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प्रश्न :
भारतीय लोक कला और शिल्प की एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है जिससे भारतीय संस्कृति की विविधता प्रदर्शित होती है। चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
27 Mar, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 संस्कृतिउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारतीय लोक और शिल्प कला के बारे में संक्षेप में बताते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- भारतीय लोक और शिल्प कला के उन तत्त्वों पर चर्चा कीजिये जिनसे भारतीय संस्कृति की विविधता प्रदर्शित होती है।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- भारत अपनी विविध और जीवंत संस्कृति के लिये जाना जाता है जो इसकी कला और शिल्प परंपराओं में परिलक्षित होती है। भारतीय लोक और शिल्प कला की एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है जो भारतीय संस्कृति की विविधता को प्रदर्शित करती है। ये कला रूप पीढ़ियों से अनवरत जारी रहने के साथ भारत की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
मुख्य भाग:
- भारतीय लोक और शिल्प कला का इतिहास एवं महत्त्व:
- भारतीय लोक और शिल्प कला का एक लंबा इतिहास है जो प्राचीन काल से अनवरत जारी है। ये कला रूप स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों की देन हैं जिन्होंने अद्वितीय और जटिल डिज़ाइन बनाने के लिये प्राकृतिक सामग्रियों और पारंपरिक तकनीकों का उपयोग किया था।
- लोक और शिल्प कला का उपयोग अक्सर घरों, मंदिरों और सार्वजनिक स्थानों को सजाने के लिये किया जाता था और इन्होंने धार्मिक एवं सांस्कृतिक समारोहों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- भारतीय लोक और शिल्प कला का एक लंबा इतिहास है जो प्राचीन काल से अनवरत जारी है। ये कला रूप स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों की देन हैं जिन्होंने अद्वितीय और जटिल डिज़ाइन बनाने के लिये प्राकृतिक सामग्रियों और पारंपरिक तकनीकों का उपयोग किया था।
- भारत के प्रत्येक क्षेत्र की लोक और शिल्प कला की अपनी अनूठी शैली है जो भारतीय संस्कृति की विविधता को दर्शाती है। भारतीय लोक और शिल्प कला के कुछ सबसे लोकप्रिय रूपों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- मधुबनी पेंटिंग: बिहार के मिथिला क्षेत्र में विकसित मधुबनी पेंटिंग पारंपरिक भारतीय कला का एक रूप है जिसमें जटिल डिज़ाइन बनाने के लिये प्राकृतिक रंगों का उपयोग होता है।
- इन पेंटिंग में पौराणिक कहानियों और दैनिक जीवन के दृश्यों को बनाया जाता है और बोल्ड लाइनों तथा चमकीले रंगों का उपयोग करना इनकी विशेषता है।
- वारली पेंटिंग: वारली पेंटिंग एक जनजातीय कला है जिसकी उत्पत्ति महाराष्ट्र-गुजरात सीमांत क्षेत्र में हुई थी।
- इसमें शिकार, कृषि और मछली पकड़ने जैसे रोजमर्रा के जीवन से संबंधित दृश्यों को चित्रित करने के लिये ज्यामितीय आकृतियों और सरल रेखाओं का उपयोग होता है।
- पट्टचित्र पेंटिंग: पट्टचित्र पेंटिंग ओडिशा राज्य की एक पारंपरिक कला है। इसे प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके बनाया जाता है और इसे जटिल विवरण और ज्वलंत रंगों के लिये जाना जाता है।
- पट्टाचित्र पेंटिंग में अक्सर हिंदू पौराणिक कथाओं एवं कहानियों को चित्रित किया जाता है तथा इसका धार्मिक समारोहों में उपयोग होता है।
- ब्लॉक प्रिंटिंग: भारत में वस्त्र और परिधान बनाने के लिये ब्लॉक प्रिंटिंग एक लोकप्रिय प्रिंटिंग तकनीक है। इसमें लकड़ी के ब्लॉकों पर जटिल डिज़ाइनों को तराशना और फिर प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके कपड़ों पर प्रिंट करने के लिये इनका उपयोग करना शामिल है।
- गोंड पेंटिंग्स: इसका विकास मध्य प्रदेश में हुआ है। इसमें डॉट्स और रेखाएँ, जीवंत रंग तथा लोक कथाओं के साथ वनस्पतियों, जीवों, देवताओं, मिथकों और किंवदंतियों को दर्शाया जाता है।
- कलामेझुथु: इसका विकास केरल में हुआ है। इसमें सममित पैटर्न के साथ धार्मिक विषय (हिंदू देवी-देवताओं से संबंधित) देखने को मिलते हैं।
- फड़ः इसका विकास राजस्थान में हुआ है। इसमें क्षैतिज स्क्रॉल, चमकीले रंग के उपयोग के साथ कथात्मक विषय के रूप में लोक नायकों, महाकाव्यों और किंवदंतियों को चित्रित किया जाता है।
- ये भारतीय लोक और शिल्प कला के विभिन्न रूपों के कुछ उदाहरण हैं।
- इन कला रूपों में से प्रत्येक की अपनी अनूठी शैली, इतिहास और महत्त्व है और इन्होंने भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- मधुबनी पेंटिंग: बिहार के मिथिला क्षेत्र में विकसित मधुबनी पेंटिंग पारंपरिक भारतीय कला का एक रूप है जिसमें जटिल डिज़ाइन बनाने के लिये प्राकृतिक रंगों का उपयोग होता है।
- भारतीय लोक और शिल्प कला का विकास तथा इसका प्रभाव:
- भारतीय लोक और शिल्प कला का समय के साथ विकास हुआ है जो भारतीय समाज तथा संस्कृति में बदलाव को दर्शाती हैं।
- उदाहरण के लिये अब प्राकृतिक रंगों के उपयोग की जगह सिंथेटिक रंगों का उपयोग होने लगा है तथा पारंपरिक तकनीकों की जगह नई सामग्रियों और प्रौद्योगिकियों को अपनाया जाने लगा है।
- हालाँकि इन परिवर्तनों के बावजूद लोक और शिल्प कला भारतीय संस्कृति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
- भारतीय लोक और शिल्प कला ने आधुनिक कला और डिज़ाइन को प्रभावित किया है।
- कई समकालीन कलाकार और डिज़ाइनर पारंपरिक भारतीय कला रूपों से प्रेरणा लेने के साथ इनके डिज़ाइन और रूपांकनों को अपने कार्य में शामिल करते हैं।
- उदाहरण के लिये भारतीय वस्त्र और परिधान विश्व भर में लोकप्रिय हो गए हैं और कई डिज़ाइनरों ने आधुनिक कपड़ों के डिज़ाइन बनाने के लिये पारंपरिक ब्लॉक प्रिंटिंग तकनीकों का इस्तेमाल किया है।
- कई समकालीन कलाकार और डिज़ाइनर पारंपरिक भारतीय कला रूपों से प्रेरणा लेने के साथ इनके डिज़ाइन और रूपांकनों को अपने कार्य में शामिल करते हैं।
- भारतीय लोक और शिल्प कला का समय के साथ विकास हुआ है जो भारतीय समाज तथा संस्कृति में बदलाव को दर्शाती हैं।
निष्कर्ष:
- भारतीय लोक और शिल्प कला की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है जिससे भारतीय संस्कृति की विविधता प्रदर्शित होती है। ये कला रूप पीढ़ियों से अनवरत जारी हैं तथा यह भारत की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
- इन कला रूपों में से प्रत्येक की अपनी अनूठी शैली, इतिहास और महत्त्व है और इन्होंने आधुनिक कला और डिज़ाइन को प्रभावित किया है। भारतीय लोक और शिल्प कला भारतीय संस्कृति का एक अनिवार्य हिस्सा है तथा इनकी आने वाली पीढ़ियों के लिये भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका बनी रहेगी।
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