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प्रश्न :
एक वैश्विक शक्ति के रूप में चीन के उदय के आलोक में आप विकसित होती अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली के भविष्य को किस प्रकार देखते हैं? (250 शब्द)
28 Mar, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंधउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- चीन के उदय को संक्षेप में बताते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- चीन के उदय के संभावित परिदृश्य पर चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- एक वैश्विक शक्ति के रूप में चीन का उदय हाल के दिनों में अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में सबसे महत्त्वपूर्ण विकासों में से एक रहा है। अपनी बढ़ती आर्थिक और सैन्य क्षमताओं के माध्यम से चीन पश्चिमी शक्तियों के वर्चस्व वाली मौजूदा व्यवस्था को चुनौती दे रहा है।
मुख्य भाग:
- पृष्ठभूमि:
- एक वैश्विक शक्ति के रूप में चीन के उत्थान को उसकी आर्थिक वृद्धि से बढ़ावा मिला है। इसकी अर्थव्यवस्था की वृद्धि वर्ष 1978 से 9.5% की औसत वार्षिक दर से हुई है जिसके परिणामस्वरूप इसके सकल घरेलू उत्पाद में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
- इसकी बड़ी आबादी, प्रचुर प्राकृतिक संसाधन और सामरिक स्थिति ने इसे प्रमुख शक्ति के रूप में उभरने में सहायता की है।
- इसके अलावा उन्नत तकनीक विकसित करने और अपने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण पर ध्यान देने के साथ चीन अपनी सेना में काफी अधिक निवेश कर रहा है।
- इसकी बड़ी आबादी, प्रचुर प्राकृतिक संसाधन और सामरिक स्थिति ने इसे प्रमुख शक्ति के रूप में उभरने में सहायता की है।
- एक वैश्विक शक्ति के रूप में चीन के उत्थान को उसकी आर्थिक वृद्धि से बढ़ावा मिला है। इसकी अर्थव्यवस्था की वृद्धि वर्ष 1978 से 9.5% की औसत वार्षिक दर से हुई है जिसके परिणामस्वरूप इसके सकल घरेलू उत्पाद में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली की वर्तमान स्थिति:
- वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों का वर्चस्व है। यह प्रणाली उदार लोकतांत्रिक मूल्यों, मुक्त व्यापार और नियम-आधारित व्यवस्था पर आधारित है।
- हालाँकि इस व्यवस्था को चीन द्वारा चुनौती दी जा रही है और यह अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
- वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों का वर्चस्व है। यह प्रणाली उदार लोकतांत्रिक मूल्यों, मुक्त व्यापार और नियम-आधारित व्यवस्था पर आधारित है।
- भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय प्रणालियों के संभावित परिदृश्य:
- उत्थानवादी शक्ति के रूप में चीन:
- इस परिदृश्य में चीन मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को चुनौती देना जारी रखेगा और अपने मूल्यों और हितों के आधार पर एक नई व्यवस्था स्थापित करने की कोशिश करेगा।
- इससे संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य पश्चिमी शक्तियों के साथ इसका तनाव बढ़ सकता है क्योंकि ये देश अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली को नया रूप देने के चीन के प्रयासों का विरोध करते हैं। चीन विश्व व्यवस्था में अपने दृष्टिकोण को प्रभावी बनाने के क्रम में अन्य देशों पर अपनी आर्थिक और सैन्य शक्ति का उपयोग कर सकता है।
- उदाहरण के लिये चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का उद्देश्य एशिया, अफ्रीका और यूरोप में व्यापार तथा बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं का एक ऐसा नेटवर्क स्थापित करना है जिससे चीन को महत्त्वपूर्ण आर्थिक और राजनीतिक लाभ प्राप्त हों।
- इससे संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य पश्चिमी शक्तियों के साथ इसका तनाव बढ़ सकता है क्योंकि ये देश अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली को नया रूप देने के चीन के प्रयासों का विरोध करते हैं। चीन विश्व व्यवस्था में अपने दृष्टिकोण को प्रभावी बनाने के क्रम में अन्य देशों पर अपनी आर्थिक और सैन्य शक्ति का उपयोग कर सकता है।
- इस परिदृश्य में चीन मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को चुनौती देना जारी रखेगा और अपने मूल्यों और हितों के आधार पर एक नई व्यवस्था स्थापित करने की कोशिश करेगा।
- यथास्थिति शक्ति के रूप में चीन:
- इस परिदृश्य में चीन मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने और स्थापित नियमों तथा संस्थानों के तहत कार्य करने की कोशिश करेगा।
- ऐसे में चीन अपनी आर्थिक वृद्धि और विकास को जारी रखेगा लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका तथा उसके सहयोगियों की वर्तमान स्थिति को चुनौती नहीं देगा।
- इसके साथ ही चीन संयुक्त राष्ट्र और विश्व व्यापार संगठन जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिये अपनी आर्थिक शक्ति का उपयोग कर सकता है एवं जलवायु परिवर्तन तथा आतंकवाद जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिये अन्य देशों के साथ मिलकर कार्य कर सकता है।
- इस परिदृश्य में चीन मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने और स्थापित नियमों तथा संस्थानों के तहत कार्य करने की कोशिश करेगा।
- द्विध्रुवीय विश्व व्यवस्था:
- इस परिदृश्य में अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में दो प्रमुख शक्तियों अर्थात संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन का प्रभुत्व होगा।
- इससे इन दो शक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा और संघर्ष बढ़ सकता है क्योंकि ये विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में प्रभाव बढ़ाने के लिये संघर्ष कर सकते हैं।
- इससे हथियारों को बढ़ाने की होड़ को भी जन्म मिल सकता है क्योंकि यह दोनों शक्तियाँ ऐसे में एक दूसरे के साथ सैन्य समानता बनाए रखने का प्रयास करेंगी।
- इससे इन दो शक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा और संघर्ष बढ़ सकता है क्योंकि ये विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में प्रभाव बढ़ाने के लिये संघर्ष कर सकते हैं।
- इस परिदृश्य में अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में दो प्रमुख शक्तियों अर्थात संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन का प्रभुत्व होगा।
- उत्थानवादी शक्ति के रूप में चीन:
निष्कर्ष:
- एक वैश्विक शक्ति के रूप में चीन का उदय होना हाल के दिनों में अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में सबसे महत्त्वपूर्ण विकासों में से एक है। भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली पर चीन के कार्यों और निर्णयों का प्रभाव पड़ने की संभावना है।
- भविष्य में विश्व व्यवस्था के कई संभावित परिदृश्य सामने आ सकते हैं लेकिन मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को चीन के उदय से चुनौती मिल रही है। ऐसे में यह देखा जाना बाकी है कि संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य पश्चिमी शक्तियाँ इस चुनौती का कैसे जवाब देंगी और आने वाले वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय विश्व व्यवस्था कैसे विकसित होगी।
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