढ़ावा देना चाहिये।
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