नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    आप एक राज्य के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत एक सरकारी अधिकारी हैं और आपको पता लगता है कि सरकारी अस्पतालों को आपूर्ति की जाने वाली दवाएँ अच्छी गुणवत्ता की नहीं हैं। इस संबंध में और जानकारी प्राप्त करने के क्रम में आपको पता चला कि इस प्रकार की खराब गुणवत्ता वाली दवाईयों को उच्च मूल्य पर खरीदने के लिये दवाइयों से संबंधित खरीद विभाग द्वारा दवा कंपनियों से घूस ली जा रही है। आप इस बात को अपने वरिष्ठ अधिकारियों को बताते हैं लेकिन भ्रष्टाचार में संलिप्त होने के कारण यह इस संदर्भ में कोई भी कार्रवाई करने से बचते हैं।

    इस स्थिति में आप क्या करेंगे?

    24 Mar, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • मामले की संक्षिप्त व्याख्या करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • मामले में शामिल विभिन्न हितधारकों और नैतिक मुद्दों पर चर्चा कीजिये ।
    • सरकारी अधिकारी के सामने उपलब्ध विभिन्न विकल्पों पर चर्चा कीजिये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष निकालिये।

    परिचय

    • उपरोक्त मामला एक राज्य के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत एक सरकारी अधिकारी के इर्द-गिर्द घूमता है, जिससे यह पता चलता है कि सरकारी अस्पतालों को आपूर्ति की जाने वाली दवाएँ निम्न गुणवत्ता की हैं।
      • आगे की जाँच से यह पता चलता है कि कम गुणवत्ता वाली दवाओं को उच्च दरों पर आपूर्ति करने हेतु क्रय विभाग दवा कंपनियों से रिश्वत स्वीकार कर रहा है। जबकि उच्चाधिकारियों के ध्यान में लाने के बावजूद भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती क्योंकि वे भी भ्रष्टाचार में लिप्त होते हैं।

    मुख्य भाग

    • इसमें शामिल हितधारक:
      • सरकारी अधिकारी,
      • क्रय विभाग,
      • स्वास्थ्य मंत्रालय,
      • दवा कंपनियाँ,
      • मरीज,जो अपनी स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों के लिये सरकारी अस्पतालों पर निर्भर हैं,
      • समाज।
    • इसमें शामिल नैतिक मुद्दे:
      • भ्रष्टाचार,
      • सत्ता का दुरुपयोग,
      • नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के कर्तव्य की उपेक्षा,
      • घटिया दवाओं से मरीजों को संभावित नुकसान।
    • उपलब्ध विकल्प :
      • उच्च अधिकारियों अथवा भ्रष्टाचार-रोधी एजेंसियों को समस्या से अवगत कराना: मैं इस मामले को उच्च अधिकारियों के समक्ष ले जाऊँगा क्योंकि मेरे वरिष्ठ भी इस भ्रष्टाचार में शामिल हैं।
      • गुण: इसके परिणामस्वरूप भ्रष्टाचार में संलिप्त लोगों के खिलाफ आधिकारिक जाँच होने के साथ संभावित कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
        • दोष: भ्रष्टाचार में संलिप्त लोगों से प्रतिशोध का जोखिम हो सकता है।
      • सबूतों को एकत्रित करके मीडिया से संपर्क करना: मैं मीडिया पटल पर अपने मामले को सही साबित करने हेतु सूचनाओं और ठोस सबूतों को एकत्रित करने की कोशिश करूँगा।
        • गुण: यह सार्वजनिक रूप से जागरूकता उत्पन्न कर सकता है जिससे भ्रष्टाचार में संलिप्त लोगों पर कार्रवाई करने के लिये दबाव बन सकता है।
        • दोष: इससे सरकार के लिये नकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होने के साथ सरकारी अधिकारी की आजीविका को नुकसान पहुँच सकता है, क्योंकि यह सिविल सेवकों की आचार संहिता का उल्लंघन करता है।
      • कानूनी सलाह लेना एवं कानूनी कार्रवाई करना: मैं इस मामले की बारीकियों को समझने हेतु कानूनी मार्गदर्शन लूँगा तथा इसे न्यायालय में कानूनी कार्रवाई के लिये आगे ले जाऊँगा।
        • गुण: इसके परिणामस्वरूप भ्रष्टाचार में शामिल लोगों पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है और संभावित पीड़ितों को और अधिक नुकसान होने से रोका जा सकता है।
        • दोष: यह एक लंबी और महंगी प्रक्रिया हो सकती है जिसमें सुनिश्चित सफलता मिलने की संभावना कम है एवं बार-बार न्यायालय के चक्कर लगाने से कर्त्तव्यों को निभाने की मेरी जिम्मेदारी में बाधा उत्पन्न होगी।
      • अन्य सरकारी अधिकारियों अथवा संगठनों से संपर्क करना: मैं अन्य विभाग/संगठन के अधिकारियों से संपर्क कर उन्हें अपने विभाग में हो रहे गलत कार्यों से अवगत कराने का प्रयास करूँगा।
        • गुण: इसके परिणामस्वरूप अन्य लोगों का समर्थन प्राप्त हो सकता है जो समान समस्याओं को सामना करते हैं और संभावित रूप से ऐसे मुद्दे को हल करने के लिये सामूहिक कार्रवाई करने का प्रयास करते हैं।
        • दोष: एक संभावना यह भी है कि अन्य लोग सहायता करने में तैयार नहीं हों, क्योंकि इससे स्वास्थ्य विभाग की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँच सकता है।

    निष्कर्ष

    इस स्थिति में कार्रवाई का सबसे नैतिक तरीका यह होगा कि इस समस्या को उच्च-अधिकारी या भ्रष्टाचार विरोधी संगठन की नज़रों में लाया जाए, क्योंकि दवाओं की खरीद में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करना अत्यावश्यक है। मरीजों की भलाई (जो अपनी चिकित्सा जरूरतों के लिये सरकारी संस्थानों पर निर्भर हैं) को प्राथमिकता देना चाहिये। हालाँकि यह विकल्प संभावित जोखिम भरा है। फिर भी यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि रोगियों को उच्च-गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा प्राप्त हो रही है अथवा नहीं, जिसके वे हकदार हैं।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow